पड़ोसन आंटी की चूत की खुजली

हाय दोस्तों, मेरा नाम आनंद है। मैं 24 साल का हूँ और बेंगलुरु में रहता हूँ। मेरी हाइट 6 फुट है, मेरा लंड 7 इंच लंबा है, और मेरी बॉडी एवरेज है। ये मेरी पहली real sex story है, तो इसे इंजॉय करें और अपना फीडबैक जरूर भेजें। ये बात कुछ महीने पहले की है, जब मैं इंजीनियरिंग के फाइनल ईयर में था और छुट्टियाँ चल रही थीं। उस वक्त मेरा रोज का रुटीन था—सुबह देर तक सोना, दोस्तों से गप्पे मारना, और शाम को अपार्टमेंट में बैडमिंटन खेलना। हमारे अपार्टमेंट में कुछ लेडीज भी बैडमिंटन खेलने आती थीं, और इसी बहाने मुझे उनके साथ मिलने का मौका मिलता था।

पहली मुलाकात और आंटी का जलवा

एक शाम की बात है, मैं बैडमिंटन कोर्ट पर था। वहाँ एक मस्त लेडी आई, जिसकी उम्र करीब 38 साल होगी। उसने ब्लू टॉप और टाइट योगा पैंट पहनी थी। उसका फिगर इतना sexy था कि मेरी नजरें उस पर टिक गईं। उसकी चूचियाँ टॉप में उभरी हुई थीं, और योगा पैंट में उसकी गांड का शेप ऐसा लग रहा था मानो मुझे बुला रहा हो। उसने मुझे देखा और मुस्कुराते हुए बोली, “आनंद, मेरे साथ खेलोगे?” मैं तो पहले से ही उसकी तरफ आकर्षित था, सोचा मौका अच्छा है। मैंने तुरंत हाँ कर दी।

खेलते-खेलते उसका पैर मुड़ गया और वो गिर पड़ी। मैंने झट से रैकेट फेंका, उसे उठाया। उसकी जाँघ को छूते ही मेरे शरीर में करंट दौड़ गया। वो दर्द से कराह रही थी, “आह, आनंद, थोड़ा सपोर्ट दो।” मैंने उसे सहारा दिया और पूछा, “आंटी, ठीक हैं आप?” उसने कहा, “हाँ, बस थोड़ा दर्द है। क्या तुम मुझे फ्लैट तक छोड़ दोगे?” मैंने उसे पकड़कर उसके फ्लैट तक पहुँचाया। रास्ते में उसकी खुशबू और उसका नरम बदन मेरे होश उड़ा रहा था। फ्लैट पहुँचते ही उसने मुझे थैंक्स कहा और बोली, “तुम बहुत अच्छे हो।” उसकी मुस्कान में कुछ अलग ही जादू था।

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दोस्ती का आगाज और नजदीकियाँ

उसका नाम आरती था। उस दिन के बाद हमारी दोस्ती शुरू हो गई। उसका फ्लैट मेरे फ्लैट के ठीक सामने था, बस दूसरी बिल्डिंग में। वो ठीक हो गई तो हम रोज शाम को बैडमिंटन खेलने लगे। खेल के बाद कभी चाय पीते, कभी गप्पे मारते। धीरे-धीरे हमारी दोस्ती गहरी होने लगी। एक दिन फोन पर बात हुई तो पता चला कि उसके हसबैंड एक बड़ी MNC में काम करते हैं और ज्यादातर बाहर रहते हैं। वो बोली, “आनंद, अकेलापन बहुत सताता है।” उसकी आवाज में उदासी थी, और मुझे उसकी आँखों में एक प्यास दिखती थी। मैंने सोचा, शायद ये मौका है।

हमारी बातें अब फोन पर भी होने लगीं। कभी-कभी वो रात को मैसेज करती, “आनंद, नींद नहीं आ रही, क्या कर रहे हो?” मैं जवाब देता, “बस तुम्हें याद कर रहा हूँ।” वो हँसती और कहती, “तुम भी ना, बड़े शैतान हो।” उसकी हँसी में एक अजीब सी कशिश थी। मैं समझ गया था कि वो अकेलेपन से परेशान है, और शायद उसे मेरी जरूरत है। मेरे मन में भी उसकी चूत की खुजली मिटाने की चाहत जागने लगी थी।

रात का डर और चौंकाने वाला नजारा

एक रात 12 बजे उसका फोन आया। वो घबराई हुई थी, “आनंद, मुझे डर लग रहा है। लगता है कोई घर में घुस आया। प्लीज आ जाओ।” मैं नींद में था, पर उसकी आवाज सुनकर होश उड़ गए। मैंने जल्दी से टी-शर्ट डाली और उसके फ्लैट की ओर भागा। रास्ते में डर भी लग रहा था कि कहीं सच में चोर न हो। फ्लैट का दरवाजा खुला था। मैं धीरे-धीरे अंदर गया, बेडरूम की ओर बढ़ा। दोस्तों, जो मैंने देखा, उसे देखकर मेरे होश उड़ गए।

आरती बेड पर नंगी लेटी थी। उसकी गोरी चमकती जाँघें खुली थीं, और वो अपनी चूत को सहला रही थी। उसकी आँखें बंद थीं, और वो मेरे नाम की सिसकियाँ ले रही थी—आह, आनंद, ऊह। उसका नंगा बदन, उछलते बूब्स, और मटकती गांड देखकर मेरा लंड टाइट हो गया। उसके गोल-गोल मिल्की बूब्स पके आम जैसे लग रहे थे। मैं ठगा सा खड़ा था। तभी उसने आँखें खोलीं और मुझे देख लिया। वो भूखी नजरों से मुझे ताड़ने लगी। बिना कुछ कहे वो उठी, वैसे ही नंगी मेरे पास आई। उसकी चाल, उछलते बूब्स—मैं पागल हो गया।

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जोश में चुदाई की शुरुआत

वो मेरे पास आई और पैंट के ऊपर से मेरा लंड सहलाने लगी। मेरे कान में बोली, “ये सब बहाना था। मेरी नजर तेरे लंड पर पहले से थी। मेरी चूत बहुत दिनों से कुंवारी है।” उसने मेरे कान को जीभ से चाटा। मैं जोश में आ गया। मैंने उसके बाल पकड़े, एक हाथ से उसकी चूची दबाई और उसे kiss करने लगा। उसकी होंठों की नरमी और गर्मी ने मुझे बेकाबू कर दिया। करीब 15 मिनट तक हम एक-दूसरे को चूमते रहे। मैं उसकी जीभ चूस रहा था, वो मेरी।

फिर मैंने उसके बूब्स पकड़े और चूसने लगा। उसके निप्पल सख्त हो गए थे। वो भूखी शेरनी की तरह मेरी पैंट खोलने लगी। जल्दी-जल्दी उसने मेरा लंड बाहर निकाला और हिलाने लगी। बोली, “आज मेरी चूत की खुजली तुझे मिटानी पड़ेगी।” उसने मुझे बेड पर धक्का दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई। मेरा 7 इंच का लंड उसके मुँह में ले लिया। वो चूस रही थी, गहराई तक। उसने चोक करते हुए भी लंड चूसा। मैंने उसके मुँह में कम कर दिया। वो सारा माल पी गई और बोली, “माय गॉड, क्या स्वाद है।”



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चूत का रस और जंगली चुदाई

मैंने उसे पकड़ा, उसकी चूत में जीभ डाली। उसकी पीठ सहलाते हुए चूत को चाटने लगा। वो मदहोश हो रही थी। उसके मुँह से सिसकियाँ निकल रही थीं—आह, ऊह, ओह, आनंद, और अंदर। वो मुझे जाँघों के बीच दबाने लगी। उसने पानी छोड़ दिया, मैंने चाट लिया। उसके चेहरे पर संतुष्टि की मुस्कान थी। मेरा लंड फिर तैयार हो गया। मैंने उसे पलटाया, मिशनरी पोजीशन में उसकी चूत पर लंड रगड़ा। वो कसमसाने लगी, “अब तड़पाओ मत, चोद डालो, मेरी खुजली मिटाओ।”

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मैंने एक झटके में लंड उसकी चूत में पेल दिया। वो चीखी—उसने महीनों से chudai नहीं की थी। मैं तेजी से चोदने लगा। वो गालियाँ देने लगी, “मादरचोद आनंद, तेरे लंड से मजा आ गया। हाँ, चोदते रहो, मेरे राजा। चोद-चोद के जड़ जाओ, पिल्स ले लूँगी।” वो दो बार झड़ गई। मैंने फ्रिज से आइसक्रीम ली, उसकी चूत पर लगाई और चाटा। वो खुशी से पागल हो गई। उस रात हमने चार बार sex किया।

चुदाई का सिलसिला और विदाई

एक महीने तक हम रोज चुदाई करते। कॉलेज से लौटकर मैं उसके फ्लैट जाता। कभी बाथरूम में, कभी किचन में—हर जगह mazaa लिया। वो मेरे लंड की दीवानी हो गई थी। फिर उसने चेन्नई में फ्लैट ले लिया और चली गई। आज भी उसे याद करके मचल जाता हूँ। दोस्तों, ये थी मेरी और आरती आंटी की कहानी।

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