हेलो फ्रेंड्स, मैं हूं सौम्य, एक बार फिर से आप सबके सामने अपनी एक हॉट स्टोरी लेकर आया हूं। वैसे तो मुझे लड़कियों से ज्यादा आंटियां पसंद हैं, क्योंकि उनकी वो मेच्योर बॉडी, वो कर्व्स, वो एक्सपीरियंस… उफ्फ, सोचकर ही एक्साइटमेंट हो जाता है। मैं आपको बिना बोर किए डायरेक्ट स्टोरी पर ले जाता हूं, लेकिन इस बार मैं इसे और डिटेल में बताऊंगा, ताकि आप फील कर सकें वो सेक्सी मोमेंट्स।
ये बात तब की है जब मैं बारहवीं क्लास में पढ़ता था। उस टाइम मैं घर में अकेला होता तो बस ब्लू फिल्म्स ही देखता रहता। दिन-रात मुठ मारता, जैसे कोई एडिक्शन हो गया हो। हमारे घर के चारों तरफ जितनी भी आंटियां थीं, सबको मैं बुरी नजर से देखने लगा था। मन करता था कि काश ये सब मुझे चोदने मिल जाएं। रोज उनकी बूब्स और गांड को घूरता रहता, और घर आकर उनके नाम की मुठ मारता। मेरे बगल में एक आंटी थीं, उनकी बड़ी बेटी की हाल ही में शादी हुई थी। वो दिखने में पूरा माल लगती थी, साइज ज्यादा बड़ा नहीं था लेकिन बहुत सुंदर थी, गोरी-चिट्टी, स्लिम फिगर वाली। मैं तो कम से कम दिन में दो बार उसके नाम की मुठ मारता था। उसकी ससुराल वहां से बहुत नजदीक थी, इसलिए वो अक्सर हमारे घर आती थी। मैं उसे बाइक पर छोड़ने जाता, और जाते वक्त जानबूझकर ब्रेक मारता रहता ताकि उसकी सॉफ्ट बूब्स मेरी पीठ से टच हों। उफ्फ, वो फीलिंग… हर बार लगता जैसे currents लग रहे हों। ये सिलसिला रोज चलता रहा, लेकिन कुछ दिनों बाद राखी का त्योहार आया। वो राखी लेकर आई, मैं उस वक्त बाथरूम में था। मम्मी ने बोला, “जल्दी बाहर आ, दीदी आई है राखी बांधने।” मैं अंदर ही बैठा रहा, लेकिन मम्मी ने डांटा तो बाहर आया। उसने मुझे राखी बांधी, और फिर पप्पी देना चाहती थी, लेकिन मैंने फेस थोड़ा साइड कर दिया तो उसकी पप्पी मेरे होंठों पर लग गई। वो सॉफ्ट लिप्स का टच… लेकिन उसके बाद मैंने उसके नाम की मुठ मारना छोड़ दिया। मैं हूं तो हरामी, लेकिन मेरी कोई सिस्टर नहीं है ना, इसलिए ऐसे मामलों में थोड़ा सेंटीमेंटल हो जाता हूं।
लेकिन एक गई तो क्या हुआ, कॉलोनी में तो और भी बहुत सारी हॉट आंटियां थीं। एक दिन शाम को मैं छत पर घूम रहा था, अंधेरा इतना हो गया था कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। हमारे सामने वाली बिल्डिंग हमसे एक फ्लोर ऊंची थी, तो उसके ऊपरी फ्लोर की खिड़की हमारे वॉटर टैंक के ऊपर से दिखती थी। उस दिन मैं वॉटर टैंक पर बैठा, तो देखा सामने वाली आंटी अपनी साड़ी उतार रही हैं। यकीन नहीं होगा, एक औरत बिना विंडो बंद किए कैसे साड़ी चेंज कर रही थी। वैसे उस एरिया में वो सबसे बड़ा बिल्डिंग था, बाकी सब हमारे लेवल के। उन्हें पता था कि हमारे फैमिली का कोई मेंबर छत पर नहीं जाता क्योंकि वो अंडर कंस्ट्रक्शन था। वो अपनी सारी कपड़े उतार दीं, और एक टॉवल लपेटने लगीं, शायद पूजा करनी थी। उनकी नंगी बॉडी देखकर मैं वहां मुठ मारने लगा। उफ्फ, वो गोरी स्किन, वो कर्वी फिगर, वो बूब्स जो हल्के से हिल रहे थे… मैंने सोचा काश मैं वहां होता तो उन्हें चोदता। फिर ये मेरा रोज का रूटीन बन गया। हर शाम मैं छत पर जाता, उन्हें नंगी देखता, और मुठ मारकर आता। कभी-कभी तो इमेजिन करता कि मैं उनके साथ हूं, उनकी चूत में उंगली डाल रहा हूं, वो मोअन कर रही हैं… सेक्सी फीलिंग्स से भर जाता था।
हमारे बगल में रितु आंटी थीं, जो थोड़ी मोटी थीं लेकिन वो मोटापा सेक्सी लगता था – बड़ी-बड़ी बूब्स, मोटी गांड, और एक लड़की थी जो छठी क्लास में पढ़ती थी। रितु आंटी अक्सर हमारे घर आतीं। कुछ काम होता तो मुझे बुलातीं, क्योंकि उनके हसबैंड पॉलिटिक्स में थे, रात देर से घर लौटते। मेरी स्टडी टेबल के सामने एक विंडो थी जो रितु आंटी के घर की आंगन की तरफ थी। रोज आंटी नहाने के बाद उसी रास्ते से जातीं। उनकी भीगी बॉडी, भीगी साड़ी जो बॉडी से चिपक जाती, उनके निप्पल्स उभरकर दिखते… मैं कंट्रोल नहीं कर पाता। रोज एक छोटे से पेपर पर लिखता “U r beautiful… I want to suck ur boobs” और उनके घर की तरफ फेंक देता, लेकिन पेपर इतना छोटा कि नोटिस में आएगा भी नहीं। वैसे जब आंटी आंगन में बर्तन धोतीं, पीठ मेरी तरफ करके, तो उनकी गांड देखकर मैं उछलता रहता। मन करता कि जाकर कहूं, “आंटी, मैं तुम्हें चोदना चाहता हूं,” लेकिन हिम्मत नहीं थी। फिर एक दिन आंटी ने मुझे आम तोड़ने के लिए कहा, तो मैं उनके साथ बगीचे में चला गया।
वो नीचे खड़ी थीं, मैं पेड़ पर चढ़कर आम तोड़ रहा था। आम तोड़कर उनकी झोली में फेंकने लगा। ऊपर से उनकी क्लिवेज दिख रही थी – गहरी, सॉफ्ट, गोरी। मैं जानबूझकर आम उनकी बूब्स पर फेंकने लगा। वो कुछ नहीं बोलीं, बस स्माइल करती रहीं। उनके बगीचे में एक टेम्पररी बाथरूम था। शायद किसी वजह से एक दिन वो उस बाथरूम में नहाने आईं। उस वक्त मैं उनके नजदीक एक पेड़ पर छुपकर बैठा था, क्योंकि घर से डांट पड़ी थी और मैं हमेशा ऐसे में पेड़ों पर छुपता था। उस दिन मेरा लक इतना अच्छा नहीं था, क्योंकि नहाते वक्त उन्होंने ऊपर देख लिया। मैंने बहाना बनाया कि आम तोड़ रहा हूं, जैसे उन्हें देखा नहीं। वो बोलीं, “नॉटी बॉय, इतनी सुबह यहां क्या कर रहे हो?” उन्हें पता था मुझे घर में डांट पड़ी है।
तो वो मुझे समझाने लगीं। उस वक्त वो सिर्फ पेटीकोट में थीं, और पेटीकोट को ऊपर ब्रेस्ट तक ले आईं थीं, तो सिर्फ क्लिवेज और गोरी-गोरी जांघें दिख रही थीं। उफ्फ, वो सेक्सी लुक… जब वो समझा रही थीं, मैं जानबूझकर और सैड होने का नाटक किया तो उन्होंने मुझे एक पप्पी दे दी। वैसे बताऊं, मैं बारहवीं में पढ़ता था लेकिन दिखने में नौवीं क्लास का बच्चा लगता था, और शायद क्यूट भी। फिर उन्होंने कहा, “क्या तुम मेरा एक काम करोगे?” मैंने झट से हां बोला। वो बोलीं, “मेरी पीठ तक हाथ नहीं पहुंच रहा, क्या तुम थोड़ा साबुन मेरी पीठ पर लगा दोगे?” मैं तो सुनकर खुश हो गया, लगा आज किस्मत मेरे ऊपर कुर्बान है।
फिर उन्होंने पेटीकोट थोड़ा पीछे से नीचे हिप तक कर दिया, लेकिन आगे से पकड़े हुए थीं। मेरी आंखों के सामने उनकी गोरी पीठ थी, और साइड से बूब्स भी दिख रही थीं – राउंड, फर्म, निप्पल्स हार्ड। वो बोलीं, “क्या देख रहे हो, जल्दी साबुन लगाओ, ऊपर से तुम्हें समझाते-समझाते मेरा वैसे भी देर हो गया है।” मैंने साबुन लगाना शुरू किया, बीच-बीच में हाथ बूब्स के साइड पर ले जाता। उस वक्त मेरा लंड बहुत दर्द कर रहा था, क्योंकि खड़ा होना चाहता था लेकिन चड्डी की वजह से नहीं हो पा रहा। साबुन लगाते-लगाते साबुन मेरे हाथ से फिसल गया, तो वो उसे उठाने के लिए झुकीं तो मेरी आंखों के सामने उनकी बूब्स थीं – क्या नजारा था यार, पूरा नंगा व्यू, निप्पल्स पिंक, बूब्स हिलते हुए। मेरा तो बुरा हाल था। तभी उन्होंने बोला, “अब तुम जाओ, तुम्हारा काम खत्म हो गया।” मैं सोच रहा था कि उन्हें बाहों में जकड़ लूं और किस करूं, लेकिन डर भी लग रहा था। मैं वहां से चला आया, और उस दिन यकीन नहीं होगा, मैंने कम से कम 5-6 बार मुठ मारी। उनकी बॉडी की इमेज दिमाग में घूमती रही – वो क्लिवेज, वो पीठ, वो जांघें… हर बार झड़ते वक्त उनका नाम लेता। फिर मैं रोज उनके बाथरूम के पास इंतजार करता, लेकिन वो फिर नहीं आईं क्योंकि वो टेम्पररी था। लेकिन मैंने इमेजिनेशन में उन्हें रोज चोदा, उनकी चूत चाटी, उनके बूब्स चूसे… सेक्सी ड्रीम्स से नींद नहीं आती थी।
एक दिन उन्होंने अपनी बेटी को पढ़ाने के लिए मुझे बोला, क्योंकि अगले दिन उसकी एग्जाम थी और वो बिजी थीं। मैं उनकी बेटी को लेकर उनके ड्रॉइंग रूम में पढ़ा रहा था। तभी वो मेरे लिए मैगी लेकर आईं। जब वो मुझे मैगी देने के लिए झुकीं तो उनकी बूब्स मेरे सामने थीं, और उस दिन ब्रा नहीं पहनी थी, ऊपर से नाइटी पहनी हुई। मैं बस उन्हें देखता रहा – वो बड़े-बड़े बूब्स, निप्पल्स उभरे हुए, नाइटी से ट्रांसपेरेंट। उन्होंने मुझे देख लिया और कान खींचने लगीं, बोलीं “नॉटी बॉय।” मेरा तो हालत खराब हो गया। मैं जाकर किचन में सॉरी बोला, तो उन्होंने कहा, “डोंट बी, इस उमर में ये सब होता है।” मैं बहुत डर गया था, बोला “मम्मी को प्लीज कुछ मत कहना।” तभी वो मेरे पास आईं, मुझे पप्पी देकर बोलीं, “डोंट वरी, नहीं बोलूंगी।” मैंने थैंक्स बोलकर पीछे से हग कर लिया, बोला “आंटी यू आर सो स्वीट।” तभी वो बोलीं, “अब जाकर बच्ची को पढ़ाओ।” पढ़ाते-पढ़ाते उनकी बच्ची सो गई। तो मैं उनके पास जाकर बोला, “आंटी, मुन्नी सो गई।” उन्होंने कहा, “तुम्हें क्या अब कुछ काम है?” मैंने कहा नहीं, तो बोलीं “रुक जाओ, रात को खाना खाकर चले जाना।” मैंने कहा “और मम्मी?” तो बोलीं, “मैंने फोन करके बता दिया है।” उस वक्त मुझे जोरूम लग रहा था, मैं बाथरूम चला गया। वहां उनकी ब्रा और पैंटी सूख रही थीं। मैंने पैंटी को सूंघते हुए हिलाना शुरू किया – वो सेक्सी स्मेल, जैसे उनकी चूत की खुशबू। झड़ गया और पैंटी में ही छोड़कर चला आया। तभी आंटी ने पूछा, “तुम क्या इतनी देर सूसू कर रहे थे?” मैंने हां कहा, तो वो स्माइल करने लगीं, जैसे सब समझ गईं हों।
उसके बाद मैं बेडरूम में चला गया और टीवी देखने लगा। तभी वो मिल्क लेकर आईं, बोलीं “लो, ये पीलो।” मैंने कहा “मुझे दूध पसंद नहीं है।” तो वो बोलीं, “अब जो सब कुछ तुम बाथरूम में करके आए हो, उसके लिए मिल्क बहुत जरूरी है।” मैं तो पूरा डर के मारे पसीना-पसीना हो गया। वो मेरे पास आकर बैठ गईं, बोलीं, “तुम ये सब क्यों करते हो?” डर के मारे मेरी आंखों से आंसू आ गए, तो बोली “डोंट वरी, मुझे अपने दोस्त की तरह समझो, मैं ये बात किसी को नहीं बताऊंगी।” फिर मैंने उन्हें सब बता दिया – कैसे मैं उनके बारे में सोचता हूं, उनकी बूब्स चूसने का, चोदने का ड्रीम देखता हूं। वो सब सुनकर बस स्माइल कर रही थीं। पता नहीं मुझ में इतनी हिम्मत कहां से आई, मैंने उन्हें सीधे पकड़ कर किस करना शुरू कर दिया। वो मना कर रही थीं, फिर भी मैंने नहीं छोड़ा। फिर वो कुछ नहीं बोली।
मैंने कहा, “मुझे आपकी बूब्स देखनी हैं।” तो उन्होंने कहा, “देखो, पर किसी से कहना मत।” मैंने उनकी नाइटी उतार दी। वो पहले मना कर रही थीं, बाद में कुछ नहीं बोली। अब वो सिर्फ पेटीकोट में मेरे सामने थीं। मैंने उनकी बूब्स को चूसा, बहुत सqueeze किया – वो बड़े-बड़े, सॉफ्ट, निप्पल्स को जीभ से खेलाया, वो हल्के से मोअन कर रही। फिर मैंने उनके पेटीकोट में हाथ डालने लगा, तो वो मेरे कान खींचने लगीं। मैं बोला “प्लीज…”।
वो बोली ” “सिर्फ देखना, कुछ मत करना।” मैंने पेटीकोट ऊपर उठाया। उनकी चूत मेरे सामने थी, छोटे-छोटे हेयर्स थे – पिंक, वेट, सेक्सी। मैंने अंदर उंगली डालने लगा, वो आंखें बंद कर लीं, मोअन करने लगीं। फिर जब मैंने अपनी पैंट उतारकर उनके ऊपर गया, तो वो मुझे हटा लीं, बोलीं ” “ऐसे करने से मैं प्रेग्नेंट भी हो सकती हूं।” लेकिन मैं नहीं माना, तो उन्होंने कहा “प्लीज, देखो मैंने तुम्हारी बात मानी, अब तुम्हें मेरी बात माननी पड़ेगी।” मैंने चेहरा उदास बना लिया, तो वो मुझसे लिपटकर किस करने लगीं, और मुझे नीचे सुला दिया। उसके बाद वो मेरे लंड को पकड़कर हिलाने लगीं – उनकी सॉफ्ट हैंड्स, स्पीड बढ़ातीं, मैं खुशी से मचल रहा था। कुछ देर बाद मेरा निकल गया, सब उनके पेट पर गिरा। उन्होंने मेरे लंड पर किस किया, और मेरे बगल में सो गईं। उफ्फ, वो मोमेंट… लगा जैसे स्वर्ग मिल गया। तभी मम्मी का कॉल आया, तो मैं घर चला आया।
तब से मैं रोज उनके घर जाता, लेकिन कभी सेक्स करने का मौका नहीं मिला। उसके बाद मैं इंजीनियरिंग करने के लिए भुबनेश्वर आ गया। वैसे दोस्तों, आपको स्टोरी कैसी लगी, जरूर मेल करना। वैसे कोई आंटी अगर इंटरेस्टेड है तो मुझे मेल कर सकती है। मैं ओडिशा (भुबनेश्वर) का रहने वाला हूं। मेरी स्टोरी पढ़ने के लिए थैंक्स। अगली बार कोशिश करूंगा कि आपको मेरी स्टोरी और भी अच्छी लगे। टिल देन, बाय बाय।