Apni bahan ki chudai ki sage bhai ne , bahan ki gand mari , sister ko nangi karke choda
मेरा नाम आशीष है मैं लखनऊ का रहने वाला हूं, मैं एक मॉल में नौकरी करता हूं, वहां पर मैं एकाउंट्स का काम संभालता हूं। मुझे यहां पर काम करते हुए दो वर्ष हो चुके हैं। मेरी उम्र 25 वर्ष है। मेरे पिताजी भी पुलिस से रिटायर हो चुके हैं और वह घर पर ही हैं लेकिन जब से वह रिटायर हुए हैं तब से वह बहुत हमें बहुत ज्यादा परेशान करने लगे हैं क्योंकि उनका मन बिल्कुल भी घर पर नहीं लगता और वह हमें हमेशा कहते हैं कि तुम मेरे साथ कहीं घूमने नहीं चल रहे हो, हमारे पास में इतना वक्त नहीं हो पाता कि हम लोग अपने पिताजी के साथ घूमने जा पाय
मेरी बहन भी मुंबई में रहती है, वह मुंबई में ही नौकरी करती है। उसके पास भी समय नहीं होता इस वजह से हम अपने पिताजी के साथ घूमने नहीं जा पाते। हमारे सारे रिश्तेदार हमारे घर से काफी दूर रहते हैं इस वजह से मेरे पिताजी भी उनके पास नहीं जा पाते यदि कभी कोई रिश्तेदार हमारे घर पर आ जाए या फिर हमारे गांव से कोई हमारे घर पर आता है तो वह उनके साथ ही बैठे रहते हैं और काफी समय तक उससे बात करते हैं, उस दिन वह बहुत खुश होते हैं जब हमारे गांव से कोई रिश्तेदार आता है या फिर कोई उनका दोस्त घर पर आ जाता है।
उस दिन वह बहुत ही अच्छे से बात करते हैं और मुझे भी उन्हें देखकर अच्छा लगता है क्योंकि मुझे भी पता है की हम लोगों को उन्हें कहीं लेकर जाना चाहिए परंतु समय ना होने के कारण हम लोग उन्हें कहीं भी नहीं ले जा पा रहे हैं। मेरी मम्मी की तबीयत खराब रहती है इस वजह से वह ज्यादा बाहर नहीं जाती और घर पर ही रहती हैं। जिस दिन मेरी छुट्टी होती है उस दिन में ही उन्हें अस्पताल लेकर जाता हूं और उनका चेकअप करवाता हूं क्योंकि उनको शुगर की दिक्कत है इस वजह से उन्हें बहुत सारी बीमारियों ने जकड़ लिया है। मैं जिस मॉल में काम करता हूं वहां पर एक लड़की है उसका नाम रूपा है, उसके और मेरे बीच में काफी अच्छी दोस्ती है परंतु मैंने कभी भी उसे अपने दिल की बात नहीं कही।
मैं उसे अपने दिल की बात कहना चाहता हूं लेकिन मेरी हिम्मत ही नहीं हो पाती कि मैं उसे अपने दिल की बात कहूं इसी वजह से मैंने आज तक उसे कभी भी कुछ नहीं कहा। रूपा को भी शायद इस बात का आभास है कि मेरे दिल में उसके लिए कुछ चल रहा है लेकिन वह भी इस बारे में मुझसे कुछ बात नहीं करती। मैंने रूपा के बारे में अपनी बहन से भी कई बार कहा, वह कहती है कि तुम्हें थोड़ा हिम्मत दिखानी ही पड़ेगी तभी तुम रूपा से बात कर पाओगे। मैंने उसे कहा कि मैं उससे बात तो करता हूं लेकिन जिस दिन मुझे अपने दिल की बात उसे कहनी होती है
उस दिन मैं उसे बोल ही नहीं पाता। कई बार रूपा को मैं अपने साथ बाइक पर भी लेकर जाता था लेकिन फिर भी मैं उसे कह नहीं पाया, मैं सिर्फ उसे देख कर ही खुश हो जाता हूं। मेरे जितने भी दोस्त मेरे साथ काम करते हैं वह सब यह बात अच्छे से जानते हैं कि मैं रूपा को बहुत चाहता हूं परंतु मैं उसे अपने दिल की बात नहीं कह पाता। इस वजह से वह लोग मुझे कई बार सपोर्ट भी करते हैं लेकिन उसके बावजूद भी मैं कभी भी रूपा से कुछ कहने की हिम्मत ही नहीं कर पाया, हालांकि हम दोनों के बीच में बहुत अच्छी दोस्ती है लेकिन उसके बावजूद भी कभी मेरी उससे इस बारे में बात करने की हिम्मत नहीं हो पाई।
मुझे उसने एक बार अपने बर्थडे पार्टी में भी बुलाया था और जब मैं उसके बर्थडे पार्टी में गया तो मैं उसके लिए गिफ्ट भी लेकर गया। जब मैंने उसे वह गिफ्ट दिया तो वह बहुत खुश हुई क्योंकि वह गिफ्ट बहुत महंगा था और वह मुझे कहने लगी कि तुम इतना महंगा गिफ्ट मेरे लिए क्यों लाए हो, मैंने उसे कहा कि यह तुमसे ज्यादा महंगा नहीं है। रूपा को भी मेरे बारे में पता है कि मैं एक अच्छे घर से हूं, उसने उस दिन मुझे अपने घर वालों से भी मिलवाया। मैं जब उसके घर वालों से मिला तो मुझे बहुत खुशी हुई क्योंकि वह लोग बहुत ही सामाजिक और संस्कारी हैं। जब रूपा ने बताया कि यह आशीष हैं और मेरे साथ ही काम करते हैं तो उसके घर वालों मुझसे मिलकर बहुत खुश हुए। जब उस दिन पार्टी खत्म हो गई तो मैंने उससे कहा कि मैं घर जा रहा हूं और वह मुझे अपने घर के बाहर तक छोड़ने आई।
उस दिन मैंने उसे एक लेटर दे दिया और मैंने उसमें अपने दिल की बात लिख दी थी। मैंने उसे कहा कि जब मैं यहां से चला जाऊं तो तुम इस लेटर को पढ़ लेना। अब मैं वहां से जा चुका था और मैं कुछ ही दूर गया था तो मुझे रूपा का फोन आ गया और वह मुझसे कहने लगी कि मैं भी तो तुम्हें इतने समय से चाहती हूं लेकिन तुमने कभी भी मुझसे इस बारे में कुछ भी बात नहीं की इसलिए मैंने भी कभी तुम से इस बारे में बात नहीं की। जब उसने यह बात कही तो मैं बहुत खुश हुआ और मैं दोबारा उसके घर पर चला गया। जब मैं उसके घर पर गया तो मैंने उसे गले लगा लिया और वह बहुत ही खुश हुई। अब मैं उसके घर से चला गया और उससे उस दिन मैंने रात भर फोन पर बात की, मुझे नींद कब आ गई मालूम ही नहीं पड़ा।
रूपा और मेरा रिलेशन अब चलने लगा था इसलिए हम दोनों ज्यादा समय साथ में ही बताते थे। एक दिन मेरी बहन रेखा का फोन आया और वह कहने लगी कि मैंने अब दूसरी जगह शिफ्ट कर लिया है, तुम मम्मी और पापा को मुंबई ले आओ। मैंने उसे कहा कि मैं पहले आपने काम से छुट्टी ले लेता हूं, उसके बाद ही मैं उन्हें मुंबई लेकर आ पाऊंगा इसलिए मैंने अपनी छुट्टी की एप्लीकेशन अपने मैनेजर को दे दी। मैंने काफी समय से छुट्टी नहीं ली थी इसलिए उन्होंने मुझे कहा कि ठीक है तुम कुछ दिनों के लिए चले जाओ और फिर मैं अब मुंबई जाने की तैयारी करने लगा।
मैंने अपनी बहन को फोन कर दिया और उसे कहा कि मैं मम्मी-पापा को लेकर मुंबई आ रहा हूं, वह बहुत ही खुश हुई और मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था क्योंकि इतने समय बाद मैं रेखा से मिलने वाला था और वह भी हम लोगों से मिलने वाली थी। मैंने इस बारे में रूपा को भी बता दिया लेकिन रुपा को थोड़ा बुरा लग रहा था, मैंने उसे कहा कि मैं तुम्हें मुंबई से फोन करता रहूंगा। मैंने जब अपने पिताजी को इस बारे में बताया तो वह बहुत खुश हो गये और उन्होंने अपनी सारी पैकिंग कर ली। हम लोग मुंबई पहुंचे तो रेखा हमें लेने के लिए रेलवे स्टेशन आई हुई थी
अब हम उसके घर पर चले गए। जब हम उसके घर में गए तो उसने बहुत ही बड़ा घर लिया हुआ था। मैंने उसे कहा कि तुमने यहां पर कब शिफ्ट किया, वह कहने लगी कि मैंने कुछ समय पहले ही शिफ्ट किया इसलिए मैंने सोचा क्यों ना तुम लोगों को यहां बुला लिया जाए। मेरे पिताजी भी बहुत खुश थे क्योंकि इतने समय बाद वह घर से कहीं बाहर निकले थे। रेखा पहले अपने दोस्तों के साथ पीजी में रहती थी इसीलिए वह हमें कभी भी मुंबई नहीं बुला पाई परंतु अब उसने एक बड़ा फ्लैट किराए पर ले लिया था इसलिए उसने हमें मुंबई बुला लिया। हम लोग बहुत बात करते रहे, रेखा ने भी मम्मी के साथ काफी अच्छा समय बिताया और मुझे भी बहुत खुशी हो रही थी जब मैं रेखा के साथ मैं समय बिता रहा था।
मैंने रूपा को भी फोन किया और उसे बताया कि मैं मुंबई पहुंच चुका हूं, वह भी कहने लगी कि तुम मुझे अपनी फोटो भेजना, मैंने उसे अपनी फोटो भेज दी। रेखा हमें सामने के ही रेस्टोरेंट में ले गई, जब वह हमें अपने घर के सामने वाले रेस्टोरेंट में ले गई तो हम लोगों ने उससे वहीं पर अपना समय बिताया, रात को काफी देर तक हम लोग साथ मे ही बैठे हुए थे। अब हम लोग वहां से रेखा के फ्लैट में आ गए और काफी देर तक हम लोग बात करते रहे। रेखा ने भी अपने ऑफिस से कुछ दिनों के लिए छुट्टी ले ली थी ताकि वह हमें घुमा सके और हमारे साथ समय बिता सके। हम लोग घर पर आ गए जब हम लोग घर पर आए तो उस वक्त हम काफी देर तक बातें कर रहे थे। मेरे पिताजी कहने लगे मुझे तो नींद आ रही है मैं सोने के लिए जा रहा हूं।
मेरे पिताजी सोने के लिए चले गए और मेरी मां भी उनके साथ चली गई। रेखा और मैं एक ही कमरे में सोए हुए थे मैं काफी समय बाद उसके साथ सो रहा था इसलिए मैं उसे चिपक कर सो गया। मैंने रूपा को फोन कर दिया मैं रूपा से बात कर रहा था लेकिन उस दिन हम दोनों के बीच अश्लील बातें हो रही थी इसलिए मेरा लंड खड़ा हो गया। मेरा लंड रेखा से टकराने लगा जब मेरा लंड रेखा की गांड से टकराता तो वह पूरे मूड में आ गई।
उसने मेरे लंड को निकर से निकालते हुए हिलाना शुरू कर दिया वह बहुत तेजी से मेरे लंड को हिला रही थी जिससे कि मेरे अंदर की उत्तेजना जागने लगी। कुछ देर बाद उसने मेरे लंड को अपने मुंह में समा लिया और अच्छे से सकिंग करने लगी। मुझे नहीं पता था कि मेरी बहन मेरे लंड को अच्छे से चूसेगी। उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए वह पूरे मूड में आ चुकी थी। मैंने उसके दोनों पैरों को चौड़ा करते हुए उसकी योनि को चाटने शुरू कर दिया और काफी देर तक में उसकी चूत को चाटता रहा उसकी योनि से पानी बाहर निकलने लगा। मैंने जब उसकी चूत मे लंड को डाला तो मुझे बहुत अच्छा महसूस होने लगा।
मैं उसे बड़ी तीव्र गति से झटके दे रहा था उसके मुंह से सिसकिया निकल रही थी और वह भी पूरे मूड में आने लगी। मैंने उसे बिस्तर पर उल्टा लेटा दिया जैसे ही मैंने उसकी योनि में अपने लंड को डाला तो वह चिल्लाने लगी। कुछ देर बाद वह अपने चूतडो को मुझसे मिला रही थी। मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के देता और उसकी चूतडो को मैं नीचे कर देता लेकिन मुझसे उसकी योनि की गर्मी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रही थी और मेरा वीर्य रेखा की योनि के अंदर गिर गया मुझे बहुत अच्छा महसूस होने लगा और वह भी बहुत खुश हो गई।