Nadi Paar Karke Aaya Meri Tabadtod Chudai Karne
मेरी XXX जंगल में मंगल की कहानी में पढ़ें की कैसे हुई मेरे और एक लकड़हारे के बिच चुदाई.
हैल्लो दोस्तों मेरा नाम रेशमा सिंघ है.
मैं 28 साल की हूँ और मैं मुंबई की रहने वाली हूँ.
वैसे तो मैं दिखने में गोरी नारी और सुडौल होने के साथ काफ़ी सेक्सी हूँ, मेरी फिगर की साइज 36–24–38 है और कद 5 फिट 8 इंच है.
ये बात पिछले साल दशहरा की बात है, जब मैं बड़े दिनों बाद आपने गाँव वेश्यापूर (फ़र्ज़ी नाम) गई थी.
क्यूँकि मेरे माँ–बाप जब से मुंबई गए थे, वो गाँव जाते ही नहीं थे और ऊपर से उनका कारोबार भी मुंबई में अच्छा चाल रहा था.
लेकिन मेरे गाँव में मेरे चाचा–चाची रहते थे और उनका कोई अवलाद नहीं थे.
और वो कैसे है? कैसे नहीं? ये सोच कर मैं आपने गाँव जाने का फैसला ली.
वैसे तो पेशे से मैं एक सेक्स विशेषज्ञ हूँ और मैं छुटी में थी, इसीलिए दशहरा से कुछ दिन पहले ही गाँव गई थी.
गाँव आई तो पहली बार मैं प्रकृति की सुंदरता को देखि, चारो तरफ हरियाली–ही–हरियाली थी.
फिर मैं मेरे चाचा–चाची से मिली और मेरे चाचा आज भी घोड़े पालते है.
तो मुझे गाँव आए एक दिन हुए थे और मेरी एक सहेली भी बन गई थी, जिसका नाम चम्मपा था.
चम्मपा मुझे गाँव की कुछ सुनी–अनसुनी बातें बताने लगी तभी वो जंगल में एक नदी के बारे बताई.
कहते है नदी के दूसरे तरफ एक लोड़ापूर गाँव (फ़र्ज़ी नाम) है, जहाँ पिछड़ी जाति के लोग रहते है.
और वो अक्सर नदी पार करके हमारे गाँव की लड़कियों और औरतों को चोदने आते थे.
और ताली कभी एक हाँथ से तो बजती नहीं है, मतलब गाँव की लड़कियों और औरतों को भी उनसे चुदवाने में मज़ा आती थी.
क्यूँकि लोड़ापूर गाँव के लोगों का लंड बड़ा और मोटा होता है, जो गाँव की लड़कियों और औरतों को भरपूर आनंद देता है.
वहीं लोड़ापूर गाँव के लोगों का कहना था की हमारी गाँव की लड़कियों और औरतों की गांड गदराई और बड़ी होने के साथ बहुत साफ–सुथरी होती है.
और ऐसा कुछ सुनने के बाद तो मुझे भी लोड़ापूर गाँव के लोगों से चुदवाने की इच्छा हो रही थी.
तो मैं अगले दिन चम्मपा को आपने जंगल में साथ चलने के लिए बोली.
लेकिन चम्मपा को सब्जी बेचने शहर जाना था, इसीलिए मैं अकेली ही जंगल चली गई.
और जंगल में थोड़े अंदर जाने के बाद मुझे वो नदी नज़र आई और मैं नदी के तरफ गई.
नदी के पास गई तो देखि की नदी का पानी इतना साफ था की मैं उसे पी भी सकती थी.
लेकिन मैं तब प्यासी नहीं थी, इसीलिए मैं अपनी कपड़े उतारी और बिकिनी में आ कर नदी में कूद पड़ी.
और तभी पीछे से किसीने सीटी मारा और मैं मुड़ कर देखि, देखि तो एक 40–42 साल का आदमी तौलिया लापेटे हाँथ में फरसा लिए खड़ा था.
मैं समझ गई की ये उसी लोड़ापूर गाँव का कोई लकड़हारा है, एक दम हट्टा–कट्टा, काला–कलूटा, गठिला शरीर था उस आदमी का.
तो वो आदमी मुझे गंदे–गंदे इशारे करने लगा, तो मुझे हंसी आ गई और मैं भी हाँ का इशारा दी.
तब वो गठिला शरीर वाला आदमी अपना तौलिया उतार के एक दम नंगा हो गया.
और उसका बोखलाया हुआ तगड़ा बड़ा लंड उउफ्फ्फ… एक दम टन टनाए हुए खड़ा था.
और फिर वो आदमी नदी में कूद पड़ा, नदी की चौड़ाई कमसेकम 200 से 250 मीटर चौड़ा था.
और वो आदमी इतना बोखलाया हुआ था की उतने मीटर तैरते हुए मेरे तरफ आ भी गया.
और पानी के अंदर ही वो आदमी मुझे पकड़ने और चूचियों को दबाने लगा,…
तो मैं हँसते हुए उसे बोलने लगी : अरे पानी से बाहर तो चलो या यहीं सब कर दोगे.
तो वो आदमी बोलने लगा : मेरा तो पानी में ही चोदने का मान कर रहा है.
और वो आदमी मेरी बिकिनी को भी खोल दिया था, तब मैं उससे खुदको छुड़ाई और तैरते हुए नदी से बाहर नंगी आ गई.
और वो आदमी भी मेरे पीछे नदी से बाहर आ गया और मुझे पीछे से पकड़ के अपना लंड को मेरी चूत में डालना चहता था.
तो मैं उस आदमी से बोली : अरे! रुको… रुको…
तो वो आदमी बोला : क्या हुआ चोदी? चुदवाना नहीं है क्या?
तो मैं उस आदमी से बोली : चुदवाना तो है, पर पहले मैं तुम्हारे लंड को चख तो लूँ.
ये कहते हुए मैं उस आदमी के तरफ मुड़ते हुए घुटने पर आई और उस आदमी के मोटे काले लंड को पकड़ कर चाटने लगी.
तो वो आदमी सिसकते हुए बोलने लगा : ईईस्स्स… चोदी आज से पहले किसीने मेरे लंड को ऐसा चाटा ना था आहहह…
तो मैं उस आदमी से बोलने लगी : अभी तो तुम्हें और मज़ा आएगा.
ये कहते हुए मैं उस आदमी के लंड को अपनी मुँह में लेकर लंडखोर की तरह चूसने लगी.
और वो आदमी सिसकते हुए कहने लगा, “ईईस्स्स… आहह… ईईस्स्स… चोदी तू तो बहुत बड़ी लंडखोर लगती है आहह…”
और मैं उस आदमी के लंड को अपनी मुँह में पूरा लेना चाहती थी, पर उसका लंड बड़ा और मोटा था.
जिस वजह से मैं उस आदमी के लंड को पूरा नहीं ले पा रही थी, पर उसका लंड मेरी लार से लतपत हो चूका था.
फिर मैं उस आदमी के लंड को मुँह से बाहर निकाली और उसके साँड़ जैसे टट्टे को चाटने लगी.
वो आदमी भी सोच रहा होगा ये कौन फूहड़ है जो इतना टूट टूट कर उसके टट्टे को चूस–चाट रही है.
मैं उस आदमी के टट्टे को चूस–चाट कर चिपचिपा कर दी थी ओर और भी चूसना चाहती थी.
लेकिन उस आदमी ने मुझे उठाया और मुझे पीछे घुमा के झुका कर मेरी चूत में अपना लंड रगड़ते हुए धक्का दिया.
तब तो मेरी मुँह से आहहह… निकल गई थी और वो आदमी मेरी चूत में लंड घुसाते ही कमर पकड़ के ज़ोर–ज़ोर के धक्के देते हुए चोदने लगा था.
और मैं, “आहहह… ईईस्स्स्स… आहहह… “, करते हुए सिसकने लगी.
और वो आदमी ज़ोर–ज़ोर के धक्के देते हुए, “ईईस्स्स्स… आहहह… चोदी साली मस्त माल है रे तू “, बोले जा रहा था.
फिर वो आदमी चिढ़ते हुए ज़ोर–ज़ोर के तीन–चार धक्के मार कर मेरी हालत ख़राब करते हुए अपना लंड मेरी चूत से निकाला.
और मेरे पीछे बैठ के मेरी गांड को आपने हांथों से खोल के चाटने लगा उउफ्फ्फ… ईईस्स्स… उउह्ह्ह…
साला कमीना मेरी गांड की खुली छेद को ही चाट रहा था, जिससे मुझे बहुत मज़ा आ रही थी.
इसीलिए मैं खुद भी उस आदमी के मुँह में अपनी गांड रगड़ रही थी,”ईईस्स्स… उउह्ह्ह… ओह या!”, कहते हुए.
फिर वो आदमी उठा और मुझे थोड़ा आगे लेकर गया जहाँ नरम–नरम घास थे.
उस आदमी ने मुझे नरम घास में सीधा लेटा दिया और मेरे ऊपर लेट कर मेरी चूचियों को कस–कस के दबाते हुए चूसने लगा.
तब मैं,”ईईस्स्स… उउह्ह्ह… चूस मेरी चूचियों को चूस–चूस के आपने लार से लतपत कर दे ईईस्स्स…”, बोलने लगी.
तब वो आदमी मेरी चूचियों को और कस–कस के दबाते हुए चूसने लगा, तब मेरी मुँह से निकल,”आई उई माँ आहह…”
फिर वो आदमी थोड़ा उठा और मेरी दोनों टांगों को आपने कंधों में लाद कर मेरी चूत में अपना मोटा लंड सेट किया.
और मेरी चूत में अपना लंड घुसा दिया आहहह… ईईस्स्स… और थोड़ा आगे चढ़ कर मेरी चूत की चोदन शुरू कर दिया.
एक दम ताबड़तोड़ धक्के दे रहा था वो आदमी, जिससे मेरी 36 साइज की चूचियां भी ऊपर–निचे उछल रही थी.
और मैं आहहह… आहहह… ईईस्स्स… किए जा रही थी, तब उस आदमी ने धक्के मारते हुए मेरी दोनों चूचियों दबोच लिया.
और मेरी दोनों चूचियों को मसालते हुए धक्के देते हुए चोदने लगा, मेरी चूचियां एक दम लाल हो गई थी.
और उस आदमी के टट्टे मेरी गांड से लग रही थी और थप… थप… की आवाज़ आ रही थी.
मेरी चूत से सफ़ेद तरल भी निकलने लगी थी और हम दोनों पसीने से लतपत हो चुके थे.
और तभी वो आदमी धक्का मारते हुए मेरी दोनों टांगों को कंधों से उतार दिया.
और फिर आपने लंड को मेरी गीली चूत से बाहर निकाला और मेरे ऊपर आ के मेरी चूचियों पर अपना मुठ झड़ने लगा.
और वो भी कराहते हुए आहह… ईईस्स्स… पर उस आदमी का मुठ इतना सारा निकला की मेरी दोनों चूचियां उस आदमी के मुठ से लतपत हो गई थी.
तो वो आदमी मुस्कुराते हुए पूछा : बहुत ही चुदासी लगती हो, तुमहारा नाम क्या है चोदी?
तो मैं उसे अपना नाम बताई : रेशमा, नाम है मेरी और तुमहारा?
तो वो आदमी बोला : मेरा नाम संभु है, चाल आजा तुझे नहलाता हूँ.
और एक दूसरे का नाम जानने के बाद हम दोनों साथ में नहाए और नदी में गोते भी लगाए.
और फिर संभु मुझे बोला की, “आती रहो तुम्हारी जैसी चुदासी को चोदने में बड़ा मज़ा आया.”
ये बोल कर संभु चला तो गया, लेकिन उसके चुदाई ने जो मज़ा दिया की रात भर मैं अपनी चूत में ऊँगली करती रह गई और अगले दिन मैं फिर गई थी.