Ek Bhabhi Devar Ki Hot Sex Kahani : मैं, रोहन, 23 साल का एक जवान और फिट लड़का, दिल्ली के एक पॉश इलाके में अपने बड़े भाई, रवि, और उनकी पत्नी, रीना भाभी, के साथ रहता था। मेरा भाई एक मल्टीनेशनल कंपनी में सीनियर मैनेजर था, जिसके चलते वो अक्सर टूर पर रहता था। रीना भाभी, 28 साल की, एक ऐसी औरत थीं, जिनकी खूबसूरती और कामुकता किसी को भी पागल कर सकती थी। उनका गोरा रंग, लंबे रेशमी काले बाल, भरे हुए चूचे, और कसी हुई कमर हर बार मेरे दिल में आग लगा देती थी। भाभी की टाइट साड़ियां और डीप-कट ब्लाउज़ उनकी चूचियों को और उभारते थे, और उनकी मुस्कान मेरे लिए किसी जादू से कम नहीं थी। मैं हमेशा उनकी तरफ आकर्षित था, लेकिन भाई के सामने अपनी भावनाओं को दबाकर रखता था। ये कहानी उस रात की है, जब भैया घर पर नहीं थे, और भाभी ने मुझे अपनी चूचियों और चूत का दीवाना बना दिया। सबसे पहले आपको ये भी बता दूँ ये antarvasna.live डॉट कॉम पर पहली कहानी लिख रहा हूँ। रोजाना इस वेबसाइट पर आकर एक से बढ़कर एक सेक्सी कहानी पढता हूँ पर आज मुझे लिखने का मौक़ा मिल गया है। antarvasna.live डॉट कॉम पर रोजाना महिलाओं और हॉट सेक्सी लड़कियों की सेक्स कहानियां मिलती है।
आखिर इसकी शुरुआत कैसे हुई?
उस दिन सुबह भैया को एक इमरजेंसी मीटिंग के लिए मुंबई जाना पड़ा। “रोहन, मैं दो-तीन दिन में लौटूंगा। भाभी का ख्याल रखना,” भैया ने हड़बड़ी में कहा और निकल गए। मैंने हां में सिर हिलाया, लेकिन मेरे दिमाग में भाभी की छवि घूम रही थी। उस दिन भाभी ने एक टाइट नीली साड़ी पहनी थी, जिसमें उनकी चूचियां और कर्व्स साफ झलक रहे थे। मैं लिविंग रूम में बैठा टीवी देख रहा था, जब भाभी किचन से मेरे लिए कॉफी लेकर आईं। “रोहन, ये ले, कॉफी पियो,” भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा और मेरे बगल में सोफे पर बैठ गईं। उनकी साड़ी का पल्लू थोड़ा सरक गया था, और उनकी गहरी क्लीवेज मेरे सामने थी।
मैंने कॉफी का सिप लिया और कहा, “भाभी, आप आज बहुत खूबसूरत लग रही हैं।” भाभी ने शरारती अंदाज में मेरी तरफ देखा और बोलीं, “अच्छा? तू तो रोज़ मुझे ऐसे ही घूरता रहता है, रोहन।” उनकी बात सुनकर मेरी सांसें भारी हो गईं। मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “भाभी, आप इतनी हॉट हैं, कोई भी घूरेगा।” भाभी हंस पड़ीं और मेरे कंधे पर हल्के से थपकी देकर बोलीं, “बदमाश, तेरा भैया तुझसे ज्यादा हैंडसम है।” लेकिन उनकी आंखों में एक कामुक चमक थी, जो मुझे बेचैन कर रही थी।
उस दिन भाभी के साथ रात का माहौल
रात के करीब 9 बजे, मैं अपने कमरे में था, जब भाभी ने मुझे उनके कमरे में बुलाया। “रोहन, ज़रा इधर आ, थोड़ा मेरी मदद कर,” भाभी ने आवाज़ दी। मैं उनके कमरे में गया तो देखा कि भाभी ने अब एक पतली सी नीली नाइटी पहनी थी, जो उनकी चूचियों और जांघों को बमुश्किल ढक रही थी। “क्या हुआ, भाभी?” मैंने पूछा, लेकिन मेरी नजरें उनकी चूचियों पर टिकी थीं। भाभी ने मेरी नजर पकड़ ली और बोलीं, “रोहन, तुझे मेरी चूचियां इतनी अच्छी क्यों लगती हैं?” मैं शरमा गया, लेकिन भाभी ने मेरे पास आकर मेरी जांघ पर हाथ रखा और फुसफुसाया, “आज रात तू मेरे साथ सो, मुझे अकेले डर लग रहा है।”
मेरे शरीर में बिजली दौड़ गई। मैंने हल्के से हां में सिर हिलाया, और भाभी मुझे अपने बेड पर ले गईं। बेड पर बैठते ही भाभी ने मेरे करीब आकर कहा, “रोहन, तू जानता है, तेरा भैया मुझे अकेला छोड़कर कितना टाइम बाहर रहता है। मेरी चूत की आग कोई नहीं बुझाता।” उनकी बोल्ड बात सुनकर मेरा लंड तन गया। मैंने हिम्मत करके कहा, “भाभी, मैं आपकी हर आग बुझा सकता हूं।” भाभी की आंखें चमक उठीं, और उन्होंने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया।
कैसे हुई कामुक शुरुआत
भाभी ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उनका चुंबन इतना गहरा और जुनूनी था कि मैं सब कुछ भूल गया। उनकी जीभ मेरी जीभ से उलझी, और मेरे हाथ उनकी नाइटी के ऊपर से उनकी चूचियों पर चले गए। मैंने उनकी नाइटी का गला नीचे सरकाया, और उनकी गोरी, टाइट चूचियां मेरे सामने थीं। “भाभी, आपकी चूचियां तो जन्नत हैं,” मैंने कहा और उनके निप्पल्स को अपने मुंह में लिया। मैंने एक चूच को चूसना शुरू किया और दूसरे को हल्के से दबाया। भाभी सिसक उठीं, “आह… रोहन, और जोर से चूस… मेरी चूचियां तुझे बुला रही हैं!”
उनकी सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं। मैंने उनके निप्पल्स को अपने दांतों से हल्के से काटा, और भाभी की सांसें और भारी हो गईं। “रोहन, मेरी चूत को छू… वो गीली हो रही है,” भाभी ने कातरते हुए कहा। मैंने उनकी नाइटी को पूरी तरह उतार दिया, और उनकी काली पैंटी में उनकी चिकनी चूत साफ झलक रही थी। मैंने पैंटी के ऊपर से उनकी चूत को सहलाया, और वो पहले से ही टपक रही थी। “भाभी, आपकी चूत तो रस से भरी है,” मैंने कहा और उनकी पैंटी उतार दी।
मैंने अपनी जीभ उनकी चूत के दाने पर रखी और चाटना शुरू किया। भाभी चीख पड़ीं, “आह… रोहन, मेरी चूत को चाट… और गहरा!” उनकी चूत का रस मेरे मुंह में था, और मैं उसे चूस-चूसकर पागल कर रहा था। भाभी ने मेरे बाल पकड़ लिए और मेरे मुंह को अपनी चूत में दबा लिया। “रोहन, तू मेरी चूत का दीवाना है,” वो सिसकते हुए बोलीं। मैंने उनकी चूत को इतना चाटा कि वो झड़ने के कगार पर पहुंच गईं।
भाभी की चुदाई की शुरुआत कैसे हुआ ये पढ़िए
भाभी ने मेरी टी-शर्ट और जीन्स उतार दी। मेरा तना हुआ लंड देखकर वो बोलीं, “रोहन, तेरा लंड तो तेरे भैया से कहीं बड़ा है!” उन्होंने मेरे लंड को अपने नाजुक हाथों में लिया और इसके टोपे को चाटना शुरू किया। उनकी जीभ मेरे लंड की नसों पर नाच रही थी, और मैं सातवें आसमान पर था। “भाभी, आपका मुंह तो स्वर्ग है,” मैं कराहते हुए बोला। भाभी ने मेरा लंड गहराई तक अपने मुंह में लिया और चूसने लगीं। मैं उनके चूचों को दबा रहा था, और उनकी सिसकारियां मेरे लंड को और तनाव दे रही थीं।
“रोहन, अब डाल दे… मेरी चूत तड़प रही है,” भाभी ने चीखते हुए कहा। मैंने उन्हें बेड पर लिटाया और उनकी टांगें फैलाकर अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ा। उनकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड आसानी से फिसल रहा था। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा लंड उनकी चूत में गहराई तक उतर गया। “आह… रोहन, तेरा लंड मेरी चूत फाड़ रहा है!” भाभी चीखीं। मैंने उनके चूतड़ पकड़ लिए और जोर-जोर से चोदने लगा। उनकी चूचियां मेरे हर धक्के के साथ उछल रही थीं।
मैंने फिर से उनकी चूचियों को चूसना शुरू किया। एक चूच को अपने मुंह में लेकर चूस रहा था, और दूसरे को अपने हाथों से दबा रहा था। “रोहन, मेरी चूचियां चूस-चूसकर चोद… और जोर से!” भाभी चिल्लाईं। उनकी बात सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया। मैंने अपनी रफ्तार तेज की, और उनकी चूत मेरे लंड को निगल रही थी। कमरा हमारी सिसकारियों और बेड की चरमराहट से भर गया था।
चुदाई में नया मोड़ कैसे आया मैंने भाभी को पलटकर डॉगी स्टाइल में लिटाया। उनकी गोल-मटोल चूतड़ मेरे सामने थे, और मैंने उस पर एक हल्की सी चपत मारी। “भाभी, आपकी गांड भी चोदने लायक है,” मैंने कहा। भाभी ने शरारती अंदाज में जवाब दिया, “तो चोद ना, रोहन… मेरी गांड तेरे लिए ही है।” मैंने अपनी उंगलियां उनकी चूत के रस से गीली कीं और उनकी टाइट गांड में डालीं। भाभी सिसक उठीं, लेकिन अपनी गांड को और पीछे धकेला।
मैंने अपने लंड को उनकी गांड के छेद पर रखा और धीरे-धीरे अंदर धकेला। “आह… रोहन, तेरा लंड मेरी गांड चीर रहा है!” भाभी चीखीं, लेकिन उनकी आवाज में सुख की लहर थी। मैंने धीरे-धीरे रफ्तार बढ़ाई, और मेरा लंड उनकी गांड में अंदर-बाहर होने लगा। उनकी चूत से रस टपक रहा था, और उनके चूतड़ मेरी जांघों से टकरा रहे थे। मैंने फिर से उनकी चूचियां पकड़ लीं और उन्हें दबाते हुए उनकी गांड चोदने लगा। “रोहन, मेरी चूचियां और गांड… दोनों को रगड़ दे!” भाभी चिल्लाईं।
मैंने भाभी को फिर से पलटाया और उनकी टांगें अपने कंधों पर रखीं। मेरा लंड उनकी चूत में फिर से घुसा, और मैं उन्हें जोर-जोर से चोदने लगा। उनकी चूचियां मेरे सामने उछल रही थीं, और मैंने फिर से उनके निप्पल्स को चूसना शुरू किया। “रोहन, मेरी चूचियां चूस-चूसकर चोद… मुझे जन्नत दिखा दे!” भाभी की सिसकारियां और तेज हो गईं। मैंने अपनी पूरी ताकत लगा दी, और उनकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी।
भाभी की चुदाई और चरमसुख
“भाभी, मैं झड़ने वाला हूं,” मैंने कराहते हुए कहा। भाभी ने अपनी चूत को और सिकोड़कर कहा, “रोहन, मेरे अंदर झड़… मुझे तेरा गर्म रस चाहिए!” मेरे धक्के अब और तेज हो गए। उनकी चूत और गांड दोनों मेरे लंड से रगड़ खा चुकी थीं। आखिरकार, मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा गर्म रस उनकी चूत में भर गया। भाभी भी उसी पल झड़ गईं, और उनकी चूत का रस मेरे लंड पर बहने लगा। हम दोनों हांफते हुए बेड पर गिर पड़े। हमारी देहें पसीने और रस से चिपचिपी थीं।
भाभी ने मेरे गाल पर एक चुम्मी दी और बोलीं, “रोहन, तूने मेरी चूचियां और चूत को जन्नत दिखा दी।” मैंने हंसते हुए जवाब दिया, “भाभी, आपकी चूचियां मेरे लंड की गुलाम हैं।” हम दोनों हंस पड़े, और उस रात हमने फिर से दो बार चुदाई की। पहली बार मैंने उनकी चूचियों को चूसते हुए उनकी चूत चोदी, और दूसरी बार उनकी गांड को रगड़-रगड़कर चोदा।
उस चुदाई के बाद जो भाभी और देवर का एक नया रिश्ता बना
उस रात के बाद, मेरा और भाभी का रिश्ता बदल गया। जब भी भैया घर से बाहर होते, भाभी मेरे बेड पर होतीं। उनकी चूचियां और चूत अब मेरे लिए एक नशा बन चुकी थीं। एक बार तो भाभी ने मुझे किचन में पकड़ लिया और काउंटर पर चढ़ाकर मेरे लंड की सवारी की। उनकी चीखें और मेरी सिसकारियां पूरे घर में गूंज रही थीं। एक और बार हमने बाथरूम में शॉवर के नीचे चुदाई की, जहां मैंने उनकी चूचियों को चूसते हुए उनकी चूत और गांड दोनों को रगड़ा।
भाभी की चूचियां चूसना मेरे लिए एक आदत बन गई थी। हर बार जब मैं उनकी चूचियों को अपने मुंह में लेता, उनकी सिसकारियां मुझे और जोश दिलाती थीं। उनकी चूत का रस मेरे लंड का पसंदीदा स्वाद बन चुका था। हमारा ये गुप्त रिश्ता एक अनकहा राज बन गया। भाभी की चूचियां और चूत अब मेरे लंड की आदी हो चुकी थीं। हर रात, जब मैं बिस्तर पर लेटता, भाभी की नंगी देह मेरे दिमाग में घूमती। उनकी कामुकता और खूबसूरती ने मुझे ऐसा जकड़ा कि मैं बार-बार उनके पास खिंचा चला जाता।
अगली सुबह
अगली सुबह, जब मैं नाश्ता कर रहा था, भाभी मेरे पास आईं और मेरे कंधे पर हाथ रखकर फुसफुसाया, “रोहन, आज रात फिर से मेरी चूचियां चूसना और मेरी चूत को चोदना।” मैंने हंसते हुए जवाब दिया, “भाभी, आपकी चूचियां और चूत मेरे लंड की गुलाम हैं।” उनकी हंसी पूरे घर में गूंज उठी, और हमारी आंखों में वही जुनून फिर से जल उठा।
हमारा रिश्ता अब सिर्फ भाभी-देवर का नहीं रहा था। भाभी की चूचियां, उनकी चूत, और उनकी गांड मेरे लिए एक जुनून बन चुकी थीं। हर बार जब भैया घर से बाहर जाते, भाभी मेरे बेड पर होतीं, और मैं उनकी चूचियों को चूस-चूसकर उनकी चूत और गांड को चोदता। उनकी सिसकारियां मेरे लिए एक संगीत थीं, और उनका रस मेरे लंड के लिए अमृत।
एक और मुलाकात
एक बार भाभी ने मुझे रात में छत पर बुलाया। दिल्ली की ठंडी हवा में भाभी ने सिर्फ एक पतली शॉल ओढ़ रखी थी। मैंने उनकी शॉल हटाई और उनकी चूचियों को चूसना शुरू किया। भाभी ने मेरे लंड को अपने मुंह में लिया, और हमने छत पर ही चुदाई की। उनकी चूत का रस मेरे लंड पर बह रहा था, और उनकी चूचियां मेरे मुंह में थीं। उस रात हमने घंटों तक चुदाई की, और भाभी की सिसकारियां दिल्ली की रात में गूंजती रहीं।
निष्कर्ष
भाभी की चूचियां चूस-चूसकर चोदना मेरे लिए एक नशा बन गया था। उनकी चूत और गांड मेरे लंड की गुलाम थीं, और उनकी सिसकारियां मेरे दिल की धड़कन। हमारा ये रिश्ता एक गुप्त जुनून था, जो हर रात और गहरा होता गया। भाभी की चूचियां, उनकी चूत, और उनकी गांड मेरे लिए एक ऐसी दुनिया थी, जहां मैं बार-बार खो जाना चाहता था।