एक रात स्लीपर बस में चुदाई – हॉट हिंदी सेक्स स्टोरी

Sleeper Bus Sex Story : भाई, मेरा नाम अंकित है। 27 साल का हूँ, और मैं पुणे में एक छोटी सी आईटी कंपनी में कोडर हूँ। जिंदगी की भागदौड़ में कभी-कभी गाँव जाना पड़ता है, फैमिली को देखने। इस बार दिवाली से पहले गया था, लेकिन काम की वजह से रात को ही लौटना पड़ा। स्लीपर बस ली – वो भी AC वाली, डबल बर्थ। बस में चढ़ा, थका-हारा, सीट नंबर 12-अपर, जो एक सिंगल बर्थ था। लाइट्स डिम, इंजन की हल्की सी गड़गड़ाहट, और बाहर हाईवे की रोशनी। मैं बर्थ पर लेटा, आँखें बंद। तभी महसूस हुआ कि कोई मेरी बगल वाली बर्थ पर चढ़ रही है। नजर खोली – एक लड़की, 24-25 की होगी, बैग रख रही। वो मुस्कुराई, “हाय, आप भी यहीं?” उसकी आवाज मीठी। मैंने हामी भरी। उसका नाम सोनाली था, मुंबई जा रही थी, जॉब इंटरव्यू के बाद। गोरी, लंबे बाल, टी-शर्ट और जींस में – चूचियाँ उभरी हुईं, कमर पतली, और गांड इतनी टाइट कि बस देखकर मन विचलित। बातें शुरू हुईं – जॉब, गाँव, शहर की जिंदगी। धीरे-धीरे माहौल गर्म होने लगा। बस रुकी, लाइट्स और डिम। सोनाली बोली, “अंकित, नींद नहीं आ रही। थोड़ी बात करें?” मैं पास सरका। उसकी जांघ मेरी से टच। वो सिहर गई। “सोनाली, तू बहुत क्यूट है।” मैंने कहा। वो हँसी, “तू भी। लेकिन ये बस… प्राइवेसी नहीं।” लेकिन उसकी आँखों में वो चमक थी। रात के 2 बजे, बस अंधेरी। मैंने हिम्मत की, हाथ उसके कंधे पर। वो नहीं हटी। और फिर… वो रात, स्लीपर बस में चुदाई का तूफान आ गया। सोनाली चुदक्कड़ निकली, और वो चुदाई इतनी जोखिम भरी थी कि आज भी याद आती है – हाईवे की धड़कन के साथ। ये मेरी वो कहानी है, जो कभी किसी को न बताऊँगा। सच्ची-सी, दिल की गहराई से निकली, यात्रा की देसी महक के साथ, बिना किसी बनावटी मसाले के।


बस चली थी, हाईवे पर। ऊपर की बर्थ पर प्राइवेसी थी – कर्टन लगे, लेकिन हल्का सा खुला। सोनाली पास लेटी, हमारी साँसें मिल रही। “अंकित, तू कभी सोचा, बस में कुछ हो जाए?” वो फुसफुसाई। मेरा दिल धड़का। “क्या सोचा?” मैंने पूछा। वो करीब आई, होंठ मेरे कान पर। “कुछ हॉट…” उसके हाथ मेरी छाती पर। मैंने उसे गले लगा लिया। किस शुरू – होंठों का स्पर्श। सोनाली की जीभ अंदर, गर्म। मैंने उसके बाल पकड़े, जोर से चूमा। जीभें लड़ रही, साँसें तेज। “सोनाली… ये जोखिम भरा है। कोई कंडक्टर आ गया तो…” लेकिन मेरा लंड पैंट में फड़फड़ा रहा। वो बोली, “जोखिम में मजा है। कर्टन बंद कर। बस की हलचल में कोई नोटिस नहीं करेगा।” मैंने कर्टन खींचा। अंधेरा, बस की हल्की सी कंपन। मैंने उसका टॉप ऊपर किया। टी-शर्ट सरकाई, ब्रा दिखी – ब्लैक लेस वाली, चूचियाँ उभरी हुईं। “सोनाली, तेरी चूचियाँ… कितनी सॉफ्ट लग रही।” मैंने ब्रा का हुक खोला। चूचियाँ बाहर आ गईं – गोल-गोल, मध्यम साइज, निप्पल पिंक और हार्ड हो चुके। मैंने एक चूची मुँह में ली, धीरे से चूसना शुरू किया। जीभ से निप्पल के चारों तरफ घुमाई, फिर हल्के से दांत से काटा। सोनाली सिसकारी भर आई, लेकिन दबी आवाज में, “आह… अंकित… चूसो… मेरी चूचियाँ चूसो… जोर से दबाओ इन्हें… बस हिल रही, मजा दोगुना…” मैंने दूसरी चूची हाथ में ली, उंगलियों से मसला, निप्पल को पिंच किया। सोनाली का बदन काँप रहा था, वो मेरे सिर को अपनी चूचियों की तरफ दबा रही थी। “उफ्फ… तेरी जीभ कितनी गर्म… और चूसो… निप्पल काटो… हाय… दर्द हो रहा लेकिन मजा आ रहा… मेरी चूचियाँ तेरी हैं… दूध निकाल ले… बस की कंपन से चूचियाँ उछल रही… आह…” मैंने चूसते हुए दोनों चूचियों को बारी-बारी से दबाया, मसला, जैसे निप्पल से कुछ निकाल रहा हूँ। सोनाली की सिसकारियाँ दबीं, लेकिन तेज। “अंकित… तेरे मुँह से… जैसे बिजली दौड़ रही… और जोर से… मेरी चूचियाँ लाल हो गईं… हाय… काटो निप्पल… बस रुकी… कोई उतर रहा… लेकिन मत रुको…”

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मेरा हाथ नीचे सरक गया। जींस का बटन खोला। पैंटी गीली। “सोनाली, तेरी चूत… रस टपक रहा।” जींस नीचे सरकाई। पैंटी साइड। चूत गोरी, क्लीन शेव्ड, क्लिट उभरी, रस चमक रहा। घुटनों पर, जीभ से चूत पर लंबी चाट दी – ऊपर से नीचे। क्लिट पर जीभ घुमाई, फिर मुंह में लेकर चूसा। सोनाली चीखी दबी आवाज में, “आह… चाट… मेरी चूत चाट… जीभ अंदर डाल… क्लिट चूसो जोर से…” मैंने जीभ चूत के होल में घुसाई, चोदने जैसे घुमाई। एक उंगली अंदर डाली, फिर दो। क्लिट चूसते हुए उंगलियों से चोदा, घुमाया। सोनाली की कमर उछलने लगी, पैर फैलाए रखने की कोशिश कर रही, लेकिन बर्थ छोटी। “हाय… फिंगर फक… और तेज… क्लिट काटो जीभ से… उफ्फ… मैं झड़ रही हूँ… रस निकल रहा… पी लो अंकित… बस की हलचल में चूत काँप रही…” उसका रस फव्वारे की तरह निकला, गर्म और मीठा। मैंने सब चाट लिया, जीभ से साफ किया। सोनाली हाँफ रही थी, हाथ मेरे बालों में फँसे, आँखें बंद। “अंकित… तू तो जान लेता है… कभी ऐसा मजा नहीं आया… मेरी चूत अभी भी काँप रही… बस रुकी… कोई चढ़ रहा… लेकिन तेरी जीभ का स्वाद…”


“अब तू मेरा लंड चूस,” मैंने कहा। सोनाली घुटनों पर बैठ गई। मेरी पैंट उतारी। लंड बाहर आया – मोटा, 7 इंच, सुपारा लाल, नसें फूली। “अंकित, तेरा लंड… कितना तगड़ा लग रहा।” सोनाली ने हाथ में लिया, सहलाया, फिर जीभ से सुपारे पर चाटा। धीरे से मुँह में डाला, चूसने लगी। जीभ लंड की लंबाई पर फेर रही, गले तक ले रही। मैं सिसकारा, “सोनाली… चूस… जोर से चूस मेरा लंड… गले तक ले… थूक गिरा…” मैंने उसके बाल पकड़े, हल्का सा दबाया। वो थूक गिराकर लंड को गीला कर रही, चूसते हुए बॉल्स को हाथ से सहला रही। “तेरा लंड का स्वाद… नमकीन… और मोटा… मुंह भर गया… चूसूँगी सारी रात… बस की कंपन से लंड हिल रहा…” सोनाली की आँखें ऊपर उठीं, जैसे मजा ले रही हो। मैं कमर हिला रहा, “तेरी जीभ… कमाल कर रही… चूसती जा… सुपारा काट… बॉल्स चाट… आह… बस मुड़ रही… कोई नीचे बात कर रहा…”

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सोनाली को बेड पर लिटाया। उसके पैर फैलाए, चूत खुली हुई, अभी भी रस से चमक रही। मैंने लंड चूत पर रगड़ा, सुपारे से क्लिट को सहलाया। “सोनाली, तैयार है?” वो बोली, “हाँ अंकित… चोद… बस में चूत फाड़ दे।” मैंने धीरे से सुपारा अंदर दबाया। चूत टाइट थी, लंड को जकड़ लिया। “आआआ… अंकित… कितना मोटा है… धीरे…” मैंने आधा लंड अंदर किया, फिर पूरा धक्का मारा। सोनाली चीखी, “आह… फट गई चूत…” लेकिन कमर ऊपर उठाई। धक्के शुरू – मिशनरी में, धीरे-धीरे तेज। थप-थप की आवाज बस की गड़गड़ाहट में दब गई। सोनाली की चूचियाँ उछल रही थीं, मैंने उन्हें दबाया, निप्पल पिंच किए। “ले सोनाली… ले मेरा लंड… तेरी चूत कितनी गर्म और टाइट… फाड़ रहा हूँ… बस हिल रही, धक्के और गहरे…” सोनाली चिल्ला रही, दबी आवाज में, “जोर से अंकित… चोद… बस में चूत फाड़… लंड पूरा अंदर घुसा… उफ्फ… गहराई तक जा रहा… और तेज धक्के मार… चूत की दीवारें रगड़ रही लंड से… आह… कोई नीचे चल रहा… लेकिन मत रुको…”

पोजिशन बदली। सोनाली घुटनों पर, डॉगी स्टाइल। उसकी गांड ऊपर, गोल-गोल। मैंने पीछे से लंड चूत में घुसाया। कमर पकड़ी, धक्के मारे। “सोनाली, तेरी गांड कितनी मस्त… थप्पड़ मारूँ?” वो बोली, “हाँ अंकित… मार… पीछे से चोद जोर से…” मैंने हल्का थप्पड़ मारा, बाल पकड़े, सिर पीछे खींचा। धक्के तेज हो गए, लंड बाहर निकालकर फिर घुसाया। सोनाली की चूत से रस बह रहा, लंड पर चिपक रहा। “आह… अंकित… बाल खींच… गांड दबा… चोद रंडी की तरह… लंड गहरा… चूत फाड़…” मैंने गांड दबाई, थप्पड़ मारे। फिर लंड निकाला, थूक लगाया, सुपारा गांड पर रगड़ा। “गांड चोदूँ?” सोनाली हाँफ रही, “हाँ… गांड फाड़ अंकित… लेकिन धीरे शुरू…” मैंने सुपारा धीरे से दबाया। टाइट गांड लंड को निचोड़ रही। “आआआ… दर्द… लेकिन चोद…” पूरा घुसाया, धक्के मारे। हाथ से चूत रगड़ा, उंगली अंदर। सोनाली चीखी, “उफ्फ… गांड में लंड… चूत में उंगली… मैं झड़ रही… रस निकल रहा… बस मुड़ रही… कोई चिल्ला रहा… लेकिन मजा आ रहा…”


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फिर काउगर्ल। सोनाली मेरे ऊपर चढ़ी, लंड चूत में लिया। “अब मैं तुझे चोदूँगी अंकित।” वो ऊपर-नीचे उछलने लगी, लंड पर बैठकर घुमाई। चूचियाँ मेरे चेहरे पर लटक रही, मैंने चूसीं, निप्पल काटा। “तेरा लंड… चूत का राजा… गहरा जा रहा… स्पीड बढ़ा अंकित…” मैं नीचे से धक्के मार रहा, हाथ से गांड दबा रहा। सोनाली की स्पीड बढ़ गई, कमर घुमाने लगी। “अंकित… तेरी चूचियाँ चूस… और जोर से उछलूँ? चूत लंड को निचोड़ रही… रस बह रहा… बस की कंपन से लंड और गहरा लग रहा…” फिर रिवर्स काउगर्ल – सोनाली उल्टी होकर बैठी, गांड मेरी तरफ। मैंने गांड दबाई, थप्पड़ मारे। “उछल सोनाली… तेरी गांड कमाल… चूत में लंड घुस रहा… गांड पर थप्पड़… आह… कोई नीचे बात कर रहा…” वो उछल रही, रस बह रहा, बर्थ गीला हो गया। सोनाली बोली, “अंकित… तेरी उंगलियाँ गांड में डाल… डबल पेनिट्रेशन… आह… मजा आ रहा… चूत और गांड दोनों भरी…”


हम 69 पोजिशन में आए। मैं नीचे लेटा, सोनाली ऊपर। उसकी चूत मेरे मुँह पर। मैंने जीभ अंदर डाली, क्लिट चूसा, उंगलियाँ चोदा। सोनाली मेरा लंड चूस रही, बॉल्स चाट रही। “उफ्फ… अंकित… 69 में मजा… तेरी चूत का रस पी रहा… तू मेरा लंड चूस… गले तक ले… थूक गिरा…” सोनाली की जीभ लंड पर घूम रही, थूक गिराकर चूस रही। हम दोनों पागल, रस बह रहा, कमरा सिसकारियों से भरा। सोनाली बोली, “अंकित… तेरी जीभ चूत में… मैं फिर झड़ूँगी… लंड पर जीभ फेरूँगी… बस रुकी… कोई उतर रहा… लेकिन तेरी चूत चाटूँगी…”

आखिर में मिशनरी। मैं ऊपर आया, सोनाली के पैर कंधे पर रखे। धक्के मारे – तेज, गहरे। “सोनाली, झड़ने वाला हूँ।” वो बोली, “अंदर डाल अंकित… चूत में माल गिरा… बस में चूत भर दे।” मैंने स्पीड बढ़ाई, लंड फूल गया। झड़ गया, गर्म वीर्य चूत में भरा। सोनाली भी झड़ी, पैर काँप रहे, नाखून मेरी पीठ पर गड़ गए। हम पसीने से भीगे लेटे रहे, साँसें तेज। सोनाली बोली, “अंकित… ये रात… बस की यात्रा कभी न भूलूँगी। नंबर दे।”

रात भर चुदाई – दो राउंड। सुबह बस रुकी, सोनाली बोली, “अंकित, मिलेंगे।” बस में चुदाई – जोखिम, लेकिन जिंदगी का सबसे गर्म सफर।


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