ठंडी दिसंबर में ज्योति दीदी के साथ पहला प्यार

ज्योति दीदी और मेरे बीच की खास प्रेम कहानी, जो बचपन से शुरू होकर एक ठंडी दिसंबर रात को नई ऊंचाइयों तक पहुंची। पढ़ें कैसे हमने अपने दिल की बातें और इच्छाओं को एक-दूसरे के साथ साझा किया।

ज्योति दीदी मुझसे एक साल बड़ी हैं। मैं 22 साल का हूँ और दीदी 24 की। हम दोनों एक ही कॉलेज में, एक ही क्लास में बीएससी कर रहे हैं। बचपन से ही हमारा रिश्ता बहुत खास रहा है। मैं जब स्कूल में था, तभी मुझे दीदी की खूबसूरती ने पहली बार आकर्षित किया। उनकी वो हल्की-सी मुस्कान, वो चमकती आँखें—मैं बस खो सा गया था। तब से मेरे मन में दीदी के लिए एक अलग ही एहसास पनपने लगा।

एक ठंडी दिसंबर की सुबह थी। मैं बाथरूम में नहाने गया, लेकिन दरवाजा खुला था। अंदर दीदी नहा रही थीं। उनकी गीली स्किन, पानी की बूँदें जो उनके कंधों से नीचे सरक रही थीं—मैं एकदम स्तब्ध रह गया। दीदी ने मुझे देखा, लेकिन वो ना घबराईं, ना छिपीं। उनकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी, जैसे वो भी उस पल को जीना चाहती थीं। मैंने जल्दी से सॉरी कहा और वहाँ से चला गया, लेकिन मेरा दिल धड़क रहा था।

हम कॉलेज साथ में कार से जाते थे। उस दिन रास्ते में हम दोनों खामोश थे। नज़रें मिलीं, तो दीदी ने हल्की-सी स्माइल दी। मैंने भी वापस स्माइल की, लेकिन कुछ बोला नहीं। उस खामोशी में एक अनकहा-सा जादू था।

रात को हम एक ही बेड पर, एक ही रजाई में सोते थे। दिसंबर की सर्दी थी, और हम पास-पास बैठकर पढ़ रहे थे। मैं बायोलॉजी का चैप्टर “रिप्रोडक्टिव सिस्टम” पढ़ रहा था। उसमें सारी डिटेल्स थीं—लड़के-लड़कियों के बॉडी पार्ट्स, सेक्स, और बच्चे कैसे होते हैं। डायग्राम्स देखकर मेरा दिमाग सुबह की घटना पर अटक गया। दीदी की खूबसूरती मेरे ज़हन में घूम रही थी।

दीदी मेरे बगल में रजाई ओढ़कर सो चुकी थीं। मैंने धीरे से अपना अंडरवियर उतारा और अपने लंड को सहलाने लगा। ये मेरे लिए पहला अनुभव था। मेरा शरीर गर्म हो रहा था, दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मैंने दीदी के सिर के पास बैठकर खुद को और excite किया। जब मेरा स्पर्म निकला, मैंने उसे अपने हाथ में लिया और दीदी के होंठों पर हल्के से लगाया। फिर मैंने उनके होंठों को चाटा। दीदी नींद में थीं, उन्हें कुछ पता नहीं चला। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, लेकिन डर भी था कि कहीं दीदी जाग न जाएँ।

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फिर मैं दीदी के बगल में लेट गया और उनके करीब चिपक गया। मैंने हल्के से उनका टॉप ऊपर किया और उनके पेट पर हाथ फेरा। धीरे-धीरे मेरा हाथ उनकी ब्रा तक गया। मैंने उनके बूब्स को हल्के से दबाया। मेरा शरीर एक अनजाने नशे में डूब रहा था। मैंने दीदी की सलवार के नीचे हाथ डाला और उनकी पैंटी पर फेरा। मुझे उनकी चूत को छूने की इच्छा हुई, लेकिन मैंने खुद को रोका और सोने की कोशिश की।

अगली रात कुछ अलग थी। मैं फिर वही सब करने लगा, लेकिन इस बार दीदी अचानक जाग गईं। मैं डर गया और सोने का नाटक करने लगा। दीदी ने मुझे हिलाया, लेकिन मैंने कोई रिएक्शन नहीं दिया। फिर दीदी ने मेरा हाथ लिया और अपने पेट पर रखा। धीरे-धीरे उन्होंने मेरा हाथ अपने बूब्स पर ले जाकर दबाया। मैं हैरान था, लेकिन खुश भी।

दीदी ने मेरे अंडरवियर में हाथ डाला और मेरे लंड को सहलाने लगीं। उनकी उंगलियाँ मेरे शरीर में करंट दौड़ा रही थीं। जब मेरा स्पर्म निकला, दीदी ने उसे अपने हाथ में लिया और चाट लिया। फिर उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में लिया और चूसने लगीं। मैं स्वर्ग में था। दीदी के मुँह की गर्मी और उनकी जीभ का जादू मुझे पागल कर रहा था।

15 मिनट बाद मैं फिर से झड़ गया, और दीदी ने मेरा सारा स्पर्म पी लिया। मैं उठकर बैठ गया। दीदी मुझे चुपचाप देख रही थीं। 2 मिनट बाद दीदी बोलीं, “भाई, तुम मेरे बॉयफ्रेंड बनोगे?” मैंने उन्हें गले लगा लिया। दीदी ने बताया कि वो कल रात जाग रही थीं, जब मैंने उनके होंठों पर स्पर्म लगाकर kiss किया था। उन्हें वो बहुत अच्छा लगा था।

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दीदी ने मेरे होंठों पर kiss किया और मेरा लंड फिर से सहलाने लगीं। मैंने भी उनके बूब्स दबाए। हम 15 मिनट तक एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे, एक-दूसरे को excite करते रहे। मैंने दीदी से कहा, “दीदी, मेरा लंड फिर से चूसो ना।” दीदी ने मेरा लंड अपने मुँह में लिया और चूसने लगीं। मैंने उनके सिर को पकड़ा और हल्के से अपने लंड को उनके मुँह में मूव किया। फिर मैं उनके मुँह में ही झड़ गया। दीदी ने सारा स्पर्म खा लिया, जैसे कोई स्वादिष्ट क्रीम हो।

मैंने दीदी की कुर्ती उतारी। वो अब सिर्फ़ ब्रा और स्कर्ट में थीं। फिर मैंने उनकी स्कर्ट भी उतार दी। दीदी अब सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थीं। वो इतनी hot और सेक्सी लग रही थीं कि मैं बस उन्हें देखता रह गया। दीदी ने मेरा टी-शर्ट और लोअर उतारा। मैं सिर्फ़ अंडरवियर में था। फिर दीदी ने मेरा अंडरवियर उतारा, और मैंने उनकी ब्रा और पैंटी।

हम दोनों अब बिल्कुल नंगे थे। दीदी बेड पर खड़ी थीं, और मैं नीचे बैठकर उनकी चूत को देख रहा था। उनकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे, और वो बहुत टाइट थी। मैंने एक उंगली उनकी चूत पर रखी और सहलाने लगा। दीदी की सिसकारियाँ निकलने लगीं—‘आह… उफ्फ…।’ मैंने धीरे से अपनी उंगली उनकी चूत में डाली और फिंगरिंग शुरू की। 10 मिनट बाद दीदी झड़ गईं, और उनकी चूत से पानी निकलने लगा। मैंने अपना मुँह उनकी चूत पर रखा और उनकी चूत को चाटने लगा। दीदी मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा रही थीं। वो पूरी तरह सेक्स के नशे में डूब चुकी थीं।

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दीदी ने फिर मेरा लंड चूसा और मुझे बेड पर लिटाया। वो बोलीं, “राहुल, अब तुम मेरे अंदर आओ, लेकिन प्यार से।” मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रखा और धीरे-धीरे अंदर डालने की कोशिश की। दीदी की चूत बहुत टाइट थी। वो थोड़ा चिल्लाईं, लेकिन मैंने उनके होंठों पर kiss करके उन्हें शांत किया। मैंने धीरे-धीरे अपना लंड उनकी चूत में डाला। दीदी की आँखों में आँसू आ गए। उनकी चूत से थोड़ा खून निकला, क्योंकि ये उनका पहली बार था।



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दीदी ने कहा, “राहुल, टेंशन मत लो। पहली बार में ऐसा होता है। बस प्यार से करो।” मैंने फिर से अपना लंड उनकी चूत में डाला, इस बार और सावधानी से। धीरे-धीरे दीदी को भी मज़ा आने लगा। उनकी सिसकारियाँ—‘आह… उफ्फ… और तेज़…।’ मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और दीदी को प्यार से चोदने लगा। 15 मिनट बाद दीदी झड़ गईं। मैं भी झड़ने वाला था। दीदी ने मुझे जोर से गले लगाया, और मैं उनकी चूत में ही झड़ गया।

हम दोनों एक-दूसरे के ऊपर लेट गए। दीदी मेरे लंड को सहलाने लगीं और फिर उसे चूसने लगीं। मैं सोफे पर बैठ गया, और दीदी मेरे ऊपर आकर बैठ गईं। मैं खड़ा हो गया, और दीदी मेरी गोद में थीं, मेरा लंड उनकी चूत में। मैंने उन्हें खड़े-खड़े चोदा। दीदी मेरे होंठों को पागलों की तरह चूस रही थीं। 30 मिनट बाद हम फिर से एक साथ झड़ गए।

हम बेड पर लेट गए और एक-दूसरे को kiss करते रहे। दीदी मेरे सीने पर सिर रखकर लेटी थीं। हम दोनों नंगे ही एक-दूसरे से लिपटकर सो गए। उस रात हमने सिर्फ़ सेक्स नहीं किया, बल्कि अपने प्यार और इच्छाओं को एक-दूसरे के साथ शेयर किया।

ज्योति दीदी मेरी ज़िंदगी का वो हिस्सा हैं, जिनके बिना मैं अधूरा हूँ। हमारा रिश्ता अब और गहरा हो गया है, और हम हमेशा एक-दूसरे की फीलिंग्स का सम्मान करते हैं।

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