मेरा नाम पूजा है। मैं 22 साल की हूँ, और दिल्ली में कॉलेज में पढ़ती हूँ। गर्मियों की छुट्टियों में मैं अपने गाँव जाती हूँ, जहाँ मेरे दादाजी रहते हैं। दादाजी – यानी मेरे नाना – 60 साल के हैं, लेकिन उनकी उम्र के हिसाब से बदन अभी भी तगड़ा है। गाँव में लोग उनकी तारीफ करते हैं, क्योंकि वो खेतों में काम करते हैं, और उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक है। मैं बचपन से उनके साथ हँसी-मजाक करती थी, लेकिन इस बार कुछ और ही हुआ। गाँव की एक रात, जब घर में सब सो रहे थे, दादाजी ने मेरी चूत चाटी और फिर मुझे चोदा। ये कहानी है उस रात की, जो शायद गलत थी, लेकिन उसका मजा आज भी मेरे बदन में सिहरन पैदा करता है। ये देसी, सच्ची-सी कहानी है, इंसानी भावनाओं और गाँव की मिट्टी की महक के साथ, बिना किसी बनावटी शब्दों के।
गर्मियों की छुट्टियाँ थीं। मैं गाँव पहुँची। मम्मी-पापा दिल्ली में ही थे, तो मैं अकेली आई थी। दादाजी ने मुझे गले लगाया, “पूजा बेटी, आ गई! अब गाँव में मजा आएगा।” उनकी बाहें मजबूत थीं, और मैंने हँसकर कहा, “हाँ दादाजी, आपके साथ तो हमेशा मजा।” दिन में मैं घर के काम करती, दादाजी के साथ खेतों में घूमने जाती। वो मुझे पुरानी कहानियाँ सुनाते, और मैं उनकी बातों में खो जाती। लेकिन रात को, जब सब सो जाते, दादाजी की नजरें बदल जाती थीं। वो मुझे देखते, जैसे कुछ और चाहते हों।
एक रात, गाँव में बिजली चली गई। गर्मी बहुत थी। मैं छत पर चारपाई डालकर सो रही थी, पतली सी सलवार-कुर्ती में। दादाजी भी पास की चारपाई पर लेटे थे। चाँद की रोशनी में सब साफ दिख रहा था। मैं नींद में थी, तभी महसूस हुआ कि कोई मेरे पैर छू रहा है। मैं चौंकी। “दादाजी?” वो मेरे पास बैठे थे, उनका हाथ मेरी जांघ पर। “पूजा, नींद नहीं आ रही बेटी। तू कितनी बड़ी हो गई है।” उनकी आवाज भारी थी। मैं घबरा गई, “दादाजी, ये क्या…?” लेकिन वो बोले, “शश… कुछ नहीं, बस तुझे प्यार करने का मन है।” उनका हाथ मेरी कुर्ती के नीचे गया। मैंने रोकना चाहा, लेकिन बदन में अजीब सी गर्मी थी।
दादाजी ने मेरी कुर्ती ऊपर की। मैंने ब्रा नहीं पहनी थी। मेरी चूचियाँ नंगी। “पूजा, तेरे चूचे… कितने सुंदर।” उन्होंने एक चूची पकड़ी, दबाई। मैं सिहर गई, “दादाजी… ये गलत है।” लेकिन वो नहीं रुके। मुँह में चूची ली, चूसने लगे। जीभ से निप्पल घुमाया, हल्के से काटा। “आह… दादाजी…” मैं सिसकारी। मेरे मन में डर था, लेकिन बदन बेकाबू। वो दूसरी चूची दबा रहे थे, “बेटी, तू तो माल है।” मैंने सिर हिलाया, “दादाजी… कोई देख लेगा।” वो बोले, “छत पर कोई नहीं, बस तू और मैं।”
उनका हाथ नीचे गया। सलवार का नाड़ा खोला। पैंटी गीली थी। “पूजा, तेरी चूत… रस टपक रहा।” मैं शरम से मर रही थी, लेकिन बोली, “दादाजी… मत…” वो नहीं माने। पैंटी उतारी। मेरी चूत – साँवली, थोड़े बाल, गीली। दादाजी घुटनों पर बैठे, मुँह लगाया। “आह… दादाजी… चाट रहे हो…?” उनकी जीभ मेरी चूत पर, क्लिट चूस रहे थे। जीभ अंदर डाली, चोदने जैसे घुमाई। “हाय… चाटो… मेरी चूत चाटो…” मैं सिसकार रही थी। दो उंगलियाँ अंदर, क्लिट चूसते हुए। मैं कमर हिलाने लगी, “दादाजी… मैं झड़ रही हूँ…” रस निकला, गर्म। दादाजी ने सब चाट लिया। “बेटी, तेरा रस… अमृत।”
“अब तू मेरा…” दादाजी खड़े हुए। लुंगी खोली। उनका लंड – 6 इंच, मोटा, उम्र के हिसाब से अभी भी तगड़ा। “दादाजी, ये…?” मैं चौंकी। वो बोले, “चूस बेटी।” मैंने लंड हाथ में लिया, सहलाया। मुँह में डाला, चूसने लगी। जीभ से सुपारा चाटा, गले तक। “आह… पूजा… चूस… मेरे लंड को चूस…” वो मेरे बाल पकड़ रहे थे। मैं थूक से गीला करके चूस रही थी, बॉल्स चाटी। “तेरी जीभ… जादू है बेटी।”
दादाजी ने मुझे चारपाई पर लिटाया। पैर फैलाए। चूत खुली। लंड रगड़ा। “पूजा, तैयार है?” मैं डर रही थी, “दादाजी… धीरे…” सुपारा अंदर। “आह… दर्द…” पूरा घुसाया। चूत टाइट थी। धक्के शुरू। “ले बेटी… ले मेरा लंड…” थप-थप की आवाज, चाँदनी में। मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, वो दबा रहे। “दादाजी… चोदो… मेरी चूत चोदो…” मैं चिल्ला रही थी। वो तेज धक्के मार रहे, “तेरी चूत… कितनी गर्म… फाड़ दूँगा।”
पोजिशन बदली। मैं घुटनों पर, डॉगी स्टाइल। दादाजी पीछे से। “तेरी गांड… कितनी मस्त।” लंड चूत में। कमर पकड़ी, धक्के। “हाय… पीछे से… चोदो…” थप्पड़ मारा। “गांड मारूँ?” “हाँ दादाजी…” लंड निकाला, थूक लगाया, गांड में। “आआआ… दर्द…” लेकिन मजा भी। टाइट गांड निचोड़ रही। “तेरी गांड… स्वर्ग है…” धक्के मारे, उंगली चूत में। मैं झड़ी।
काउगर्ल। मैं ऊपर, लंड चूत में। उछलने लगी। “अब मैं चोदूँगी दादाजी।” चूचियाँ उनके मुँह में। फिर रिवर्स – गांड दिखी। 69 – मैं लंड चूसी, वो चूत चाटी। मिशनरी – “झड़ने वाला हूँ पूजा।” “अंदर… चूत में…” झड़ गए, गर्म माल। मैं भी झड़ी।
सुबह तक दो राउंड। दादाजी बोले, “पूजा, ये हमारा राज।” मैं शरमाई, लेकिन मजा… उफ्फ। अब हर छुट्टी में चुपके से वो चाट-चाटकर चोदते हैं। गाँव की रात, दादाजी का लंड – जिंदगी का सबसे गर्म राज।
