देसी बहु की ससुर के साथ चुदाई: तीसरा भाग

Desi Bahu Sex Story – आज आपको मेरी सेक्स कहानी का तीसरा भाग पढ़कर मजा आ जायेगा, पिछली दो रातों की चुदाई के बाद, मैं, रीना, और मेरे ससुर, हरपाल, एक-दूसरे की वासना में पूरी तरह डूब चुके थे। हर बार उनकी गहरी आँखें और मोटा लंड मेरी टाइट चूत में आग लगा देता था। मैं, 27 साल की देसी हसीना, अपनी रसीली चूचियों, पतली कमर और गोल-मटोल गांड के साथ, ससुर जी को हर बार ललचाने में कामयाब थी। ससुर जी, 52 साल के, गठीले देसी मर्द, जिनकी मूँछें और जुनूनी नजरें मेरी चूत को तड़पा देती थीं। मेरे पति, संजय, जो अपनी कमजोरी (लंड खड़ा न होने की समस्या) की वजह से मुझे सुख नहीं दे पाते थे, फिर से एक लंबे टूर पर निकल गए थे। घर में फिर वही कामुक माहौल बनने वाला था।

ये 21 सितंबर 2025 की रात थी। हरियाणा के हमारे गाँव में ठंडी हवाएँ चल रही थीं, और आसमान में चाँद की चाँदनी कोहरे के साथ मिलकर एक रहस्यमयी माहौल बना रही थी। मैंने उस रात एक पतली सी नीली साड़ी पहनी थी, जो मेरे गदराए जिस्म से चिपक रही थी। मेरी चूचियाँ टाइट ब्लाउज में उभर रही थीं, और मेरी गोल गांड हर कदम पर हिल रही थी। मैं आँगन में खाट पर बैठी थी, और ससुर जी खेतों से लौटकर आए। उनकी नजरें मेरे जिस्म पर टिक गईं, और उनकी धोती में उभार साफ दिख रहा था।

“रीना, इतनी रात को बाहर क्या कर रही है? ठंड लग जाएगी,” ससुर जी ने अपनी गहरी आवाज में कहा, लेकिन उनकी आँखें मेरी चूचियों को नोच रही थीं। मैंने जानबूझकर अपनी साड़ी का पल्लू थोड़ा सरकाया और कहा, “ससुर जी, ठंड तो ठीक है, लेकिन मेरी चूत में जो आग लगी है, उसे आप ही बुझा सकते हो।” मेरी बात सुनकर उनकी आँखों में वासना की चमक और बढ़ गई। “रीना, तू तो एकदम चुदक्कड़ बहु है। आज रात तेरी चूत को और रंगीन कर दूँ?” उन्होंने गुर्राते हुए कहा। मेरी चूत गीली हो गई, और मेरा दिल जोश से धड़कने लगा।

मैंने शरारत से कहा, “ससुर जी, आपका मोटा लंड मेरी चूत का इंतजार कर रहा है। आज रात फिर से धमाल मचा दो।” ससुर जी ने मुझे अपनी मजबूत बाहों में खींच लिया और मेरे रसीले होंठों को अपने होंठों से चूस लिया। वो चुंबन इतना गहरा और गर्म था कि मेरे जिस्म में बिजली सी दौड़ गई। मैंने उनकी धोती खींच दी, और उनका मोटा लंड मेरे सामने तनकर खड़ा था। मैंने उनकी बनियान उतार दी और उनके गठीले सीने पर अपने नाखून फिराए। “ससुर जी, आपका जिस्म अभी भी जवान मर्दों को शर्मिंदा कर देता है,” मैंने फुसफुसाया।

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ससुर जी ने मेरी साड़ी का पल्लू सरका दिया, और मेरी चूचियाँ मेरे टाइट ब्लाउज में उभर आईं। उन्होंने ब्लाउज के हुक खोले, और मेरी गुलाबी लेस ब्रा में मेरी रसीली चूचियाँ कैद थीं। उन्होंने ब्रा उतार दी, और मेरी चूचियाँ उनके सामने थीं—गोल, टाइट और निप्पल्स तने हुए। ससुर जी ने मेरी चूचियों को अपने बड़े-बड़े हाथों में लिया और जोर-जोर से दबाना शुरू किया। मेरी सिसकारियाँ आँगन में गूँज उठीं। “रीना, तेरी चूचियाँ तो रस से भरी हैं,” उन्होंने गुर्राते हुए कहा। मैंने उनके सिर को अपनी चूचियों पर दबाया और कहा, “ससुर जी, इन्हें चूसो… मेरी चूत तरस रही है।” उन्होंने मेरे निप्पल्स को अपने मुँह में लिया, उन्हें चूसते और हल्के से काटते हुए। मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी, और मेरी साँसें तेज हो रही थीं।


मैंने उनकी धोती पूरी तरह उतार दी और उनके मोटे लंड को अपने हाथ में लिया। “ससुर जी, आपका लंड तो मेरी चूत का बादशाह है,” मैंने शरारत से कहा और उनके लंड को सहलाने लगी। फिर मैंने उसे अपने मुँह में लिया। मेरी जीभ उनके लंड पर लपलपाती रही, और उनकी सिसकारियाँ तेज हो गईं। “रीना, तेरा मुँह मेरे लंड को पागल कर रहा है,” उन्होंने सिसकते हुए कहा। मैंने उनके लंड को गहराई तक चूसा, और उन्होंने मेरे बाल पकड़ लिए।

ससुर जी ने मुझे आँगन की खाट पर लिटाया और मेरी साड़ी व पेटीकोट उतार दिए। मेरी नीली पैंटी गीली हो चुकी थी। उन्होंने पैंटी नीचे सरकाई, और मेरी टाइट चूत उनके सामने थी—गुलाबी, गीली और बिना बालों की। उन्होंने अपनी जीभ मेरी चूत पर फिराई, और मेरी चीखें चाँदनी रात में गूँज उठीं। “ससुर जी, मेरी चूत को चाटो… और गहरा,” मैंने चिल्लाया। उन्होंने अपनी जीभ मेरी चूत की गहराइयों में डाली, और मेरा रस उनके मुँह में बहने लगा। मैंने उनके सिर को अपनी चूत पर दबाया, और मेरी कमर उछलने लगी। “ससुर जी, तुम मेरी चूत को दीवाना बना रहे हो,” मैं सिसक रही थी।


फिर ससुर जी ने अपना मोटा लंड मेरी टाइट चूत में डाला। मैं चीख पड़ी, “ससुर जी, आपका लंड मेरी चूत को चीर रहा है!” उन्होंने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया, और मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं। “और जोर से, ससुर जी… मेरी चूत को फाड़ दो,” मैंने चीखते हुए कहा। उन्होंने अपनी रफ्तार बढ़ाई, और हर धक्के के साथ मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। मैंने उनके कंधों को पकड़ लिया, और वो मेरे निप्पल्स को चूसते और काटते हुए मुझे चोदते रहे।

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ससुर जी ने मुझे खाट से उठाया और बेडरूम में ले गए। हमारा बेडरूम मंद रोशनी और मखमली चादरों से सजा था, और बाहर की ठंडी हवाएँ और चाँदनी माहौल को और कामुक बना रही थीं। उन्होंने मुझे बेड पर लिटाया और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। फिर उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत में डाला और जोर-जोर से धक्के मारने लगे। “रीना, तेरी चूत तो मेरे लंड की गुलाम है,” उन्होंने गुर्राते हुए कहा। मैंने उनके नितंबों को पकड़ा और कहा, “ससुर जी, मेरी चूत को और चोदो… मुझे तुम्हारा लंड हर बार चाहिए।” उन्होंने मेरी गांड पर थप्पड मारा, और मेरी चीखें और तेज हो गईं।

उन्होंने मुझे पलट दिया और डॉगी स्टाइल में चोदना शुरू किया। उनका लंड मेरी चूत में इतनी गहराई तक जा रहा था कि हमारे जिस्म एक-दूसरे में घुल गए। “हाँ, ससुर जी… और गहरा… मेरी चूत को रगड़ दो,” मैं चिल्ला रही थी। उन्होंने मेरे बाल पकड़े और मुझे और जोर से चोदा, जैसे उनकी सारी वासना मेरी चूत में उतर रही हो। मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, और उन्होंने फिर से उन्हें चूसा, मेरे निप्पल्स को काटते हुए।

रात के बीच में, ससुर जी ने फुसफुसाकर कहा, “रीना, तूने मेरे बूढ़े जिस्म में जवानी भर दी। तेरी चूत ने मेरे लंड को फिर से जवान कर दिया।” उनकी बात सुनकर मेरा जोश दोगुना हो गया। मैंने उनकी कमर पकड़ी और कहा, “ससुर जी, मेरी चूत आपके लंड की दीवानी है।” उन्होंने अपनी रफ्तार और तेज की, और हर धक्के के साथ उनकी वासना मेरी चूत में गहराई तक उतर रही थी।

पूरी रात, हमने एक-दूसरे के जिस्म को चखा। ससुर जी ने मुझे बेड के हर कोने में चोदा—कभी मेरी चूत को, कभी मेरी चूचियों को चूसते हुए, और कभी मेरे नितंबों को सहलाते हुए। मैंने उनके मोटे लंड को बार-बार अपने मुँह में लिया, और मेरी जीभ ने उन्हें पागल कर दिया। “रीना, तेरा मुँह मेरे लंड का राजा है,” उन्होंने सिसकारी भरे लहजे में कहा। हमने बेडरूम से छत तक चुदाई की, जहाँ चाँदनी के नीचे मैंने ससुर जी को अपनी गोद में बिठाकर चोदा। ठंडी हवाएँ और मेरी चीखें एक-दूसरे में मिल रही थीं।

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रात के चार बजे, जब कोहरा और गहरा हो गया, ससुर जी ने मेरे लंड को फिर से अपने हाथ में लिया। “ये अभी भी तना हुआ है,” उन्होंने शरारत से कहा, और मैंने उनके लंड को फिर से चूसा। फिर उन्होंने मुझे अपनी गोद में बिठाया और फिर से चोदना शुरू किया। इस बार मैं ऊपर थी, और मेरी कमर हर धक्के के साथ लय में हिल रही थी। मेरी चूचियाँ उनके चेहरे के सामने उछल रही थीं, और उन्होंने उन्हें चूसते हुए मुझे और जोर से चोदा। “ससुर जी, आप मेरी चूत को निचोड़ रहे हो,” मैंने सिसकते हुए कहा।

जब सुबह की पहली किरण कोहरे से छनकर आई, हम दोनों नंगे, पसीने से लथपथ, एक-दूसरे की बाहों में लिपटे थे। ससुर जी ने मेरे माथे पर चुंबन लिया और फुसफुसाया, “रीना, तूने मेरे बूढ़े जिस्म में फिर से जवानी भर दी।” मैंने उनकी आँखों में देखा और कहा, “ससुर जी, आपका लंड मेरी चूत को हर बार जवान बना देता है।”

ससुर जी ने मेरे होंठों पर एक गहरा चुंबन लिया, अपनी धोती ठीक की, और बोले, “रीना, ये बात हमारे बीच रहे। लेकिन जब भी संजय बाहर जाए, तेरी चूत मेरा लंड माँगेगी।” मैंने उनकी कमर पकड़ी और कहा, “ससुर जी, मेरी चूत आपके लंड की गुलाम है।”

जैसे ही ससुर जी आँगन से बाहर निकले, उन्होंने पलटकर देखा और एक शरारती मुस्कान दी। “ये रात हमारी थी, रीना। लेकिन ये जुनून कभी खत्म नहीं होगा।” मैं जानती थी, मेरी रसीली चूचियाँ और टाइट चूत ससुर जी के मोटे लंड की आग को हर रात सुलगाती रहेंगी, और हमारे घर की दीवारें इस चुदक्कड़पन की गवाह बनेंगी।

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