पढ़िए राहुल और उसकी नई-नवेली आंटी की चुदाई की हॉट और सेक्सी हिंदी कहानी। भिलवाड़ा के गाँव में हुई इस रात की कहानी में जुनून, आकर्षण और 69 का मजा शामिल है। जानें कैसे राहुल ने आंटी को गर्म किया और उनकी टाइट चूत का स्वाद लिया।
मेरा नाम राहुल है, और मैं भिलाई, छत्तीसगढ़ में रहता हूँ, लेकिन मेरा असली ठिकाना राजस्थान है। हर साल मैं अपने गाँव भिलवाड़ा जाता हूँ, जो राजस्थान के एक छोटे से कोने में बसा है। ये कहानी तब की है जब मैं अपने काका की शादी के 4-5 महीने बाद गाँव गया था। काका की शादी में मैं किसी वजह से शामिल नहीं हो पाया था, क्योंकि उस वक्त मैं 12वीं के एग्जाम में बिजी था। खैर, एग्जाम खत्म होने के बाद मैं गाँव पहुँचा, और वहाँ मेरी मुलाकात अपनी नई-नवेली आंटी से हुई।
पहली मुलाकात – वो सेक्सी नजर
आंटी को पहली बार देखते ही मेरे दिल में आग सी लग गई। वो कोई खास खूबसूरत नहीं थीं, साँवला रंग, थोड़ा भरा हुआ बदन, लेकिन उनकी आँखों में एक अजीब सी कशिश थी। उनकी साड़ी में छुपा हुआ फिगर इतना सेक्सी था कि मेरा लंड पहली नजर में ही सलामी देने लगा। वो बहुत फ्रैंक थीं, हँस-हँस कर बात करती थीं, और मैंने मौका देखकर उन पर लाइन मारना शुरू कर दिया। कभी आँख मारता, तो वो मुस्कुरा कर जवाब देतीं। इससे मेरी हिम्मत बढ़ती गई।
वो अक्सर हमारे घर टीवी देखने आती थीं। मैं मौका पाकर उनके करीब बैठता, कभी उनकी कमर को हल्का सा टच करता, तो वो हँसकर टाल देतीं। एक दिन जब सब लोग टीवी देख रहे थे, मैं जानबूझकर उठकर सोने चला गया। मुझे पता था कि आंटी जरूर आएँगी। मैं बाहर कोने में छुपकर उनका इंतजार करने लगा।
रात का वो हसीन पल
15-20 मिनट बाद आंटी आईं। मुझे अंधेरे में खड़ा देखकर वो चौंक गईं, लेकिन जल्दी ही नॉर्मल हो गईं। मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “आंटी, मैं आपके साथ जाना चाहता हूँ।” वो अकेले सोती थीं, क्योंकि काका रात को देर से घर लौटते थे। गाँव में वैसे भी 15-20 घर ही थे, और रात के सन्नाटे में कोई जागता नहीं था।
पहले तो उन्होंने मना किया, लेकिन मेरे बार-बार कहने पर वो मान गईं। शर्त ये थी कि मैं कुछ गलत नहीं करूँगा। मैंने हामी भर दी, लेकिन मन में तो तूफान उठ रहा था। उनके साथ उनके घर गया। हम दोनों बातें करने लगे। तभी बाहर से कुछ आवाजें आईं, घरवाले टीवी बंद करके सोने जा रहे थे। अब गाँव में सन्नाटा छा गया था, और मेरा डर भी खत्म हो गया।
वो जादुई स्पर्श
मैंने धीरे से आंटी का हाथ पकड़ लिया। उन्होंने कुछ नहीं कहा। मेरी हिम्मत बढ़ी, और मैंने कहा, “आंटी, मैं आपको किस करना चाहता हूँ।” उन्होंने गुस्से से मुझे देखा और बोलीं, “मैं जानती थी, तुम यही कहोगे।” लेकिन मैं जोश में था। मेरा 7.5 इंच का लंड अंडरवियर फाड़ने को बेताब था।
मैंने उनके रसीले होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उनके ऊपर चढ़ गया। क्या नरम और गर्म होंठ थे! लग रहा था जैसे काका ने कभी उनका इस्तेमाल ही नहीं किया। मैं उन्हें और जोर से भींचने लगा। धीरे-धीरे वो भी मुझे रिस्पॉन्स देने लगीं। मैंने उनका ब्लाउज खोल दिया। उन्होंने कहा, “लाइट बंद कर दो।” लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था? मैंने उनका ब्लाउज उतार फेंका। उनकी ब्रा से एक मादक खुशबू आ रही थी। मैंने उनके मस्त बूब्स को चूसना शुरू कर दिया। कसम से, मैं पागल हो रहा था।
आंटी की हालत भी खराब थी। उन्होंने बताया कि काका ने कभी उन्हें इस तरह मजा नहीं दिया। वो शरीफ किस्म के थे, और शायद उन्हें ये सब आता ही नहीं था। मैं उनके बूब्स को चूसते हुए उनकी नाभि तक पहुँच गया। उनकी गोल नाभि में जीभ डालकर चूसने लगा। आंटी अपनी गांड उठा-उठाकर सिसकारियाँ ले रही थीं।
वो तीखा स्वाद
मैंने कहा, “आंटी, मैं आपकी चूत का टेस्ट लेना चाहता हूँ।” वो शरमा गईं और बोलीं, “वो गंदी है, मैंने 2-3 दिन से नहाया नहीं।” लेकिन सेक्स की भूख में तो सब जायज है। मैंने उनकी साड़ी खोल दी। पेटीकोट में वो और भी सेक्सी लग रही थीं। एक झटके में मैंने उनका पेटीकोट का नाड़ा तोड़ दिया।
वो सीन आज भी मेरी आँखों के सामने है। छोटी-छोटी झांटों के बीच उनकी गुलाबी चूत चमक रही थी। मैंने एक उंगली डाली, लेकिन उनकी चूत इतनी टाइट थी कि दो उंगलियाँ अंदर नहीं जा रही थीं। वो गर्म थीं, और मैं पागल। आंटी ने मेरा लंड पकड़ लिया। मेरे 7.5 इंच के मोटे लंड को देखकर उनके पसीने छूट गए। बोलीं, “ये तो बहुत बड़ा है, मैं नहीं ले पाऊँगी।” मैंने कहा, “ट्राई तो करो, आंटी।”
69 का मजा
मैंने अपना लंड उनके मुँह में दे दिया। वो उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं। मैं भी उनकी चूत का स्वाद लेना चाहता था, इसलिए हम 69 की पोजीशन में आ गए। मैंने अपनी पूरी जीभ उनकी चूत में घुसा दी और हिलाने लगा। आंटी मेरा लंड गीला कर रही थीं, और मैं उनकी चूत को। आधे घंटे तक हम एक-दूसरे को चूसते रहे।
अब मैं और इंतजार नहीं कर सकता था। मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रखा और एक झटके में आधा अंदर डाल दिया। आंटी दर्द से चीख पड़ीं। मैं रुका नहीं, और धीरे-धीरे पूरा लंड अंदर डाल दिया। वो रो रही थीं, लेकिन मैं उनके बूब्स चूसते हुए उन्हें नॉर्मल करने लगा।
वो धमाकेदार चुदाई
थोड़ी देर बाद आंटी नॉर्मल हुईं। उन्होंने कहा, “अब धक्के मारो।” मैं डीजल की गाड़ी की तरह चालू हो गया। 10 मिनट में ही हम दोनों झड़ गए। उनकी चूत का रस मेरे लंड पर चिपक गया था। सच कहूँ, लोग कहते हैं कि वो घंटों चुदाई करते हैं, लेकिन ये सब झूठ है। कोई भी 10-12 मिनट से ज्यादा नहीं टिक सकता, जब तक कि वो रुक-रुककर न करे।
दूसरा राउंड – और जोश
थोड़ी देर आराम करने के बाद मैं फिर तैयार था, लेकिन आंटी का मूड नहीं बन रहा था। औरतें एक बार संतुष्ट होने के बाद जल्दी तैयार नहीं होतीं। लेकिन मैंने उन्हें गर्म कर लिया। हम दोनों बारी-बारी बाथरूम गए। गाँव में सब सो रहे थे, और हमारी चुदाई की दूसरी शिफ्ट शुरू होने वाली थी।
मैंने उनकी चूत पर फिर से जीभ रख दी। मेरा लंड उनकी चूत को पहले ही खोल चुका था। वो जल्दी गर्म हो गईं। इस बार मैं जल्दी चोदना चाहता था, क्योंकि रात काफी हो चुकी थी। मैंने 3-4 झटकों में ही लंड अंदर डाल दिया और हिमगिरी एक्सप्रेस की तरह चुदाई शुरू कर दी। आंटी मुझे टाइट पकड़कर धक्कों का जवाब दे रही थीं।
लेकिन इस बार मेरा झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। लंड पानी की तरह खड़ा था, लेकिन रस निकल नहीं रहा था। मैंने आंटी को अपने ऊपर चढ़ाया। अब वो मुझे चोद रही थीं, और मैं उन्हें। लेकिन फिर भी मैं झड़ नहीं रहा था। आंटी मना करने लगीं, लेकिन मैंने कहा, “जब तक झड़ न जाऊँ, रुकूँगा नहीं।”
आखिरकार मैंने उन्हें नीचे लिटाया और जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। मैं जितना अंदर जा सकता था, उतना अंदर लंड डाल रहा था। आंटी रो रही थीं, लेकिन मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए, ताकि उनकी सिसकारियाँ बाहर न जाएँ। आखिर में मैंने अपनी धार उनकी चूत में छोड़ दी। हम दोनों 10 मिनट तक एक-दूसरे से लिपटे रहे।
आखिरी पल
उसके बाद हमने अपने कपड़े पहने, और मैं वहाँ से चला गया। ये चुदाई शादी के सिर्फ 25 दिन बाद हुई थी, शायद इसलिए उनकी चूत इतनी टाइट थी। अगले दिन सुबह आंटी थोड़ा लंगड़ाकर चल रही थीं। मैंने पूछा तो बोलीं, “ये सब तेरे लंड का कमाल है।”
बस, यही थी मेरी गाँव की वो हसीन रात, जो मैं कभी नहीं भूल सकता।