पढ़ें एक रोमांचक सेक्स कहानी, जहाँ झाँसी से कानपुर की बस यात्रा में एक अनजानी हसीना के साथ चादर के नीचे गर्म मुलाकात ने रात को यादगार बना दिया। नेहा की टाइट चूत और मादक सिसकियों ने चुदाई को चरम पर पहुँचाया। नैनीताल में दोबारा मिलने की ख्वाहिश के साथ ये कहानी आपको बेचैन कर देगी।
ये कहानी उस रात की है, जब मैं झाँसी से कानपुर की सैर पर निकला था। रात का आलम था, ठंडी हवाएँ चेहरों को छू रही थीं, और बस में एक हल्का सा अंधेरा पसरा हुआ था। मैं खिड़की वाली सीट पर बैठा था, मन में बस अपनी मंजिल की ख्वाहिशें थीं। लेकिन किस्मत ने मेरे लिए कुछ और ही रंग बिखेरे थे। उस रात मेरी जिंदगी में एक ऐसी मुलाकात हुई, जिसने मेरे दिल और जिस्म को एक साथ झकझोर कर रख दिया।
बस में वो अनजानी हसीना
बस में भीड़ थी, लेकिन मेरे पास वाली सीट खाली थी। तभी मेरी नजर पड़ी कि एक लड़की और उसकी माँ बस में चढ़ रहे थे। बस में सिर्फ दो सीटें खाली थीं – एक मेरे पास और दूसरी एक औरत के पास। उसकी माँ उस औरत के पास जा बैठी, और वो लड़की मेरे पास आकर ठहर गई। मैंने उसे गौर से देखा, और देखता ही रह गया। वो कोई 22-23 साल की होगी, गोरी चिट्टी, स्लिम फिगर, लंबी स्कर्ट और टाइट शर्ट में उसका हुस्न जैसे चाँदनी रात में चमक रहा था। उसकी चूचियाँ शर्ट के ऊपर से उभरी हुई थीं, और उसकी पतली कमर देखकर मेरा दिल बेकाबू हो चला।
मैंने हिम्मत जुटाकर बात शुरू की, “हाय, आपका नाम क्या है?”
उसने एक मादक मुस्कान के साथ जवाब दिया, “नेहा। और मेरी माँ का नाम रूबी है।”
“आप कहाँ जा रही हैं?” मैंने पूछा।
“नैनीताल,” उसने कहा, और उसकी आवाज़ में एक अजीब सी कशिश थी।
“वाह, मैं भी नैनीताल जा रहा हूँ!” मैंने उत्साह में कहा।
“चलो, फिर तो टाइम अच्छा कटेगा,” नेहा ने हँसते हुए कहा, और उसकी हँसी में एक शरारत छिपी थी।
मैंने हामी भरी, और बस अपनी रफ्तार पकड़ चुकी थी।
चादर के नीचे की गर्मी
बस में अंधेरा गहराने लगा था। ठंड बढ़ रही थी, तो मैंने अपने बैग से एक चादर निकाली और अपने ऊपर डाल ली। नेहा ने भी उस चादर को अपने ऊपर खींच लिया। अब हम दोनों एक ही चादर के नीचे थे, और उसकी गर्म साँसें मेरे करीब महसूस हो रही थीं। उसका कंधा मेरे कंधे से छू रहा था, और उसकी मुलायम चूचियाँ मेरे बाजू को रगड़ रही थीं। मेरा 7 इंच का लंड तन गया, और मेरे जिस्म में एक अजीब सी बेचैनी जाग उठी।
नेहा ने मेरी बेचैनी को भाँप लिया। उसने धीरे से अपना नाजुक हाथ मेरी पैंट के ऊपर रख दिया। मेरे लंड ने उछल-कूद शुरू कर दी, जैसे वो उसकी छुअन के लिए तरस रहा हो। मैंने मौका देखकर उसकी चूची को शर्ट के ऊपर से जोर से दबाया। वो हल्के से सिसकी, लेकिन उसकी सिसकियों में एक मादक मिठास थी, जो मेरे होश उड़ा रही थी। मैंने और जोश में आकर उसकी शर्ट को ऊपर सरकाया और उसकी ब्रा को खींचकर ऊपर कर दिया। उसकी चूचियाँ आजाद हो गईं – गोल, मुलायम, और इतनी टाइट कि मेरा लंड और सख्त हो गया। मैंने उन्हें जोर-जोर से दबाया, और एक चूची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। नेहा की साँसें तेज़ हो गईं, और उसने मेरे लंड को और जोर से पकड़ लिया।
चूत की गर्मी और लंड का जोश
मैंने उसकी स्कर्ट को ऊपर सरकाया और उसकी चूत पर हाथ रखा। वो पूरी तरह गीली थी, जैसे उसकी चूत मेरे लंड के लिए बेताब थी। उसकी गर्मी ने मेरे जिस्म में आग लगा दी। मैंने धीरे से उसके कान में फुसफुसाया, “नेहा, अब तुम मेरी गोद में आ जाओ, मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ।”
वो बिना कुछ बोले मेरी गोद में सटक आई। मैंने अपनी पैंट की ज़िप खोली और अपने तने हुए लंड को बाहर निकाला। नेहा ने धीरे से अपनी चूत को मेरे लंड पर टिकाया, और मैंने एक ही झटके में उसे अंदर डाल दिया। वो हल्के से चीखी, लेकिन फिर खुद ही ऊपर-नीचे होने लगी। मैं उसे धीरे-धीरे चोद रहा था, ताकि बस में किसी को शक न हो। उसकी टाइट चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी, और हर धक्के के साथ उसकी सिसकियाँ मेरे कानों में मधुर संगीत की तरह गूँज रही थीं।
चुदाई के बीच मैंने उससे पूछा, “नेहा, तुम नैनीताल में कहाँ ठहरोगी?”
उसने हाँफते हुए जवाब दिया, “हम… हम वहाँ कुछ काम के लिए जा रहे हैं। मैं और मेरी माँ… हम लोग वेश्या हैं। नैनीताल में एक डील के लिए जा रहे हैं।”
ये सुनकर मैं एक पल को ठिठक गया, लेकिन मेरे लंड में और जोश चढ़ गया। मैंने कहा, “तो तुम मुझे नैनीताल में मिलोगी?”
उसने हँसते हुए अपना मोबाइल नंबर दिया और बोली, “बस मुझे कॉल कर देना, बेबी।”
चुदाई का चरम और मादक मुलाकात
मैंने उसे और जोर से चोदा। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड बार-बार फिसल रहा था, लेकिन उसकी गर्मी ने मुझे पागल कर रखा था। मैंने उसकी कमर को कसकर पकड़ा और उसे तेज़ी से चोदने लगा। नेहा की सिसकियाँ अब और तेज़ हो रही थीं, लेकिन चादर के नीचे हमारी हरकतें पूरी तरह छिपी हुई थीं। मैंने उसके होंठों को चूम लिया, और उसकी जीभ मेरी जीभ से उलझ गई। उसका स्वाद, उसकी गर्मी, और उसकी चूत की टाइटनेस ने मुझे चरम पर पहुँचा दिया। आखिरकार, मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में उड़ेल दिया। वो मेरी गोद में ही लेट गई, और हम दोनों की साँसें एक-दूसरे से टकरा रही थीं।
बस अब नैनीताल पहुँचने वाली थी। नेहा ने अपनी स्कर्ट और शर्ट ठीक की, और मैंने भी अपनी पैंट बंद की। उसने मुझे एक शरारती मुस्कान दी और कहा, “नैनीताल में मिलते हैं, स्टड।”
मैंने उसका नंबर सेव किया और मन ही मन सोचने लगा कि ये रात मेरी जिंदगी की सबसे हॉट और मादक रात थी। नैनीताल में उससे दोबारा मिलने की ख्वाहिश मेरे दिल में जाग चुकी थी, और मैं जानता था कि ये बस एक शुरुआत थी।