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सास दामाद सेक्स कहानी : हेलो दोस्तों आप सब कैसे हैं। आज मैं आपको अपनी सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूँ। मैं, विक्रम, 27 साल का एक जवान और मज़बूत मर्द, अपनी पत्नी रिया के साथ नोएडा में रहता था। ये मेरी पहली सेक्स कहानी है antarvasna.live डॉट कॉम पर, मेरी सासू माँ, सविता, 45 साल की, हमारे साथ ही रहती थीं। सविता माँ एक ऐसी औरत थीं, जिनकी उम्र उनके हुस्न पर हावी नहीं हो पाई थी। उनका गोरा रंग, भरे हुए चूचे, और खासकर उनकी चौड़ी, गोल-मटोल गांड मुझे हर बार बेकाबू कर देती थी। सासू माँ की टाइट साड़ियाँ और उनके कूल्हों का हिलना मुझे रातों को जगा देता था। मेरी पत्नी रिया को मेरी ये नजरें नहीं पता थीं, लेकिन सासू माँ की कामुक मुस्कान मुझे अक्सर उकसाती थी। ये कहानी उस रात की है, जब सासू माँ की चौड़ी गांड मेरे लंड की गुलाम बन गई।
ये सब कैसे हुआ आइये जानते हैं
एक रात की बात है, रिया को अपने ऑफिस के काम से एक हफ्ते के लिए बैंगलोर जाना पड़ा। घर पर सिर्फ मैं और सासू माँ थे। उस रात मैं लिविंग रूम में टीवी देख रहा था, जब सासू माँ किचन से मेरे लिए गर्म दूध लेकर आईं। उन्होंने एक पतली सी लाल नाइटी पहनी थी, जो उनकी चौड़ी गांड और चूचियों को बमुश्किल ढक रही थी। “विक्रम, ये ले, दूध पी ले,” सासू माँ ने मुस्कुराते हुए कहा और मेरे बगल में सोफे पर बैठ गईं। उनकी नाइटी का गला थोड़ा नीचे सरक गया था, और उनकी गहरी क्लीवेज मेरे सामने थी।
मैंने दूध का गिलास लिया और हंसते हुए कहा, “सासू माँ, आप इस उम्र में भी इतनी हॉट लगती हैं।” सासू माँ ने शरारती अंदाज में मेरी तरफ देखा और बोलीं, “बदमाश, तुझे क्या लगता है, मैं बूढ़ी हो गई हूँ? मेरी गांड को तो तू रोज़ घूरता है!” उनकी बात सुनकर मेरे शरीर में बिजली दौड़ गई। मैंने हिम्मत करके कहा, “सासू माँ, आपकी चौड़ी गांड तो किसी को भी पागल कर दे!” सासू माँ हंस पड़ीं और मेरी जांघ पर हाथ रखकर बोलीं, “तो आज रात मेरी गांड को करीब से देख ले, विक्रम।”
कामुक और चुदाई की शुरुआत
सासू माँ ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उनका चुंबन इतना गहरा और जुनूनी था कि मैं सब कुछ भूल गया। उनकी जीभ मेरी जीभ से उलझी, और मेरे हाथ उनकी नाइटी के ऊपर से उनकी चूचियों पर चले गए। “सासू माँ, आपकी चूचियां तो टाइट हैं,” मैंने फुसफुसाते हुए कहा और उनकी नाइटी का गला नीचे सरकाया। उनकी गोरी, भरी हुई चूचियां मेरे सामने थीं, और उनके गुलाबी निप्पल्स मुझे बुला रहे थे। मैंने उनके एक निप्पल को अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। सासू माँ सिसक उठीं, “आह… विक्रम, मेरी चूचियां चूस… और जोर से!”
उनकी सिसकारियां कमरे में गूंजने लगीं। मैंने एक चूच को चूसा और दूसरे को अपने हाथों से दबाया। सासू माँ की सांसें तेज़ हो रही थीं, और उनका बदन गर्मी से तप रहा था। “विक्रम, मेरी चूत को छू… वो तड़प रही है,” सासू माँ ने कातरते हुए कहा। मैंने उनकी नाइटी को पूरी तरह उतार दिया, और उनकी काली पैंटी में उनकी चिकनी चूत साफ झलक रही थी। मैंने पैंटी के ऊपर से उनकी चूत को सहलाया, और वो पहले से ही गीली थी। “सासू माँ, आपकी चूत तो रस से भरी है,” मैंने हंसते हुए कहा और उनकी पैंटी उतार दी।
मैंने अपनी जीभ उनकी चूत के दाने पर रखी और चाटना शुरू किया। सासू माँ चीख पड़ीं, “आह… विक्रम, मेरी चूत को चाट… और गहरा!” उनकी चूत का रस मेरे मुँह में था, और मैं उसे चूस-चूसकर पागल कर रहा था। सासू माँ ने मेरे बाल पकड़ लिए और मेरे मुँह को अपनी चूत में दबा लिया। “विक्रम, तू मेरी चूत का दीवाना है,” वो सिसकते हुए बोलीं। मैंने उनकी चूत को इतना चाटा कि वो झड़ने के कगार पर पहुंच गईं।
सासु माँ की चूत में तूफान ला दिया था चोदकर
सासू माँ ने मेरी टी-शर्ट और जीन्स उतार दी। मेरा तना हुआ लंड देखकर वो बोलीं, “विक्रम, तेरा लंड तो मोटा और तगड़ा है!” उन्होंने मेरे लंड को अपने नाजुक हाथों में लिया और इसके टोपे को चाटना शुरू किया। उनकी जीभ मेरे लंड की नसों पर नाच रही थी। “सासू माँ, आपका मुँह तो जन्नत है,” मैं सिसकते हुए बोला। सासू माँ ने मेरा लंड गहराई तक अपने मुँह में लिया और चूसने लगीं। मैं उनके चूचों को दबा रहा था, और उनकी सिसकारियां मेरे लंड को और तनाव दे रही थीं।
“विक्रम, अब डाल दे… मेरी चूत तेरा लंड मांग रही है,” सासू माँ ने चिल्लाते हुए कहा। मैंने उन्हें सोफे पर लिटाया और उनकी टांगें फैलाकर अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ा। उनकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड आसानी से फिसल रहा था। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा लंड उनकी चूत में गहराई तक उतर गया। “आह… विक्रम, तेरा लंड मेरी चूत फाड़ रहा है!” सासू माँ चीखीं। मैंने उनके चूतड़ पकड़ लिए और जोर-जोर से चोदने लगा। उनकी चूचियां मेरे हर धक्के के साथ उछल रही थीं।
मैंने फिर से उनकी चूचियों को चूसना शुरू किया। एक चूच को अपने मुँह में लेकर चूस रहा था, और दूसरे को अपने हाथों से दबा रहा था। “विक्रम, मेरी चूचियां चूस-चूसकर चोद… मुझे जन्नत दिखा दे!” सासू माँ की सिसकारियां और तेज हो गईं। मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी, और उनकी चूत मेरे लंड को निगल रही थी। कमरा हमारी सिसकारियों और सोफे की चरमराहट से भर गया था।
सासु माँ को गांड मारने का मजा तो असली मजा हुआ
मैंने सासू माँ को पलटकर डॉगी स्टाइल में लिटाया। उनकी चौड़ी, गोल-मटोल गांड मेरे सामने थी, और मैंने उस पर एक हल्की सी चपत मारी। “सासू माँ, आपकी ये चौड़ी गांड तो चोदने के लिए बनी है,” मैंने कहा। सासू माँ ने शरारती अंदाज में जवाब दिया, “तो चोद ना, विक्रम… मेरी गांड तेरे लिए ही है!” मैंने अपनी उंगलियां उनकी चूत के रस से गीली कीं और उनकी टाइट गांड में डालीं। सासू माँ सिसक उठीं, लेकिन अपनी गांड को और पीछे धकेला।
मैंने अपने लंड को उनकी गांड के छेद पर रखा और धीरे-धीरे अंदर धकेला। “आह… विक्रम, तेरा लंड मेरी गांड चीर रहा है!” सासू माँ चीखीं, लेकिन उनकी आवाज में सुख की लहर थी। मैंने धीरे-धीरे रफ्तार बढ़ाई, और मेरा लंड उनकी चौड़ी गांड में अंदर-बाहर होने लगा। उनकी चूत से रस टपक रहा था, और उनके चूतड़ मेरी जांघों से टकरा रहे थे। मैंने फिर से उनकी चूचियां पकड़ लीं और उन्हें दबाते हुए उनकी गांड चोदी। “विक्रम, मेरी चूचियां और गांड… दोनों को रगड़ दे!” सासू माँ चिल्लाईं।
मैंने सासू माँ को फिर से पलटाया और उनकी टांगें अपने कंधों पर रखीं। मेरा लंड उनकी चूत में फिर से घुसा, और मैं उन्हें जोर-जोर से चोदने लगा। उनकी चूचियां मेरे सामने उछल रही थीं, और मैंने फिर से उनके निप्पल्स को चूसना शुरू किया। “विक्रम, मेरी चूचियां चूस-चूसकर चोद… मुझे जन्नत दिखा दे!” सासू माँ की सिसकारियां और तेज हो गईं। मैंने अपनी पूरी ताकत लगा दी, और उनकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी।
चरमसुख पाया हॉट सेक्सी सासु को चोदकर और गांड मारकर
“सासू माँ, मैं झड़ने वाला हूँ!” मैंने कराहते हुए कहा। सासू माँ ने अपनी चूत को और सिकोड़कर कहा, “विक्रम, मेरे अंदर झड़… मुझे तेरा गर्म रस चाहिए!” मेरे धक्के अब और तेज हो गए। उनकी चूत और गांड दोनों मेरे लंड से रगड़ खा चुकी थीं। आखिरकार, मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा गर्म रस उनकी चूत में भर गया। सासू माँ भी उसी पल झड़ गईं, और उनकी चूत का रस मेरे लंड पर बहने लगा।
हम दोनों हांफते हुए सोफे पर गिर पड़े। हमारी देहें पसीने और रस से चिपचिपी थीं। सासू माँ ने मेरे गाल पर एक चुम्मी दी और बोलीं, “विक्रम, तूने मेरी चौड़ी गांड और चूत को जन्नत दिखा दी।” मैंने हंसते हुए जवाब दिया, “सासू माँ, आपकी गांड मेरे लंड की गुलाम है।” हम दोनों हंस पड़े, और उस रात हमने फिर से दो बार चुदाई की।
मेरी सास के साथ एक और नया रिश्ता जुड़ गया
उस रात के बाद, मेरा और सासू माँ का रिश्ता बदल गया। जब भी रिया घर से बाहर होती, सासू माँ मेरे बेड पर होतीं। उनकी चूचियां और चौड़ी गांड अब मेरे लिए एक नशा बन चुकी थीं। एक बार सासू माँ ने मुझे किचन में पकड़ लिया और काउंटर पर चढ़कर मेरे लंड की सवारी की। उनकी चीखें और मेरी सिसकारियां पूरे घर में गूंज रही थीं। एक और बार हमने बाथरूम में शॉवर के नीचे चुदाई की, जहाँ मैंने उनकी चूचियों को चूसते हुए उनकी चूत और गांड को रगड़ा।
सासू माँ की चौड़ी गांड चोदना मेरे लिए एक आदत बन गई थी। उनकी चूत का रस मेरे लंड का पसंदीदा स्वाद था। हमारा ये गुप्त रिश्ता एक अनकहा राज बन गया। सासू माँ की चूचियां, उनकी चूत, और उनकी चौड़ी गांड मेरे लिए एक ऐसी दुनिया थी, जहाँ मैं बार-बार खो जाना चाहता था।
आखिर में क्या हुआ ये भी जानिए
रिया के लौटने से एक रात पहले, सासू माँ ने मुझे अपने कमरे में बुलाया। “विक्रम, रिया के आने से पहले मेरी गांड को फिर से चोद,” उन्होंने फुसफुसाते हुए कहा। मैंने उनकी साड़ी उतारी और उनकी चूचियों को चूसना शुरू किया। उस रात हमने घंटों तक चुदाई की। उनकी चौड़ी गांड और चूत मेरे लंड से रगड़ खा रही थीं, और उनकी सिसकारियां मेरे लिए एक संगीत थीं।
मैं अपनी दूसरी कहानी जल्दी ही antarvasna.live डॉट कॉम पर लिखने वाला हूँ।