गर्मियों की रात में राधिका दीदी की चुदाई का राज़

मेरी बड़ी दीदी का नाम राधिका है। राधिका दीदी की खूबसूरती ऐसी थी कि मोहल्ले का हर लड़का उनकी एक झलक पाने को तरसता था। उनकी गोरी रंगत, लंबे काले बाल, और वो कातिलाना नशीली आँखें किसी को भी दीवाना बना सकती थीं। लेकिन दीदी की एक गुप्त आदत थी, जो उन्हें और भी रहस्यमयी बनाती थी। वो थी उनकी गंदी किताबें पढ़ने की लत। जी हाँ, दीदी पढ़ाई के बहाने चुदाई की कहानियों वाली किताबें छुपाकर पढ़ती थीं। रात के सन्नाटे में, जब सब सो जाते, दीदी अपनी चारपाई पर लेटकर उन किताबों में डूब जातीं। उनकी उंगलियाँ धीरे-धीरे उनकी चूत की ओर बढ़तीं, और फिर वो खुद को सहलाते हुए, अपनी टाँगें हिलाते हुए, चुदाई के सपनों में खो जातीं। उनकी साँसें तेज़ होतीं, और चेहरा लाल होकर एक अजीब सी चमक लिए होता।

हमारे पड़ोस में एक सरदारजी रहते थे। उनकी बीवी और दो बच्चे थे, लेकिन दीदी उन्हें “जिज्जाजी” कहकर बुलाती थीं। दोनों में गहरी दोस्ती थी, या शायद उससे भी कुछ ज़्यादा। गर्मियों की एक रात, जब सब आँगन में चारपाई पर सो रहे थे, कुछ ऐसा हुआ जो मेरे होश उड़ा गया। रात के करीब एक या दो बजे होंगे, जब सरदारजी चुपके से दीदी की चारपाई के पास आए। मैं पास ही सो रहा था, लेकिन मेरी आँखें आधी खुली थीं। सरदारजी ने धीरे-धीरे दीदी को सहलाना शुरू किया। उनकी उंगलियाँ दीदी के गोरे बदन पर फिसल रही थीं, जैसे कोई नाज़ुक फूल को छू रहा हो। दीदी चुपचाप पड़ी रहीं, लेकिन उनकी साँसें तेज़ होने लगीं।

थोड़ी देर बाद सरदारजी का हौसला और बढ़ गया। उन्होंने दीदी का टॉप ऊपर उठाया और उनके मस्त, गोल-मटोल स्तनों को दोनों हाथों में पकड़ लिया। वो उन्हें धीरे-धीरे मसलने लगे, दबाने लगे। दीदी की आँखें बंद थीं, लेकिन उनके चेहरे पर एक मादक मुस्कान थी। वो अब पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थीं। दीदी ने सरदारजी को अपनी बाहों में जकड़ लिया, और सरदारजी ने उन्हें कसकर चूमना शुरू कर दिया। उनके होंठ दीदी के होंठों से मिले, और फिर वो दीदी के गले, कंधों, और फिर नीचे की ओर बढ़े। सरदारजी का एक हाथ दीदी के मस्त कूल्हों को सहला रहा था, तो दूसरा उनके स्तनों को दबा रहा था। दोनों एक-दूसरे में खो चुके थे, जैसे दुनिया में बस वो दो ही हों।

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लेकिन तभी मम्मी की नींद खुल गई। सरदारजी डरकर भाग खड़े हुए, और दीदी ने शरीफ बनने की कोशिश की। “मुझे क्या पता था, जिज्जाजी कब आए और मुझे दबोच लिया,” दीदी ने सफाई दी, लेकिन उनकी लाल आँखें और उलझे बाल सब बयान कर रहे थे। मम्मी ने उन्हें खूब डाँटा, लेकिन दीदी का दिल तो कहीं और था।

दीदी और मिन्या का नाजायज़ रिश्ता

दीदी की ज़िंदगी में एक और शख्स था—मिन्या का लड़का, कल्लू। कल्लू कोई साधारण लड़का नहीं था। उसका काला, मोटा, 9 इंच का लंड मोहल्ले में मशहूर था। दीदी, जो उस वक्त 18 साल की थीं, कल्लू के जाल में फँस चुकी थीं। एक रात, जब मम्मी ने देखा कि दीदी अपने पलंग पर नहीं हैं, उन्होंने मुझे जगाया। “जा, अपनी दीदी को ढूँढ,” मम्मी ने कहा। मैंने इधर-उधर देखा, लेकिन दीदी कहीं नहीं मिली। आखिरकार, रात के 2 बजे, मुझे पता चला कि दीदी कल्लू के पास हैं।

जब मैं वहाँ पहुँचा, तो जो देखा, वो मेरे लिए सदमा था। दीदी पूरी नंगी थीं, और कल्लू ने उनकी कुंवारी चूत में अपना मोटा लंड डाल दिया था। दीदी की चूत की झिल्ली फट चुकी थी, और रस बह रहा था। उनकी चूत लाल टमाटर की तरह सूज गई थी, और उसमें से कल्लू का वीर्य और रस टपक-टपक कर उनकी जाँघों पर बह रहा था। दीदी ने अंडरगारमेंट्स भी नहीं पहने थे, बस एक टॉप थी, जो अब रस से सन चुकी थी। उनकी चूत साफ-सुथरी थी, क्योंकि दीदी ने अपने जाँघों के बाल ब्लेड से हटा रखे थे। उनकी चूत का गुलाबी रंग और लाल-लाल अंदरूनी हिस्सा साफ दिख रहा था, जो किसी को भी पागल कर सकता था।

दीदी ठीक से चल भी नहीं पा रही थीं। वो लंगड़ाते हुए, अपनी गांड और कूल्हे हिलाते हुए चल रही थीं। मम्मी ने उन्हें घर लाकर पलंग पर लिटाया और उनका टॉप उतार दिया। दीदी पूरी नंगी थीं। मम्मी ने उनकी चूत को देखा—वो फट चुकी थी, लाल होकर सूज गई थी। रस और वीर्य की बूँदें उनकी जाँघों और टॉप पर गिरी थीं। दीदी रो रही थीं, सिसकियाँ ले रही थीं, लेकिन उनकी आँखों में एक अजीब सी तृप्ति भी थी।

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मम्मी गुस्से में आग-बबूला हो गईं। “रंडी, चुदाई के मज़े ले आई? मिन्या ने तेरी चूत की ऐसी-तैसी कर दी। तेरी भोस फट गई, और उसका पानी तेरी जाँघों पर बह रहा है। बोल, उसने कंडोम लगाया था या नहीं?” मम्मी ने चिल्लाकर पूछा।

दीदी ने रोते हुए कहा, “उसने बिना कंडोम के ही मुझे चोदा। उसने कहा कि कंडोम लगाने से मज़ा नहीं आता।”

मम्मी ने और गुस्सा किया। “रंडी, जब लंड डाला, तब नहीं चिल्लाई, और अब रो रही है? मिन्या ने तेरी चूत का भुर्ता बना दिया। चड्डी कहाँ फेंक आई?”

दीदी चुप रही। मम्मी ने उन्हें बाथरूम में ले जाकर नहलाया। अपनी उंगलियों से दीदी की चूत को रगड़-रगड़ कर साफ किया, ताकि मिन्या का वीर्य उनके गर्भाशय तक न पहुँचे। दीदी चीख रही थीं, छटपटा रही थीं, लेकिन मम्मी का डर था कि कहीं दीदी प्रेग्नेंट न हो जाएँ। अगले दिन दीदी बिस्तर से उठ भी नहीं पाईं। उनकी चूत इतनी सूज गई थी कि वो चलने की हालत में नहीं थीं।

मेरा मन डोलने लगा

दीदी को उस हालत में देखकर मेरा मन भी डोलने लगा। उनकी नंगी, गोरी देह, वो लाल-लाल सूजी हुई चूत, और उनके मस्त, भरे हुए स्तन—सब कुछ मेरे दिमाग में हलचल मचा रहा था। मेरी कामवासना जाग उठी। मैंने सोचा, क्यों न अपनी दीदी को ही चोद दूँ? लेकिन हिम्मत नहीं हुई। मम्मी ने दीदी को लेडी डॉक्टर के पास ले जाकर गर्भनिरोधक गोलियाँ खिलाईं, वरना दीदी कुंवारेपन में ही मिन्या के बच्चे की माँ बन जातीं।



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इसके बाद भी दीदी नहीं सुधरीं। जब भी मौका मिलता, वो चुपके से मिन्या के पास चली जातीं और अपनी चुदाई करवातीं। हर बार जब वो चुदकर लौटतीं, उनकी चाल बदल जाती। वो अपनी गांड और कूल्हे हिलाते हुए, लंगड़ाते हुए चलतीं, क्योंकि मिन्या का 9 इंच का काला, मोटा लंड उनकी चूत को रगड़-रगड़ कर लाल कर देता था। मिन्या मेरे दोस्त जैसा था। वो मुझे अपना लंड दिखाता और कहता, “तेरी दीदी की चूत की मैं मस्त चुदाई करता हूँ। ज़रा उसकी चूत देखकर आ।” मैं गुस्से से तिलमिला उठता, लेकिन कुछ कर नहीं पाता। आखिर दीदी खुद अपनी मर्ज़ी से उसके पास जाती थीं।

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दीदी का नहाना और मेरा पागलपन

एक सुबह मैं अंदर के कमरे में गया, जहाँ हमारा बाथरूम था। जैसे ही मैंने दरवाज़ा खोला, मेरी साँसें थम गईं। दीदी वहाँ पूरी नंगी खड़ी थीं। उनके बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था। उनकी चूत पर अब झाँटों का जंगल उग आया था। उनके स्तन, जो पहले से भी ज़्यादा बड़े और गोल हो गए थे, पपीते की तरह भरे हुए और मस्त थे। उनकी गोरी देह पर पानी की बूँदें मोतियों की तरह चमक रही थीं। दीदी मुझे देखकर शरमा गईं। उनकी आँखें नीचे झुक गईं, और उनका चेहरा लाल हो गया।

मेरे दिलो-दिमाग में कामवासना का तूफान उठ खड़ा हुआ। मैं अपनी ही दीदी के साथ सम्भोग करने को पागल सा हो गया। मेरे मन में बस एक ही ख्याल था—उनकी चूत को चोदना, उनके स्तनों को मसलना, और उन्हें अपनी बाहों में जकड़ लेना। लेकिन तभी बाहर से मम्मी की आवाज़ आई, “तेरी दीदी नहा रही है, बाहर निकल!” मैं मजबूरन वापस लौट आया। आज भी उस पल का मलाल है। मेरी ज़िंदगी का पहला चुदाई का मौका मेरे हाथ से निकल गया।

राधिका दीदी की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। वो आज भी अपनी मस्ती में मगन हैं, और उनकी चूत की प्यास कभी कम नहीं हुई। लेकिन मेरे दिल में बस एक ही सवाल है—क्या कभी मुझे भी उनकी चूत का मज़ा लेने का मौका मिलेगा?

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