एक रात की चुदाई और नौ महीने की सजा

आज मैं जो आपको भाभी देवर की सेक्स कहानी (Bhabhi Devar Sex Story) जो सुनाने जा रही हूँ। शायद पहले आपने नहीं सूना होगा। आज मैं आपको अपनी एक सच्ची कहानी सूना रही हूँ। बहुत दिनों से सोच रही थी ये कहानी antarvasna.live डॉट कॉम के पाठकों के साथ शेयर करूँ आज मुझे ये मौका मिल गया और लीजिये मैं आपके सामने पेश कर रही हूँ अपनी चुदाई की सच्ची कहानी। ये कहानी आपको गर्म कर देगी क्यों की ये कहानी बड़ी जबरदस्त है मैं शायद ही कभी ज़िंदगी में इससे भूल पाऊँगी उस रात की बात। भूल सकती भी नहीं क्यों की आठ साल का बेटा मेरे पति के वीर्य से नहीं बल्कि मेरे देवर के वीर्य और और मेरी वासना से है।

मेरा नाम शालू है मैं अभी 35 साल की हो गई हूँ पर ये कहानी तब की है जब मैं 27 साल की थी और मेरी शादी हुई थी। शादी के करीब एक महीने के अंदर ही मेरा पति मुझे छोड़ कर दिल्ली चला गया वो दिल्ली में ही काम करता था मैं रह गई अकेली मैं नहीं बताउंगी की मैं किस स्टेट की हूँ। आजकल कुछ नहीं पता कहा से क्या क्या सुराग लोग निकाल ले और मैं बदनाम हो जाऊं। इसलिए मैं माफ़ी चाहती हूँ मैं अपनी पहचान गुप्त रखना चाहती हूँ। मैं और मेरी सासु माँ घर पर थे। मेरी सास बहुत उम्र की थी इसलिए वो जल्द ही शाम को खाना खाकर घर के बाहर जो कमरा था वहां सोने चली जाती थी। गर्मी का दिन था मैं अकेली परेशान हो गई थी।

सच बताऊँ दोस्तों मुझे अपने ससुराल में जरा भी मन नहीं लगता था। मैं पागल सी हो गई थी। पति का साथ नहीं घर में कोई बात करने वाला नहीं। अनजान गाँव अकेली बिलकुल अकेली मेरे पास ना फ़ोन थे ना और कुछ मैं बहुत ही मिडिल क्लास फॅमिली से थी। मेरे घर के पीछे एक लड़का रहता था उसका नाम था अमन, बहुत हैंडसम बहोत पढ़ने में तेज वो सब से अलग दीखता था कभी मैंने उसको पढाई के अलावा और कॉलेज के अलावा कुछ और करता था। गाँव में उसके चर्चे थे की अमन बहुत अच्छा लड़का है शायद उस समय उसकी उम्र 21 साल रही होगी मेरे से काफी छोटा। मैं खिड़की से उसकी को निहारती थी उसका कमरा भी बाहर था। गाँव का घर ऐसा ही होता था एक कमरा बाहर और बैठक।

मैं निहारते रहती थी मुझे बहुत अच्छा लगता था। एक दिन की बात है दोपहर के करीब दो बजे थे वो खाना खाकर बाहर निकला था की मैं खिड़की से इशारा की और बुलाया। मेरे घर के पीछे भी दरवाजा था वो पिछले दरवाजे से अंदर आ गया। शायद उसे लगा की भाभी को कुछ मंगवाना होगा इसलिए बुलाई क्यों की आते ही उसने कहा कुछ काम है क्या? मैंने कहा नहीं नहीं कोई काम नहीं है। अकेली बोर हो रही थी इसलिए आपको बुला ली। जून का महीना था इसलिए कोई दूर दूर तक नहीं दिखाई दे रहा था सब अपने घर में कैद थे।

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मैं बात चीत करने लगी, गर्मी का दिन था इसलिए मैंने दरवाजा अपने कमरे का सटा दी थी मेरी सासु माँ बाहर थी वो सो रही थी मेन दरवाजा बंद था। करीब एक घंटे हो गए इधर उधर की बात हो रही थी। मैंने पूछा शादी करोगे मेरी एक बहन है। उन्होंने कहा नहीं नहीं अभी मैं पढाई कर रहा हूँ। मैंने कहा शादी कर लो पढाई भी होगी और वो सब मिलेगा जिसके लिए लड़का पागल रहता है जवानी में। वो शर्मा गया। मुझे उसका सरमाना इतना भा गया की क्या बताऊँ। सर झुका लिया मैंने कहा देखो तुम्हारे भैया चले गए दिल्ली और छोड़ गए अकेले। जब ऐसा ही करना था तो शादी क्यों किया उन्होंने। एक महीने तक गरम कर के छोड़ गया। और मैं हॅसने लगी वो उठ कर खड़ा हो गया और बोला जा रहा हूँ मुझे पढ़ाने जाना है वो ट्यूशन भी लेता था।

मैं दरवाजे पर बैठ गई मैं बोली जाने नहीं दूंगी। वो जैसे बाहर निकलने की कोशिश करता मैं उसका लंड छूने की कोशिश करती। ऐसा करते करते वो भी कामुक होने लगा और मुझे पकड़ने की कोशिश करने लगा मैं भाग कर अंदर गई वो पहले से ही अंदर था। वो मेरे पीछे भागने लगा मैं बैठ गई। वो मेरी चूचियों को चुने की कोशिश कर रहा था पर मैं बैठ गई और अपनी चूचियों को अपने घुटनों से दबा ली उसने किसी तरह से छुड़ा कर मेरी दोनों चूचियों को हाथ में ले लिए और दबाने लगा।

ब्लाउज के अंदर मेरी चूचियों मसल रही थी मैं ब्रा नहीं पहनी थी। इस कह नहीं सकती की मैं उस दिन ब्रा क्यों नहीं पहनी थी। मेरी चूचियां ऐसे भी बहुत टाइट और सॉलिड थी। वो चूचियां दबाने में कामयाब हो गया मेरे पीछे से फिर उसने मेरे कंधे के पीछे से मेरे गाल पर चूमने लगा। मैंने बोली माँ आ गई। वो एकदम से डर गया और चुपचाप खड़ा हो गया। मैं उठकर दरवाजे के पास गई कोई नहीं था मैंने दरवाजा बंद कर दी और वापस आकर उसको अपनी बाहों में भर ली। वो मेरी चूचियां दबाता मुझे चूमता और मैं उसके लंड को सहला रही थी।

गर्मी का दिन थे पसीने निकलने लगे साँसे तेज तेज चलने लगी। वो अनाड़ी था उसको कुछ नहीं पता शायद पहले कभी चूचियां भी नहीं दबाया था। और उसको चूत मिलने वाला था वो नर्वस था पर मैं एक नंबर की चुदक्कड़ लड़की मैं तुरंत ही पलंग पर लेट गई और साडी ऊपर कर दी। वो जैसे तैसे मेरे ऊपर चढ़ा मैं टांग फैला दी उसने अपना लंड निकाला मेरी चूत में बड़ी मुश्किल से घुसाया वो भी मेरी मदद से और नर्वस होकर दो से तीन मिनट में ही माल झाड़ दिया पर उसके शॉट जबरदस्त थे इसलिए मैं खुद झड़ गई क्यों की वो पहले भी मुझे बहुत ज्यादा छेड़ चूका था।

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मैं उठ गई वो भी जल्दी जल्दी जाने लगा मैंने कहा सुनो रात को आना। उसने बोला थी है। उस दिन मैं जल्दी खाना बनाई सजी संवरी और अपने देवर के बाट देखने लगी जब की मुझे पता था की रात के ११ बजे तक आएगा फिर भी मैं नौ बजे से तैयार बैठी थी। सासु माँ खाना खाकर सो गई वो वो सुबह ही उठती मुख्य दरवाजा बंद कर दी अब वो आ भी नहीं सकती। रात के करीब 11 :30 हो गए पर वो नहीं आया मैं नींद में जाने लगी और मैं सो गई। करीब बाहर बजे के बाद वो खिड़की से झाँक रहा था और पत्थर का छोटा टुकड़ा फेंक रहा था मेरे ऊपर मुझे उठाने के लिए क्यों की जब नींद खुली तो देखि दो तीन टुकड़े मेरे आस पास पड़े थे।

घर में लालटेन जल रहा था हलकी हलकी रौशनी थी। मैं उठी और पीछे का दरवाजा खोली और अंदर ले आई। मैं फिर वापस गई और बाहर झांक कर देखि कोई देखा तो नहीं होगा पर कही कोई नहीं था। वापस आते ही मैं लेट गई पलंग पर और उसका हाथ पकड़ ली। वो मेरे गाल पर चुम्मा लेने लगा। मैं आगे बढ़कर उसके होठ को अपने दांतो से दबाने लगी और अपना जीभ उसके मुँह में दी दी। वो तो बस गया ऐसा मुझे लगने लगा। क्यों की उसकी साँसे तेज तेज चलने लगी थी। मैंने अपना साडी ऊपर उठाया और ब्लाउज की हुक खोल दी।

बड़ी बड़ी टाइट चूचियां वो पकड़ कर दबाते हुए मेरे निप्पल को ऊँगली से रगड़ रहा था। मैं कामुक हो गई मेरी चूत गीली हो गई मेरे आँख लाल लाल हो रहे थे मैं खुद को नहीं रोक पा रही थी उसका लंड पकड़ ली पकड़ते ही मेरे पुरे शरीर में करंट दौड़ गया। मैंने अपना पैर फैला दी और उसके बीच में आने को कहा वो आ गया अपना लंड निकाला और मेरे चूत घुसाने की कोशिश करने लगा पर जा नहीं रहा था इसके पहले उसको शायद पता भी नहीं था की चूत का छेद किधर होता है लंड कहाँ लगाएं अंदर घुसाने के लिए ऐसे भी मेरी चूत टाइट और छेद छोटी थी।

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मैंने पकड़ पर सेट किया और जोर से अंदर घुसा दिया। अब वो मेरी चूचियाँ दबा दबा कर जोर जोर से धक्के देने लगा माथे पर पसीना टप टप मेरी चूचियाँ ऐसे भी पसीने से तर बतर थी। ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह मजा आ रहा था ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह क्या बताऊँ दोस्तों लिखते लिखते मेरी चुत गीली हो रही है। करीब आधे घंटे की चुदाई में वो मुझे संतुष्ट कर दिया मैं दबोचे रही उसे जब तक मैं शांत नहीं हो गई फिर अपना निप्पल उसके मुँह में डाली वो चूस रहा था ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उस समय मेरे पुरे शरीर में सिहरन हो रही थी। ये कहानी आप antarvasna.live डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं। मुझे खुश कर दिया। वो बोला अब जा रहा हूँ मैं बोली भी सो जाओ यही जल्दी सुबह चले जाना पर वो रुका नहीं और चला गया।

मैं जल्दी ही नींद में चली गई और सो गई। सुबह उठते ही मेरा भाई मुझे लेने आ गया मायके क्यों की पापा का तबियत ख़राब था मैं अपने भाई के साथ मायके चली गई थी। मायके में मेरा पीरियड मिस हो गया। जब मेरा पति दिल्ली गया था उसके 15 दिनबाद मेरा पीरियड आया था पर उसके गए करीब डेढ़ महीने हो गए थे उसके बाद पीरियड बंद हुआ मैं डर गई। अब क्या करूँ यानी मैं अमन के बच्चे की माँ बनने वाली थी। वापस आ गई ससुराल और एक दिन बेहोश होने का नाटक की रात में दो से तीन बार लोग मुझे डॉक्टर के यहाँ भी लेकर आये। ये बात मेरे पति तक पहुंच गई उसी दिन फ़ोन कर के उनको बता दिया गया।

वो बन्दा भागे भागे तीसरे दिन हाजिर हो गया। एक सप्ताह रहा इस बीच मुझे चोदा और फिर वापस दिल्ली चला गया। दूसरे महीने मैंने उसको बता दिया की तुम बाप बनने वाले हो।

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