देसी पड़ोसन रिया भाभी की चुदाई

मेरा नाम गौरव है, उम्र 30 साल, दिल्ली का रहने वाला हूँ। बात अभी की है, जब मेरी ज़िंदगी में वो हसीन पल आया, जिसका मैंने हमेशा सपना देखा था। मेरी पड़ोसन, भाभी, जिनका नाम रिया है, वो ऐसी खूबसूरत औरत थीं कि बस उन्हें देखकर ही दिल बेकाबू हो जाता था। उनकी कातिलाना मुस्कान, वो गहरी आँखें, और वो सेक्सी फिगर—हाय, हर बार उन्हें देखकर मन में बस एक ही ख्याल आता था कि काश, एक बार उनके साथ वो पल जी लूँ, जो रातों को मेरे सपनों में आता था।

कई बार मैंने सोचा कि भाभी को कैसे पटाऊँ, कैसे उनके करीब जाऊँ, पर मौका ही नहीं मिलता था। लेकिन कहते हैं ना, जब दिल से दिल मिलने की दुआ माँगो, तो किस्मत भी साथ देती है। और वो दिन आ ही गया, जब मेरी ये तमन्ना पूरी होने वाली थी।

मौका मिला, दिल धड़का

उस दिन मालिक और मालकिन, यानी भाभी के सास-ससुर, कहीं बाहर गए हुए थे। घर में बस मैं और भाभी अकेले थे। रात का समय था, और हम दोनों छत पर टहल रहे थे। हल्की ठंडी हवा चल रही थी, और भाभी की साड़ी का पल्लू बार-बार उड़ रहा था, जिससे उनकी कमर और वो गहरी नाभि बार-बार नजर आ रही थी। मैं तो बस उन्हें घूर रहा था, और मन में तूफान उठ रहा था।

मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “भाभी, आज तो नीचे सोना पड़ेगा, छत पर थोड़ा ठंडा हो रहा है।”
भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा, “अकेले सोने में डर नहीं लगेगा?”
मैंने तपाक से जवाब दिया, “डर तो लगेगा भाभी, अब कौन आएगा मेरे साथ सोने?”
वो हँस पड़ीं और बोलीं, “अच्छा, तो मैं आ जाऊँ?”

बस, ये सुनते ही मेरे दिल की धड़कनें रॉकेट की स्पीड पकड़ गईं। मैंने मजाक में कहा, “भाभी, ऐसा नसीब कहाँ!”
वो गंभीर होकर बोलीं, “मैं सच कह रही हूँ, गौरव। बस किसी से कहना मत।”
मैंने झट से कहा, “अरे भाभी, आप मेरा साथ दे रही हैं, मैं क्यों किसी को बताऊँगा? आप तो मेरा दिल जानती हैं!”

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रात का जादू

रात को हम दोनों सोने के लिए तैयार हुए। कमरे में हल्की लाइट जल रही थी, और भाभी ने एक पतली सी नाइटी पहन रखी थी, जो उनके कर्व्स को और भी उभार रही थी। मैंने कहा, “भाभी, गर्मी हो रही है, मैं कपड़े उतार लूँ?”
वो शरारती अंदाज़ में बोलीं, “क्यों नहीं, उतार लो।”

मैंने धीरे-धीरे अपनी शर्ट और पैंट उतारी, और अब सिर्फ़ अंडरवियर में था। मेरा 8 इंच का लंड, जो पहले से ही भाभी के ख्यालों में टाइट हो चुका था, अंडरवियर में साफ़ दिख रहा था। भाभी की नजरें वहाँ टिक गईं, और वो बोलीं, “ये क्या, गौरव? ये इतना उभरा हुआ क्यों है?”
मैंने हँसते हुए कहा, “भाभी, ये तो रात का जुगाड़ वाला सामान है!”
वो हँस पड़ीं और बोलीं, “अच्छा, जरा दिखाओ तो!”
मैंने कहा, “खुद ही देख लो ना, भाभी!”

भाभी ने धीरे से मेरे अंडरवियर में हाथ डाला और मेरा लंड बाहर निकाल लिया। जैसे ही उन्होंने उसे देखा, उनके मुँह से निकला, “वाउ! गौरव, ये तो…!”
मैंने कहा, “भाभी, ये तो कब से आपका इंतज़ार कर रहा था। जरा इसे प्यार से थामो ना!”

आग दोनों तरफ़ लगी

भाभी ने मेरे लंड को अपने नाज़ुक हाथों में लिया और धीरे-धीरे सहलाने लगीं। मैंने उनके ब्लाउज़ के ऊपर से उनके बड़े-बड़े बूब्स दबाने शुरू किए। उनके निप्पल्स इतने टाइट हो चुके थे कि ब्लाउज़ के बाहर से भी महसूस हो रहे थे। मैंने उनका ब्लाउज़ उतारा और उनके निप्पल्स को चूसना शुरू किया। भाभी की सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगीं, “आह… गौरव…!”

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मैंने कहा, “भाभी, मेरा लंड अपने मुँह में लो ना, मज़ा आएगा।”
पहले तो वो थोड़ा हिचकिचाईं, लेकिन जब मैंने उनकी नाइटी ऊपर उठाकर उनकी चूत में उंगली डालनी शुरू की, तो वो पागल हो गईं। उनकी चूत पहले से ही गीली थी, और वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं। हाय, क्या मज़ा था! मैं भी उनके मखमली जिस्म को चूम रहा था, उनके बूब्स दबा रहा था, और उनके निप्पल्स को चूस रहा था।

चुदाई का तूफ़ान

जब दोनों का जोश चरम पर था, मैंने भाभी को बिस्तर पर लिटाया। उनकी चूत को मैंने अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। वो इतनी गीली थी कि मेरा मुँह उनके रस से भर गया। भाभी सिसकारियाँ ले रही थीं, “गौरव… और करो… आह!”

मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रखा और एक ही झटके में पूरा अंदर डाल दिया। भाभी की चीख निकल गई, “आह… धीरे…!” लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था। मैंने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने शुरू किए, और भाभी की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गईं, “आह… गौरव… और ज़ोर से…!”

लगभग आधा घंटा मैं उनकी चुदाई करता रहा। उनके बूब्स दबाता, उनके निप्पल्स चूसता, और उनकी चूत में अपना लंड अंदर-बाहर करता। ऐसा लग रहा था कि मैं उनकी चूत में ही समा जाऊँ। इस बीच, मैंने अपनी एक उंगली उनकी गांड में डाल दी, जिससे भाभी और पागल हो गईं। वो बोलीं, “गौरव, मेरी जान… मेरी गांड में भी डाल दो ना!”

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मैंने कहा, “क्यों नहीं, मेरी रानी! तुम्हारे हर छेद में मेरा लंड जाएगा!”



गांड की चुदाई

भाभी घोड़ी बन गईं। मैंने अपने लंड पर तेल लगाया और उनकी गांड पर रखा। धीरे-धीरे मैंने ज़ोर लगाया, और मेरा लंड का टोपा उनकी गांड में घुस गया। भाभी को दर्द हुआ, और वो बोलीं, “निकाल दो… बहुत दर्द हो रहा है!”
मैंने कहा, “बस, डार्लिंग, अब मज़ा आएगा।”

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मैंने धीरे-धीरे ज़ोर लगाया, और मेरा पूरा लंड उनकी गांड में समा गया। 3-4 मिनट तक मैं उनकी गांड मारता रहा, और भाभी भी अब मज़े में सिसकारियाँ ले रही थीं। जब मुझे लगा कि मेरा पानी निकलने वाला है, मैंने भाभी को सीधा किया और अपना लंड उनके मुँह के पास ले गया। मैंने हल्के से मुठ मारी, और सारा माल उनके मुँह में डाल दिया। पहले तो वो “छी” करने लगीं, लेकिन मैंने उनके गालों को सहलाया, और वो सारा माल पी गईं।

मज़ा आया?

हम दोनों थककर चूर हो चुके थे। हाथ-मुँह धोकर हम बिस्तर पर लेट गए। मैंने पूछा, “भाभी, मज़ा आया?”
वो शरमाते हुए बोलीं, “गौरव, ऐसा मज़ा तो मैंने पहले कभी नहीं लिया। तुमने तो मुझे पागल कर दिया!”
वो बोलीं, “जब भी मौका मिले, मेरी चुदाई कर देना।”

एक और बार

उसके बाद एक दिन मैंने भाभी को दिन में बाथरूम में घोड़ी बनाकर चोदा। सुबह से शाम तक, जब भी मौका मिलता, हम दोनों एक-दूसरे में खो जाते। भाभी की वो सेक्सी सिसकारियाँ, उनका मखमली जिस्म, और उनकी चुदाई का नशा—हाय, वो दिन मेरी ज़िंदगी के सबसे हसीन दिन थे।

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