मैं पढ़ें दिल्ली के सुशील और उसकी बहन रीमा की हॉट सेक्स स्टोरी। परिवार में झगड़ों और तलाक के बाद सुशील की तड़प और रीमा के साथ उसकी गर्म रात की कहानी। Indian adult kahani जो आपको बांधे रखेगी!
सुशील, दिल्ली में एक MNC में काम करता हूँ। उम्र 32 साल, ज़िंदगी मेरी बिल्कुल साधारण थी। मेरी बीवी नेहा, 28 साल की, मेरी छोटी बहन रीमा, जो कॉल सेंटर में काम करती थी, और मेरी माँ, सब साथ रहते थे। लेकिन अचानक, पता नहीं क्यों, नेहा और रीमा के बीच झगड़े शुरू हो गए। दोनों कम न थीं, एक से बढ़कर एक जिद्दी। झगड़े इतने बढ़े कि माँ भी रीमा का साथ देने लगी। नेहा ने मुझ पर दबाव डाला कि मैं रीमा को घर से निकाल दूँ, लेकिन मैं ऐसा कैसे कर सकता था? आखिरकार, नेहा गुस्से में अपना मायका छोड़कर चली गई।
उसके बिना मेरा मन बिल्कुल नहीं लगता था। रातें सूनी, दिन बेकार। सेक्स की तड़प मुझे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी। धीरे-धीरे मैं शराब के नशे में डूबने लगा। कम से कम उससे नींद तो आती थी। लेकिन मेरा बुरा हाल था। एक रात, मैंने एक ऐसी हॉट मूवी देखी कि मेरा दिमाग और लौड़ा, दोनों बेकाबू हो गए। नशा भी चढ़ा था। उसी वक्त रीमा की नौकरी छूट गई थी, और घर की सारी जिम्मेदारी मुझ पर आ पड़ी। ऊपर से नेहा का डिवॉर्स नोटिस भी आ गया। मैं रीमा और माँ को इसके लिए जिम्मेदार मानता था। उनकी वजह से ही मेरी फैमिली लाइफ बर्बाद हुई थी।
उस रात, मैं घर के दरवाजे पर खड़ा था। अचानक अजीब-सी आवाजें सुनाई दीं। “हाय… प्लीज़, जल्दी करो ना, भैया कभी भी आ सकते हैं… ओह, कितना मज़ा आ रहा है…” मैंने की-होल से झाँका तो देखा, रीमा किसी लड़के के साथ थी। वो उस लड़के के नीचे थी, और वो उसके बूब्स चूस रहा था। हाय, रीमा के बूब्स का साइज़! क्या मस्त थे! लेकिन मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर था। मैंने जोर से डोरबेल बजा दी।
रीमा ने थोड़ी देर बाद दरवाजा खोला। मुझे देखते ही उसका चेहरा सफेद पड़ गया। घबराते हुए बोली, “भैया, ये रवि है, बुक लेने आया था।” वो लड़का “हैलो” कहकर चला गया। मैंने गौर किया, उसके साथ कोई बुक नहीं थी। मैं चुपचाप बाथरूम में चला गया। दिमाग में बस एक ही चीज़ घूम रही थी—रीमा का बदन। मैं सेक्स की आग में जल रहा था, और इसके लिए मेरी बहन और माँ जिम्मेदार थीं। और ऊपर से रीमा खुद जवानी के मज़े ले रही थी!
मैंने ठान लिया, अब और नहीं। मैं सेक्स के लिए तड़प रहा हूँ, और घर में सेक्स की गंगा-जमुना बह रही है। और मेरी इस हालत की जिम्मेदार भी रीमा ही है। आज मैं डिवॉर्स के कगार पर हूँ, सिर्फ रीमा की वजह से।
मैं बाथरूम से निकला। रीमा ने पूछा, “भैया, खाना लगा दूँ?” मैंने पूछा, “माँ कहाँ है?” वो बोली, “वो कॉलोनी में सत्संग में गई हैं। अभी आती होंगी।”
मैंने तंज कसा, “और घर में तेरा सत्संग चलstat: “नहीं भैया, ऐसा कुछ नहीं है जैसा तुम सोच रहे हो।”
रीमा का मुँह खुला रह गया। उसने मुझे कभी इतने गुस्से में नहीं देखा था। वो बोली, “भैया, आपने ज़्यादा पी ली है। आप होश में नहीं हैं।”
मैंने गुर्राया, “साली, मुझे चूतिया समझती है? मैंने सब अपनी आँखों से देखा है। तुझे इतनी आग लग रही है तो मुझे बताती।”
वो किचन में चली गई। मैं भी पीछे-पीछे गया। वो काम कर रही थी, उसकी पीठ मेरी तरफ थी। उसकी कमर का कर्व, वो टाइट कुरता, सब मेरे दिमाग को और भटका रहा था। मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया।
“अरे भैया, ये क्या कर रहे हो?” वो चीखी।
“वही जो अभी तेरा यार तेरे साथ कर रहा था,” मैंने कहा।
“भैया, प्लीज़, चले जाओ। मुझे काम करने दे। नहीं तो मैं माँ को बता दूँगी।”
“तू क्या बताएगी? मैं बताऊँगा माँ को सारी बात। साली, घर में यारबाज़ी करती है और मुझे धमकी देती है।” मैंने उसके बूब्स कुरते के ऊपर से पकड़ लिए। वो फिर चीखी, “हाय भैया, ये क्या कर रहे हो?”
मैंने उसे कमर से उठाया और किचन से ड्रॉइंग रूम में ले आया। वो छटपटा रही थी। “भैया, प्लीज़ छोड़ दो। कोई अपनी सगी बहन के साथ ऐसा करता है?”
मैंने उसे सोफे पर पटक दिया और उसके हाथ पकड़कर उसकी चूचियाँ दबाने लगा। मैंने टीवी का वॉल्यूम फुल कर दिया ताकि कोई आवाज़ बाहर न जाए। रीमा का बुरा हाल था। मैंने कहा, “रीमा, या तो राज़ी से मान जा, नहीं तो जबरदस्ती से। लेकिन आज तुझे छोड़ूँगा नहीं। साली, पड़ोसियों को बाँट रही है और घर में भाई लंड हिलाता घूम रहा है।”
मैंने जबरदस्ती उसका कुरता ऊपर किया और उसकी चूचियाँ खोल दीं। हाय, क्या प्यारी चूचियाँ थीं रीमा की! गोल, मुलायम, जैसे रस भरे आम। मैंने अपना मुँह उन पर लगा दिया और चूसने लगा। उसकी साँसें तेज़ थीं, उसका बदन गर्म। मैं बस उसमें खोया हुआ था।
तभी जोर-जोर से कॉल बेल बजी। माँ दरवाज़ा पीट रही थी। रीमा मेरी पकड़ से छूटी और बदहवास-सी दौड़कर दरवाज़ा खोल दिया। माँ ने उसे देखा—उसका फटा कुरता, खुली चूचियाँ। माँ सब समझ गई।
रीमा चिल्लाई, “माँ, देखो भैया मेरे साथ क्या कर रहे हैं!”
माँ ने मेरी तरफ देखा। मैंने कहा, “तुम बीच में मत आना। साली घर में लड़के बुलाकर चुदवाती है। और मेरे में क्या काँटे लगे हैं? मैंने आज सब अपनी आँखों से देखा है।”
माँ ने रीमा को देखा। उसकी नज़रें नीचे थीं। मेरे ऊपर तो सेक्स का भूत सवार था। मुझे अब किसी की शर्म नहीं थी। मैंने फिर रीमा का हाथ पकड़ा और उसे अपने रूम में ले जाने लगा।
माँ ने मुझे रोका, “बेटा, ऐसे नहीं करते। ये तेरी बहन है। और तुम दोनों इस तरह लड़ रहे हो। अगर बाहर आवाज़ गई तो लोग क्या कहेंगे? घर की इज़्ज़त घर में रहने दे, सड़क पर नीलाम मत कर।”
मैंने गुस्से में कहा, “तुमने और रीमा ने मिलकर मेरा डिवॉर्स करवा दिया। अब मैं सेक्स के लिए पागल हुआ जा रहा हूँ। इसका कोई इलाज नहीं है। मैं सचमुच सुसाइड कर लूँगा।” इतना कहकर मैं किचन में गया और चाकू ले आया।
माँ और रीमा मुझे बचाने दौड़ीं। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और चाकू छीन लिया। माँ मेरी हालत देखकर असमंजस में पड़ गई। फिर वो रीमा से बोली, “बेटा, जा। आज तू इसके रूम में ही सो जा।”
रीमा हैरानी से माँ का मुँह देख रही थी। माँ ने फिर सिर हिलाकर कहा, “जा बेटा। औरत को न जाने कितने रोल निभाने पड़ते हैं, इस मर्द जात के लिए। आज वो तेरा भाई नहीं है। बस ये समझ, मैं तुझे एक मर्द के साथ भेज रही हूँ। कोई बुराई नहीं है। ऐसा बहुत से घरों में चलता है। तेरा भाई मजबूर है। जा, उसकी प्यास बुझा दे।”
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था। मेरी सगी माँ मुझे मेरी सगी बहन ऑफर कर रही थी! मैंने खुशी से रीमा को गोद में उठाया और रूम में ले गया। माँ बोली, “सुन, जरा अच्छे से। तेरी बहन की ये पहली बार है।”
मैंने रूम का दरवाज़ा बंद किया। रीमा मुझे देख रही थी। वो अब तक समझ नहीं पा रही थी कि ये सब क्या हो रहा है। उसने कहा, “भैया, क्या ये सही है?”
मैंने कहा, “अब तो माँ ने भी कह दिया। माँ कभी गलत नहीं हो सकती। और आज से मैं तेरा भैया भी मैं, और सइयाँ भी मैं।”
मैंने उसका चेहरा चूमा। उसकी आँखों में डर था, लेकिन कहीं न कहीं एक अजीब-सी चमक भी। मैंने उसका कुरता धीरे-धीरे उतारा। उसका गोरा बदन चाँदनी की तरह चमक रहा था। मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसके होंठों को चूमा। उसकी साँसें और तेज़ हो गईं। मैंने उसके पूरे बदन को चूमा, उसकी चूचियाँ, उसकी कमर, उसकी जाँघें। वो सिहर रही थी।
“भैया…” उसने धीमी आवाज़ में कहा, लेकिन अब वो मना नहीं कर रही थी। मैंने अपनी शर्ट उतारी और उसे अपनी बाँहों में ले लिया। उसका गर्म बदन मेरे बदन से टकरा रहा था। मैंने उसकी सलवार खोली। उसका नंगा बदन देखकर मैं पागल हो गया। मैंने उसे धीरे-धीरे प्यार किया, उसकी हर साँस, हर सिहरन को महसूस किया।
उस रात, रीमा मेरी हो गई। वो मेरी बहन थी, लेकिन उस पल वो मेरी सइयाँ थी। हम दोनों एक-दूसरे में खो गए। सुबह तक, हमारी तड़प शांत हो चुकी थी। रीमा मेरी बाँहों में थी, और मैंने उससे कहा, “अब तू मेरी ज़िम्मेदारी है।”
वो मुस्कुराई और बोली, “भैया भी तुम, और सइयाँ भी तुम।”