कानपुर की एक पुरानी हवेली में, जहाँ रातें सन्नाटे और जुनून की गर्मी से भरी होती थीं, मैं, रोहन, अपनी माँ, काव्या, के साथ रहता था। माँ 38 साल की थीं, मगर उनका जिस्म किसी 28 साल की लड़की को भी मात देता था। उनकी टाइट साड़ी में उभरे रसीले बूब्स, पतली कमर, और गोल नितंब हर मर्द के लंड में आग लगा देते थे। उनकी गहरी आँखें और गुलाबी होंठ जैसे चूमने की खुली दावत दे रहे हों। पिताजी एक सरकारी नौकरी में थे और महीने में 20 दिन बाहर रहते थे, जिससे माँ की रातें अकेली और बेचैन होती थीं।
मैं, 22 साल का जवान लड़का, कॉलेज में पढ़ता था। मेरा मस्कुलर जिस्म और मोटा लंड गाँव की लड़कियों को बेचैन कर देता था, मगर मेरी नजरें हमेशा माँ के जिस्म पर अटकती थीं। जब वह साड़ी में रसोई में खाना बनातीं, और उनका पल्लू सरक जाता, तो उनके बूब्स का क्लीवेज देखकर मेरा लंड तन जाता था। माँ भी मेरी नजरों को पकड़ लेती थीं, और उनकी मुस्कान में एक शरारत होती थी, जैसे वो मेरी बेचैनी का मज़ा ले रही हों।
एक रात का बुलावा
वो एक नवंबर की ठंडी रात थी। हवेली का लिविंग रूम मद्धम रोशनी से नहाया हुआ था, और बाहर हल्की बारिश की बूँदें खिड़कियों को भिगो रही थीं। मैं अपने कमरे में किताब पढ़ रहा था, जब माँ ने मुझे आवाज़ दी, “रोहन, इधर आना ज़रा।” उनकी आवाज़ में एक अजीब सी कशिश थी, जो मेरे लंड में हलचल मचा गई।
मैं माँ के बेडरूम में गया। वह बेड पर लेटी थीं, एक पतली सी नाइटी में, जो उनके जिस्म को मुश्किल से ढक रही थी। उनके बूब्स नाइटी के ऊपर से साफ़ झलक रहे थे, और उनकी टाइट चूत की शेप पैंटी में उभर रही थी। “क्या हुआ, माँ?” मैंने पूछा, मगर मेरी नजरें उनके जिस्म पर टिकी थीं।
माँ ने अपनी नाइटी का स्ट्रैप हल्का सा खिसकाया और बोलीं, “रोहन, तू अब जवान हो गया है। तेरा लंड कितना बड़ा हुआ है, दिखा तो ज़रा।” उनकी बात सुनकर मेरी साँसें थम गईं। मैंने हकलाते हुए कहा, “माँ, ये… ये गलत है।” मगर मेरे लंड ने मेरी जीन्स में तनकर बता दिया कि मैं कितना बेकरार था।
“गलत वो है, जो मज़ा न दे,” माँ ने शरारत भरे लहजे में कहा, और बेड से उठकर मेरे पास आईं। उन्होंने मेरे होंठों पर अपने रसीले होंठ रख दिए। वो किस इतना गहरा और गर्म था कि मेरे सारे कंट्रोल टूट गए। मैंने माँ को अपनी बाहों में कस लिया, और उनकी नाइटी उतार दी।
बेडरूम में वासना का तूफान
माँ की नाइटी फर्श पर गिरी, और वह सिर्फ़ अपनी काली लेस पैंटी में मेरे सामने थीं। उनके रसीले बूब्स मेरी आँखों के सामने उछल रहे थे, और उनकी टाइट चूत की गर्मी पैंटी के पार महसूस हो रही थी। “माँ, तेरा जिस्म मुझे पागल कर रहा है,” मैंने कहा, और उनके बूब्स को अपने हाथों में लिया, धीरे-धीरे दबाते हुए। मैंने उनके निप्पल्स को अपने मुँह में लिया, और उन्हें चूसने लगा। माँ की सिसकारियाँ कमरे में गूँज उठीं। “हाँ, रोहन… और जोर से चूस… मेरे बूब्स को दबा,” उन्होंने चिल्लाते हुए कहा।
मैंने माँ की पैंटी उतार दी, और उनकी टाइट चूत मेरे सामने थी, गीली और गुलाबी, जैसे कोई नशीला फूल। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत पर फिराई, और माँ की चीखें हवेली में गूँज उठीं। “और तेज, बेटा… मेरी चूत को चाट,” उन्होंने चिल्लाया, और अपनी टाँगें और चौड़ी कर दीं। मैंने अपनी जीभ को उनकी चूत की गहराइयों में डाला, और माँ की कमर उछलने लगी।
माँ ने मेरी जीन्स खोल दी और मेरा मोटा लंड बाहर निकाला। “ये लंड तो मेरी चूत को फाड़ देगा,” उन्होंने शरारत से कहा, और मेरे लंड को अपने मुँह में लिया। उनकी जीभ मेरे मोटे लंड पर लपलपाती रही, और मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं। “माँ, तेरा मुँह मेरे लंड को पागल कर रहा है,” मैंने कहा, और उनके बालों को कसकर पकड़ लिया।
पूरी रात की चुदाई
माँ ने मुझे बेड पर लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गईं। “चोद दे मुझे, रोहन,” उन्होंने सिसकारी भरे लहजे में कहा, और मेरे मोटे लंड को अपनी टाइट चूत में लिया। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए, और माँ की सिसकारियाँ और तेज हो गईं। “और जोर से, बेटा… मेरी चूत को फाड़ दे,” उन्होंने चीखते हुए कहा। मैंने अपनी रफ्तार बढ़ाई, और हर धक्के के साथ माँ के बूब्स उछल रहे थे। मैंने उनके निप्पल्स को अपने मुँह में लिया, उन्हें काटते हुए, और माँ की चीखें और तेज हो गईं।
मैंने माँ को पलट दिया और उन्हें डॉगी स्टाइल में चोदना शुरू किया। मेरा मोटा लंड उनकी टाइट चूत में इतनी गहराई तक जा रहा था कि दोनों के जिस्म एक-दूसरे में पूरी तरह घुल गए। “हाँ, रोहन… और गहरा… मेरी चूत को रगड़ दे,” माँ चिल्ला रही थीं। मैंने उनके नितंबों को थपथपाया, और उनकी चीखें और तेज हो गईं।
पूरी रात, हमने एक-दूसरे के जिस्म को चखा। मैंने माँ को बेड के हर कोने में चोदा—कभी उनकी चूत को, कभी उनके बूब्स को चूसते हुए, और कभी उनके नितंबों को सहलाते हुए। माँ ने मेरे मोटे लंड को बार-बार अपने मुँह में लिया, और उनकी जीभ ने मुझे पागल कर दिया। “तेरा लंड मेरी चूत का राजा है, रोहन,” उन्होंने सिसकारी भरे लहजे में कहा, और मुझे और जोर से चोदने के लिए उकसाया।
रात के दो बजे, जब हम थककर बेड पर लेटे, माँ ने मेरे लंड को फिर से अपने हाथ में लिया। “ये अभी भी तना हुआ है,” उन्होंने शरारत से कहा, और उसे फिर से चूसने लगीं। मैंने माँ को अपनी गोद में बिठाया और उन्हें फिर से चोदना शुरू किया। इस बार, माँ ऊपर थीं, और उनकी कमर हर धक्के के साथ लय में हिल रही थी। “तेरी टाइट चूत मेरे लंड को निचोड़ रही है, माँ,” मैंने कहा, और माँ ने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी।
सुबह की गर्मी
जब सुबह की पहली किरण खिड़की से झाँकी, माँ और मैं नंगे एक-दूसरे की बाहों में लेटे थे। माँ ने मेरे सीने पर सिर रखा और फुसफुसाया, “रोहन, तूने मेरी चूत को रंगीन कर दिया। ये चुदाई मेरे जिस्म में हमेशा रहेगी।” मैंने उनकी आँखों में देखा और कहा, “माँ, तेरी टाइट चूत मेरे मोटे लंड की गुलाम बन गई है।”
माँ ने एक आखिरी बार मेरे होंठों को चूमा, अपनी नाइटी पहनी, और एक कामुक मुस्कान के साथ बोलीं, “तेरे पिताजी अगले हफ्ते फिर बाहर जाएँगे। मेरी चूत तेरा इंतज़ार करेगी।” मैंने उनकी कमर पकड़ी और कहा, “तो मेरा मोटा लंड हाजिर रहेगा।”
जैसे ही माँ दरवाजे की ओर बढ़ीं, उन्होंने पलटकर देखा और कहा, “ये रात हमारी थी, रोहन। लेकिन ये खेल अभी खत्म नहीं हुआ।” मैं जानता था, माँ की टाइट चूत की आग मेरे लंड में हमेशा सुलगती रहेगी।