उसको नीता के साथ बिस्तर में. अब मैं दीदी को राकेश के साथ नहीं रहने दूँगा. मेरी इतनी सुंदर बहन की ज़िंदगी बर्बाद नहीं होने दूँगा. आख़िर मैं दीदी से प्यार करता हूँ!!” मा मुझे गौर से देखती रही. ज़रूर मेरे चेहरे से वो मेरे मन को भाँप गयी थी. जिस तरह मैने दीदी को थाम रखा था मा से छुपा नहीं था.”राकेश, सच बता क्या बात है? तू अपनी बहन का घर बर्बाद करने पर क्यों तुला हुया हो? तुम अपनी बहन के साथ लिपटाए हुए थे जब वो घर आई. कहीं तुम खुद ही तो अपनी बहन से प्यार नहीं करते?” मैं मा की बात सुन कर बोला,”अगर मैं दीदी से प्यार करता हूँ तो क्या फरक पड़ता है? राकेश ने तो पहले दिन ही दीदी को एक जानवर की तरह चोद डाला था. मा, तुम नहीं जानती कि दीदी उस रात कितना रोई थी!! कितनी पीड़ा हुई थी मेरी बहन को!! मैं उसका भाई हूँ……उसको सुख देना चाहता हूँ….मा मैं उसको प्यार करता हूँ और दीदी का अनुभव जो जीजा जी के साथ हुआ है दीदी पर बहुत बुरा असर डाल चुका है…दीदी सभी मर्दों से नफ़रत करने लगी है…
सेक्स भी उसको अच्छा नहीं लगता…मैं दीदी को सही रास्ते पर ला सकता हूँ” मा मेरे पास आई और बोली”बेटा मैं तेरी बात समझती हूँ. लेकिन ये समाज नहीं समझेगा. तुम अपनी दीदी के पति तो नहीं बन सकते? सभी जानते हैं कि तुम भाई बहन हो!!” मा की बात ठीक थी लेकिन मेरी प्लान भी थी, मैं दीदी का तलाक़ करवाने वाला था. इस गेम में हम जीजा जी को ब्लॅकमेल करने वाले थे. मेरे पास जीजा जी की फोटोस थी. हम जीजा जी से बड़ी रकम हासिल कर लेंगे और फिर हम तीनो इस शहर को छोड़ देंगे. मैं और दीदी प्यार से ज़िंदगी बसर करेंगे, मा मेरी बात सुन कर सोचने पर मज़बूर हो गयी. मा मेरे गले लग गयी और बोली,”तुमने नीता से पूछ लिया है क्या? उसको पसंद है तेरा प्लान?” “मा, दीदी को अभी तक सेक्स का मज़ा नहीं मिला…जब मिलेगा तो दीदी खिल उठेगी….और दीदी की सेक्स की शुरुआत मैं करूँगा…एक सुहावानी सेक्स की शुरुआत…मुझे तुम सहयोग देने का वादा करो….मुझे और दीदी को अकेले छोड़ दो…मुझे दीदी को सेक्स का सुखद अनुभव करने में मदद करो,…नीता दीदी ज़रूर पट जाएगी, मा”
मा ने खुश हो कर मुझे होंठों पर किस कर लिया और जब मैने मा को वापिस किस किया तो मेरी मा भी गरम हो उठी और अपनी चूत मेरे खड़े लंड पर रगड़ने लगी. लेकिन मैने मा को अपने आप से अलग किया और दीदी के कमरे की तरफ बढ़ गया. दीदी बिस्तर में थी लेकिन जाग रही थी. मैने उसको बाहों में भर कर ज़ोर से होंठों पर किस किया और चुचि भी मसल डाली. अब नाटक करने का वक्त नहीं था. अब मेरी प्यारी दीदी को पता चल जाना चाहिए था कि उसका भाई अब उसकी चूत का दिवाना है और अपने जीजा जी जगह लेना चाहता है. दीदी को खूब चूमने के बाद मैं उतेज़ित हो गया. दीदी नहाने चली गयी. जब वो बाहर निकली तो एक सफेद नाइटी पहने हुई थी और नीचे कोई ब्रा या पॅंटी नहीं थी. “आज रात अपने भाई के रूम में ही सोना, देखना कितना मज़ा आता है!!!” कह कर मैं अपनी अलमारी से एक अडल्ट कहानी वाली बुक दीदी को देते हुए बोला,”इस किताब को पढ़ लेना. पता चलेगा कि प्यार क्या होता है और कैसे किया जाता है. रात को विस्की ले कर आउन्गा…मम्मी से चोरी…हम थोड़ी सी पी लेंगे अगर मेरी प्यारी दीदी चाहेगी तो…सच दीदी, बहुत सुंदर हो तुम….तेरा हुसन मेरे दिल का क्या हाल बना रहा है, मुझ से पुछो!!!” दीदी शरम से लाल हो रही थी. जो किताब मैने दीदी को दी थी वो रमन की कहानियो का एक भाई बहन की चुदाई का मस्त किस्सा था. अगर दीदी ने वो किताब पढ़ ली तो मेरे आने तक उसकी चूत मचल रही होगी चुदने के लिए. बाहर जाते हुए मैने मा को सारा प्लान बता दिया और वो शरारती ढंग से मुस्कुराने लगी.
रात जब मैं वापिस लौटा तो दीदी मेरा इंतज़ार कर रही थी जैसे कोई पत्नी अपने पति का इंतज़ार करती हो. मुझ पर हवस का भूत सवार था. मैने दीदी को बाहों में भर लिया और चूमने लगा. दीदी के जिस्म पर मेरे हाथों का स्पर्श उस पर जादू कर रहा था. फिर मैने ग्लास में विस्की डाली और दीदी को ग्लास पकड़ा दिया. दीदी बिना कुछ बोले पी गयी. थोड़ी देर में नशा होने की वजह से दीदी के अंदर वासना ने ज़ोर पकड़ लिया लगता था. मैने अपना हाथ दीदी की चूत पर रखा और उसको रगड़ने लगा.”दीदी, मैं जानता हूँ की जीजा जी ने तुझे प्यार नहीं किया. इस वक्त भी राकेश रिंकी के साथ चुदाई में व्यस्त है. तुम अपने पति से उसकी बे वफाई का बदला नहीं लोगि? और दीदी मेरी किताब पढ़ी आपने कैसी लगी? ” दीदी मुस्कुराते हुए बोली ,”अच्छी थी लेकिन क्या भाई अपनी बहन के साथ ऐसा करते हैं?” मैं भी मुस्कुराता हुआ बोला”ज़रूर करते हैं अगर बहन आप जैसी सेक्सी हो और भाई मुझ जैसा प्यार करने वाला हो”
दूसरा पेग पी कर मैने दीदी को अपने आगोश में बिठाया और उसके जिस्म को नाइटी के उप्पेर से सहलाने लगा. दीदी के मस्त चुट्टर बहुत गुदाज़ थे और मेरा लंड उनके चूतर में घुसने लगा,”राकेश मुझे तेरा….चुभ रहा है….उई…..बस कर…” मैं आनी दीदी को लंड से प्यार करना सीखाना चाहता था. ‘दीदी, तुझे किताब वाली कहानी कैसी लगी…कहानी में भाई का लंड,,,तुझे पसंद आया? कहानी में बहन अपने भाई के लंड को कितना प्यार करती है ना? तुम मेरे लंड को प्यार करोगी? इसको सहलायोगी? दीदी मैं भी तेरे जिस्म को चुमुन्गा, चाटूँगा, इतने प्यार से जितने प्यार से राकेश ने भीनही चूमा होगा” मैं अब नीता दीदी के जिस्म के हर अंग को प्यार से सहला रहा था. और दीदी भी गरम हो रही थी.”राकेश कुत्ते का नाम मत लो, मेरे भाई. उसने मुझे इतना दर्द दिया है कि बता नहीं सकती. मुझे इस प्यार से भी दूर लगने लगा है. राकेश मुझे दर्द ना पहुँचना, मेरे भाई”
मैने देखा कि दीदी गरम है और अब उसको तैयार करने का वक्त आ गया है. मैने दीदी की नाइटी उप्पेर उठाई और उसके जिस्म नंगा कर दिया. मेरी बहन का गुलाबी जिस्म बहुत कातिलाना लगता था. नीता दीदी की जंघें केले की तरह मुलायम थी और उसके नितंभ बहुत सेक्सी थे. सफेद ब्रा और पॅंटी में दीदी बिल्कुल हेरोयिन लग रही थी. मैने अपना मुख दीदी के सीने पर रख कर उसकी चुचि को किस करने लगा. दीदी ने आँखें बंद की हुई थी और वो सिसकियाँ भरने लगी, मैने दीदी का हाथ अपने दहक रहे लंड पर रख दिया. दीदी अपना हाथ खींचने लगी तो मैं बोला,”दीदी, इसको मत छोड़ो. पकड़ लो अपने भाई के लंड को. ये तुझे दर्द नहीं देगा, सुख देगा. जिसस तरह किताब में बहन अपने भाई की प्रेमिका बन कर मज़े लूटती है, उससी तरह तुम मेरी प्रेमिका बन जाओ और फिर जवानी के मज़े लूट लो आज की रात. मेरा लंड अपनी बहन की प्यारी चूत को स्वर्ग के मज़े देगा. अगर मैने तुझे दर्द होने दिया तो कभी मुझ से बात मत करना. मेरी रानी बहना ये लंड तुझे हमेशा खुश रखेगा!!” दीदी कुछ ना बोली लेकिन उसने मेरा लंड पकड़े रखा. मेरा लंड किसी कबूतर की तर्रह फाड़ फाडा रहा था अपनी बहन के हाथ में. मैने फिर दीदी की ब्रा को खोल दिया और उसकी चुचि मस्ती से भर के मेरे हाथों में झूल उठी. दीदी के स्तन बहुत मस्त हैं,”अहह….ऊऊहह…राकेश क्या कर रहे हो?”वो सिसकी. “क्यों दीदी, अपने भाई का स्पर्श अच्छा नहीं लगा?”मैने दीदी के गुलाबी स्तन पर काली निपल को रगड़ कर कहा.
“अच्छा लगा, राकेश, लेकिन ऐसा पहले कभी महसूस ना हुआ है मुझे. ऐसा अनुभव पहली बार हो रहा है!!!” मैने हैरानी से पूछ लिया,”क्यों दीदी, क्या जीजा जी एस नहीं करते थे तुझे प्यार?”अब मेरा दूसरा हाथ दीदी की फूली हुई चूत सहला रहा था और दीदी अपनी चूत मेरे हाथ पर ज़ोर से रगड़ रही थी.”तेरा जीजा मदर्चोद तो बस मेरे मूह में डाल देता था अपना बदबू दार लंड और बाद में मेरी चूत में धकेल देता था. मेरे भाई मैं दर्द से चीखती रहती थी और वो मेरे उप्पेर सवार हो जाता था. लेकिन तू तो प्यार करता है मेरे भाई…मुझे आनंद आ रहा है…तेरा लंड भी बहुत खुश्बुदार है…बहुत सुंदर है..तेरा स्पर्श बहुत सेक्सी है..राकेश यार तेरे हाथ मेरे अंदर एक मज़ेदार आग भड़का रहे हैं…तेरी उंगलियाँ मेरी चूत में खलबली मचा रही हैं….मेरी चूत से रस टपक रहा है…तेरा स्पर्श ही मुझे औरत होने का एहसास करा रहा है…मैं तेरे अंदर समा जाना चाहती हूँ….चाहती हूँ कि तू मेरे अंदर समा जाए….मेरे जिस्म का हर हिस्सा चूम लो मेरे भाई…मुझे अपने जिस्म का हर हिस्सा चूम लेने दो!!!!!”
मैं जान गया था कि दीदी अब तैयार है. मैने एक पेग और बनाया और हम दोनो ने पी लिया.
मैं नहीं चाहता था कि दीदी अपना फ़ैसला बदल ले. आज मैं दीदी को चोद कर सदा के लिया अपना बना लेना चाहता था. दीदी ने अपनी पॅंटी अपने आप उतार डाली और मेरे लंड से खुलेआम खेलने लगी. एक हाथ दीदी अपनी चूत पर हाथ फेर रही थी. मैने झुक कर दीदी के निपल्स चूसना शुरू कर दिया और दीदी मेरे बालों में उंगलियाँ फेरने लगी. दीदी की चुचि कठोर हो चुकी थी और अब मैने अपने होंठ नीचे सरकने शुरू कर दिए. जब मेरे होंठ दीदी की चूत के नज़दीक गये तो वो उतेज्ना से चीख पड़ी,” राकेश, मेरे भाई…क्यों पागल कर रहे हो अपनी बहन को? मुझे चोद डालो मेरे भाई…तेरी बहन की चूत का प्यार मैने तेरे लंड के लिया संभाल रखा है…डाल दो इसको मेरी चूत में!!!” मैं अपने सारे कपड़े खोलते हुआ दीदी के उप्पेर चढ़ गया. दीदी का नंगा जिस्म मेरे नीचे था और उसने बाँहे खोल कर मुझे आलिंगन में भर लिया. दीदी की चूत रो रही थी, आँसू बहा रही थी. मैने प्यार से अपना सूपड़ा दीदी की चूत की लंबाई पर रगड़ना शुरू कर दिया. हम भाई बहन की कामुकता हद पार कर गयी और दीदी ने बिनति की,”भैया, अब रहा नहीं जाता..घुसेड दो मेरी चूत में…होने दो दर्द मुझे परवाह मत करो, पेलो मेरी चूत में अपना लंड!!”
कहानी जारी है ….. आगे की कहानी अगले part mei