पापा का मोटा लंड और मेरी सहेली मुनमुन

Papa Ka Land : ये है एक सुलगती और गरम कहानी जहाँ पापा का मोटा लंड मेरी सहेली मुनमुन की चूत और गांड का शिकार बना। उसकी टाइट चूचियों और रसीली चूत की प्यास ने पापा को पागल कर दिया, और फिर शुरू हुई चुदाई की आग। तैयार हो जाओ इस सेक्सी और बोल्ड मज़े के लिए, जो तुम्हारी रात को और गर्म कर देगा!

मैं 20 साल की हूँ। मेरी सहेली मुनमुन मेरे घर अक्सर आती थी। वो 21 की थी, उसकी मोटी गांड और टाइट चूचे हर किसी को ललचाते थे। एक दिन मम्मी बाहर गई थीं, और मैं अपने कमरे में मुनमुन के साथ गप्पें मार रही थी। तभी पापा, जो 45 के थे लेकिन जवान लगते थे, हॉल में बैठे थे। पापा का नाम विनोद था, उनकी चौड़ी छाती और मोटा लंड पैंट में उभरता था। मुनमुन ने पापा को देखा और मुझसे फुसफुसाई, “तेरे पापा का लंड तो मस्त लगता है, क्या माल हैं!” मैं हँस पड़ी, “पागल है क्या? वो मेरे पापा हैं!” लेकिन मुनमुन की आँखों में शरारत चमक रही थी।

शाम हुई। मैं किचन में चाय बनाने गई। मुनमुन हॉल में पापा के पास बैठ गई। उसने अपनी सलवार ऊपर खींची, जिससे उसकी चिकनी जाँघें दिखने लगीं। “अंकल, गर्मी बहुत है ना?” उसने शरारती लहजे में कहा और अपनी कुर्ती का बटन खोल दिया। उसकी ब्रा से उसके चूचे बाहर झाँक रहे थे। पापा की नज़र उसकी गहरी दरार पर ठहर गई। “हाँ, मुनमुन, गर्मी तो बहुत है,” पापा ने गरम आवाज़ में कहा। उनका लंड पैंट में तन गया। मुनमुन ने पास आकर पापा की जाँघ पर हाथ रखा, “अंकल, आपका लंड तो तंबू बना रहा है, इसे मेरी चूत में डाल दो ना,” उसने फुसफुसाया।

पापा का चेहरा लाल हो गया। “ये क्या बोल रही हो?” उन्होंने कहा, लेकिन उनकी आँखें मुनमुन की चूत की तरफ़ थी, जो सलवार में उभर रही थी। मुनमुन ने हँसते हुए अपनी सलवार नीचे सरका दी। उसकी गीली चूत चमक रही थी। “देखो अंकल, मेरी चूत आपके मोटे लंड की प्यासी है,” उसने टाँगें चौड़ी करते हुए कहा। पापा का सब्र टूट गया। उन्होंने अपनी पैंट उतारी, और उनका मोटा लंड बाहर निकल आया। “तेरी चूत तो रस से भरी है, साली,” पापा ने कहा और उसे सोफे पर धकेल दिया। उसकी कुर्ती फट गई, और उसके रसीले चूचे हवा में लहराने लगे। “चूसो इन्हें, अंकल,” मुनमुन चिल्लाई।

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पापा ने एक चूचे को मुँह में भरा और जोर-जोर से चूसने लगे। “आह्ह, अंकल, मेरे निप्पल चाटो, मेरी चूत में आग लग रही है!” मुनमुन सिसक उठी। उसने पापा के लंड को पकड़ा और उसे मसलने लगी। “क्या मोटा लंड है आपका, इसे मेरी चूत में ठोक दो,” उसने कहा। पापा ने उसकी चूत पर अपनी जीभ फेर दी। “तेरी चूत तो शहद से मीठी है,” उन्होंने कहा और उसे चूसने लगे। “चाट लो मेरी चूत, इसे चूस-चूस कर फाड़ दो!” मुनमुन की चीखें हॉल में गूँज उठीं। उसका रस पापा के मुँह में भर गया। “इसे चोदने का मन कर रहा है,” पापा ने कहा और अपनी उंगलियाँ उसकी चूत में घुसा दीं।

मैं किचन से चाय लेकर आई और ये नज़ारा देखकर चौंक गई। लेकिन मेरी चूत में भी गुदगुदी होने लगी। मुनमुन ने मुझे देखा और हँसते हुए कहा, “आ जा, तेरे पापा का लंड मस्त है!” पापा ने मुनमुन को कुतिया की तरह झुका दिया। उसकी मोटी गांड हवा में तन गई। “अब तेरी चूत और गांड दोनों चोदूँगा,” पापा ने कहा और उसकी गांड पर थप्पड़ मारा। “मारो, मेरी गांड लाल कर दो, फिर अपने मोटे लंड से चीर डालो!” मुनमुन चिल्लाई। पापा ने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ा और एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह, मेरी चूत फट गई, और जोर से चोदो!” मुनमुन की चीखें तेज़ हो गईं। उसकी गांड हर धक्के के साथ थरथरा रही थी।

पापा ने उसे पलटा और उसके ऊपर चढ़ गए। “तेरी चूत तो लंड को निगल रही है,” उन्होंने कहा और तेज़ी से धक्के मारने लगे। “आह्ह, अंकल, मेरी चूत चीर डालो, और गहरा डालो!” मुनमुन चिल्लाई। उसकी चूत से रस टपक रहा था। पापा ने उसके चूचों को मसलते हुए कहा, “तेरी चूत को चोद-चोद कर सूखा दूँगा।” मुनमुन ने अपने नाखून पापा की पीठ में गड़ा दिए, “चोदो मुझे, मेरी चूत को अपने लंड का गुलाम बना दो!” उसकी सिसकियाँ हॉल में गूँज रही थीं। मैं चुपचाप देख रही थी, मेरी चूत भी गीली हो रही थी। “अंकल, मेरी गांड भी चोदो,” मुनमुन ने फुसफुसाया।

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पापा ने उसे घुमाया और उसकी गांड के छेद पर लंड रगड़ा। “तेरी गांड तो टाइट है, इसे फाड़ दूँगा,” उन्होंने कहा और लंड उसकी गांड में पेल दिया। “आह्ह, मेरी गांड फट गई, और जोर से चोदो!” मुनमुन की चीखें तेज़ हो गईं। उसकी चूत से रस बह रहा था, और गांड पापा के लंड को चूस रही थी। “तेरी गांड चूत से भी मस्त है, इसे रगड़ डालूँगा!” पापा ने कहा और धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी। मुनमुन की गांड हर धक्के के साथ थप-थप की आवाज़ कर रही थी। “और गहरा, मेरी गांड को ढीली कर दो!” उसने चीखा। पापा ने उसकी गांड में लंड को जड़ तक ठोक दिया।

चुदाई का नशा अब चरम पर था। पापा ने मुनमुन के होंठों को चूसना शुरू किया। “तेरे होंठ तो आग हैं, इन्हें काट डालूँगा,” उन्होंने कहा और उसके होंठों को दाँतों से दबाया। मुनमुन ने पापा का लंड पकड़ा और मसलते हुए कहा, “तो मेरी चूत को भी काटो, इसे चोद-चोद कर फाड़ दो!” पापा ने उसे फिर से कुतिया बनाया और उसकी चूत में लंड ठोका। “तेरी चूत और गांड दोनों को रस से भर दूँगा,” उन्होंने चीखते हुए कहा। मुनमुन की गांड थप-थप की आवाज़ कर रही थी, और उसकी चूत पापा के लंड को निचोड़ रही थी। “चोदो मुझे, मेरी चूत की आग बुझा दो!” मुनमुन चिल्लाई।

पापा ने मुनमुन को सोफे पर लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गए। “अब तू मेरे लंड को चूस,” उन्होंने कहा और अपना लंड उसके होंठों पर रगड़ा। मुनमुन ने अपनी जीभ निकाली और पापा के लंड को चाटने लगी। “आह्ह, अंकल, आपका लंड तो मज़ेदार है, इसे पूरा मुँह में लूँगी,” उसने कहा और लंड को गले तक ठूँस लिया। पापा ने उसके बाल पकड़े और उसके मुँह में धक्के मारने लगे। “चूस ले मेरे लंड को, तेरे होंठ इसे निचोड़ डालें!” उन्होंने चीखा। मुनमुन की चूत फिर से गीली हो गई, और वो अपनी उंगलियाँ उसमें डालकर हिलाने लगी। “आपके लंड का रस मेरे मुँह में डाल दो,” उसने फुसफुसाया।

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आख़िर में पापा का लंड फट पड़ा। उनका गरम रस मुनमुन की चूत में भर गया, फिर उसकी गांड में, और बाक़ी उसके चूचों, होंठों और मुँह में छिड़क गया। “आह्ह, अंकल, आपका रस मेरे होंठों पर लगा दो,” मुनमुन ने कहा और पापा के लंड से टपकते रस को चाट लिया। दोनों हाँफते हुए सोफे पर गिर पड़े। “मुनमुन, तू तो रंडी है,” पापा ने हँसते हुए कहा। “हाँ, और आपके मोटे लंड की दीवानी,” मुनमुन ने जवाब दिया। उसकी चूत अभी भी ललकार रही थी। “अगली बार फिर चोदना,” उसने शरारती अंदाज़ में कहा। “तेरी चूत और गांड को बार-बार चोदूँगा,” पापा ने वादा किया।

रात हो गई थी। मैं चुपचाप अपने कमरे में चली गई, लेकिन मेरी चूत में आग लगी थी। मुनमुन और पापा हॉल में लिपटे रहे। “अंकल, आपका लंड गज़ब है,” मुनमुन ने कहा। पापा ने उसकी गांड पर थप्पड़ मारा, “तेरी चूत भी मस्त है,” उन्होंने जवाब दिया। घर में चुदाई की गर्मी बसी थी। मुनमुन की चूत ने पापा के मोटे लंड को अपना गुलाम बना लिया था, और उनकी चुदाई का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा था।

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