राधिका मेरी हॉट मेड को प्रेग्नेंट किया

Maid Sex Story : – पहली मुलाकात

मेरा नाम विशाल है। मैं दिल्ली में अकेला रहता हूँ, एक फ्लैट में, जहाँ मेरा ऑफिस और जिम का रूटीन ही मेरी जिंदगी है। पिछले साल की बात है, जब मेरे पुराने नौकर ने काम छोड़ दिया। मुझे एक नई मेड की जरूरत थी। तभी मेरे पड़ोसी ने राधिका का नाम सुझाया। उसने कहा, “विशाल, ये लड़की काम में तेज है, और देखने में भी कुछ खास है।” मैंने हँसकर कहा, “बस काम अच्छा करे, बाकी तो देखा जाएगा।”
अगले दिन सुबह राधिका मेरे दरवाजे पर थी। जब मैंने उसे देखा, तो मेरी साँसें थम गईं। वो 25-26 की होगी—गोरी, लंबे बाल, और एक टाइट सलवार-कमीज में उसका जिस्म ऐसा कि आँखें हटें ही न। उसकी चूचियाँ कमीज में उभरी हुई थीं, और उसकी गांड हर कदम पर मटक रही थी। उसके होंठ गुलाबी थे, और आँखों में एक चमक थी। “साहब, मैं राधिका हूँ। काम शुरू करूँ?” उसने कहा। मैंने हाँ में सिर हिलाया, लेकिन मन में सोच रहा था, “ये तो मेरे घर में आग लगा देगी।”

काम और नजदीकी

राधिका रोज सुबह 8 बजे आती। वो झाड़ू लगाती, बर्तन धोती, और कपड़े साफ करती। लेकिन उसका हर काम मेरे लिए एक तमाशा था। जब वो झुककर फर्श साफ करती, तो उसकी चूचियाँ कमीज से बाहर झाँकतीं। उसकी गांड हवा में लहराती, और मैं सोफे पर बैठा उसे चुपके से ताकता। एक दिन मैंने मजाक में कहा, “राधिका, तू इतनी मेहनत करती है, थकती नहीं?” वो हँसी और बोली, “साहब, मेहनत तो मेरा काम है, लेकिन आपकी नजरें मुझे और थका देती हैं।”
उसकी ये बात सुनकर मेरे दिल में चिंगारी भड़क गई। मैंने कहा, “तो क्या करूँ, तू इतनी हॉट जो है।” वो शरमाई और बोली, “साहब, आप भी कम नहीं हैं।” उस दिन से हमारी बातों में एक चुलबुलापन आ गया। वो मुझे छेड़ती, और मैं उसे।

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रसोई का जलवा

एक दिन बारिश हो रही थी। राधिका भीगकर आई। उसकी कमीज पानी से चिपक गई थी, और उसकी चूचियाँ साफ दिख रही थीं। उसकी चूत का उभार भी सलवार में नजर आ रहा था। मैंने कहा, “राधिका, तू तो पूरी तर हो गई।” वो मेरे पास आई और बोली, “साहब, मुझे ठंड लग रही है। कुछ करो न।” मैंने उसे तौलिया दिया, लेकिन मेरे हाथ खुद-ब-खुद उसकी कमर पर चले गए।
“साहब, ये क्या कर रहे हो?” उसने शरारत से कहा। मैंने उसके कानों में फुसफुसाया, “राधिका, तेरी ये गीली चूचियाँ मुझे पागल कर रही हैं।” वो हँसी और मेरे सीने से चिपक गई। उसकी गर्म साँसें मेरे गले को छू रही थीं। मैंने उसकी कमीज का किनारा उठाया और उसकी चूचियों को आजाद कर दिया। वो गोल, टाइट, और गर्म थीं। मैंने उन्हें मसला, और वो सिसक उठी— “उफ्फ, साहब, ये क्या कर रहे हो?” मैंने कहा, “तेरे जलवों का मजा ले रहा हूँ।” उस दिन हमारी नजदीकी एक नया मोड़ ले गई।

रात का नशा

कुछ हफ्ते बाद की बात है। राधिका ने कहा, “साहब, आज मेरा काम देर से खत्म होगा। रात को रुक जाऊँ?” मैंने तुरंत हाँ कह दी। रात 10 बजे वो काम खत्म करके मेरे पास सोफे पर बैठी। उसने ढीली सी नाइटी पहनी थी, जिसमें उसकी गांड और चूचियाँ साफ झलक रही थीं। मैंने कहा, “राधिका, तू रात को और हॉट लगती है।” वो मेरे करीब सरकी और बोली, “साहब, आपको रात का मजा लेना है तो बोलो।”
मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से दबा लिया। वो नरम थे, गर्म थे, और उसकी सिसकियाँ मेरे कान में गूँज रही थीं। मेरे हाथ उसकी चूचियों पर गए, और मैंने उन्हें जोर से दबाया। “आह्ह, साहब, धीरे,” उसने कहा। मैंने उसकी नाइटी उतारी, और उसकी नंगी गांड मेरे सामने थी। मैंने उसे मसला और कहा, “राधिका, तेरी गांड तो जन्नत है।” वो हँसी और बोली, “तो इसमें घुस जाओ, साहब।”
मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया। उसकी चूत गीली थी, और मैंने अपनी उंगलियाँ अंदर डालीं। वो चिल्लाई— “उफ्फ, साहब, मुझे चोद दो।” मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाला और जोर-जोर से चुदाई शुरू की। उसकी चूचियाँ उछल रही थीं, और उसकी सिसकियाँ कमरे में गूँज रही थीं— “आह्ह, साहब, और तेज!” हम दोनों उस रात एक-दूसरे में खो गए।

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बार-बार की आग

उसके बाद हमारी चुदाई का सिलसिला चल पड़ा। हर रात वो मेरे पास आती। कभी रसोई में, कभी बाथरूम में, कभी बिस्तर पर। उसकी चूत मेरे लिए नशा बन गई थी। एक दिन वो शावर में नहा रही थी। मैं अंदर गया और उसकी नंगी चूचियों को पीछे से पकड़ लिया। पानी उसकी गांड पर बह रहा था, और मैंने उसे दीवार से सटा दिया। “साहब, आप तो रुकते ही नहीं,” उसने हँसकर कहा। मैंने उसकी चूत में लंड डाला और बोला, “राधिका, तेरे बिना रुकना मुश्किल है।” उस दिन हमने शावर में चुदाई की, और उसकी गर्मी ने मुझे पागल कर दिया।

प्रेग्नेंट का सच

कुछ महीने बाद एक दिन राधिका उदास थी। मैंने पूछा, “क्या हुआ?” वो बोली, “साहब, मेरी माहवारी रुक गई। लगता है मैं प्रेग्नेंट हूँ।” मेरे होश उड़ गए। मैंने कहा, “राधिका, ये कब हुआ?” वो हँसी और बोली, “आपकी चुदाई का नतीजा है, साहब। हर रात मेरी चूत को भरा, अब ये तो होना ही था।”
मैं घबरा गया, लेकिन उसकी आँखों में शरारत थी। उसने मेरे सीने पर हाथ रखा और बोली, “साहब, डरो मत। मैं इसे संभाल लूँगी। लेकिन आपकी ये आग तो बुझानी पड़ेगी।” मैंने उसे बाँहों में लिया और कहा, “राधिका, तू मेरी हॉट मेड ही नहीं, मेरी जिंदगी बन गई है।” उस रात हमने फिर चुदाई की, और उसकी चूचियाँ मेरे हाथों में थीं।

राधिका मेरे लिए सिर्फ मेड नहीं थी। वो मेरी चाहत थी, मेरी आग थी। उसकी चूचियाँ, उसकी गांड, उसकी चूत—हर चीज मुझे बेकरार करती थी। उसकी प्रेग्नेंसी ने मुझे चौंकाया, लेकिन उसकी शरारत और हॉटनेस ने मुझे उससे और जोड़ दिया। वो मेरे घर की मेड थी, लेकिन मेरे दिल और जिस्म की मालकिन बन गई।

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