बिहार के एक छोटे से गाँव में, जहाँ खेतों की हरियाली और रात की खामोशी दिल को सुकून देती थी, काजल अपनी फूफी के घर आई थी। काजल, 22 साल की, गोरी, लंबे काले बालों वाली, और कातिलाना फिगर वाली जवान लड़की थी। उसकी टाइट सलवार-कमीज़ उसके भरे हुए बूब्स और गोल गांड को उभारती थी, और उसकी गहरी आँखों में एक मासूमियत के साथ-साथ कामुक चमक थी। काजल की फूफी का घर गाँव के किनारे था, और उनके पति, यानी काजल के फूफा जी, रामप्रसाद, 45 साल के, मज़बूत जिस्म और गहरी आवाज़ वाले मर्द थे। रामप्रसाद की नज़रें काजल की जवानी पर टिकी रहती थीं, और उस रात उन्होंने काजल को दर्द दे दे कर चोदने का इरादा बना लिया।
गर्मी की रात थी, और गाँव में बिजली चली गई थी। काजल छत पर चटाई बिछाकर लेटी थी, हल्की हवा का मज़ा ले रही थी। उसकी टाइट कुर्ती और पतली सलवार उसके कर्व्स को और उभार रही थी। रामप्रसाद भी छत पर आए, अपनी लुंगी और बनियान में, और काजल को देखकर उनका लंड तन गया। “काजल, बेटी, नींद नहीं आ रही क्या?” उन्होंने गहरी आवाज़ में पूछा, लेकिन उनकी नज़रें काजल की चूचियों पर टिकी थीं। काजल ने अपने होंठ चाटे और जवाब दिया, “फूफा जी, गर्मी बहुत है, और आपकी नज़रें तो मेरी चूत को बेकरार कर रही हैं।” उसकी बोल्ड बात ने रामप्रसाद के लंड को और सख्त कर दिया, और उन्होंने काजल को अपनी भूख का शिकार बनाने का फैसला कर लिया।
रामप्रसाद ने काजल के पास बैठते हुए उसका हाथ पकड़ा और उसे अपनी ओर खींच लिया। “तेरी चूचियाँ और गांड देखकर मेरा लंड काबू में नहीं है,” उन्होंने फुसफुसाया। काजल ने एक सेक्सी मुस्कान दी और अपनी कुर्ती का गला नीचे खींचा, जिससे उसके भारी बूब्स की गहरी लकीर दिखने लगी। रामप्रसाद ने काजल को चटाई पर लिटाया और उसके होंठों को चूम लिया, पहले धीरे, फिर गहराई से, उसकी जीभ को चूसते हुए। काजल की चूत में एक सिहरन दौड़ गई, और उसने रामप्रसाद की बनियान में उंगलियाँ डालकर उन्हें और करीब खींच लिया। “फूफा जी, तेरे होंठ कितने गर्म हैं,” काजल ने सिसकते हुए कहा, और रामप्रसाद ने जवाब दिया, “तो तेरी चूत का स्वाद भी लूँगा, और तुझे दर्द दे दे कर चोदूँगा।”
रामप्रसाद ने काजल की कुर्ती उतारी, और उसकी काली ब्रा में कैद चूचियाँ देखकर उनका लंड लुंगी में उछलने लगा। उन्होंने ब्रा का हुक खोला, और काजल के भारी बूब्स आज़ाद हो गए। रामप्रसाद ने उन्हें कस के दबाया, उनके निप्पल्स को चूसा, और हल्के से काटा, जिससे काजल की सिसकियाँ और तेज़ हो गईं। “तेरी चूचियाँ कितनी मस्त हैं,” उन्होंने कराहते हुए कहा। काजल ने अपनी सलवार का नाड़ा ढीला किया, और रामप्रसाद ने उसे उतार दिया। उसकी गीली पैंटी उसकी चूत से चिपक चुकी थी। रामप्रसाद ने पैंटी उतारी और अपनी उंगलियाँ काजल की चूत में डालीं, उसे रगड़ते हुए। “तेरी चूत कितनी टाइट और गर्म है,” उन्होंने कहा, और काजल ने सिसकते हुए जवाब दिया, “तो अपने लंड से इसे चोद दे, फूफा जी।”
रामप्रसाद ने अपनी लुंगी खोली, और उनका मोटा लंड बाहर आया। काजल ने उसे देखकर आँखें फाड़ लीं। “वाह, फूफा जी, तेरा लंड तो बहुत मोटा है,” उसने सेक्सी अंदाज़ में कहा, और उसे अपने हाथों में लेकर सहलाया। उसने रामप्रसाद के लंड को अपने होंठों से चूमा, फिर धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। रामप्रसाद की सिसकियाँ निकलने लगीं, और उन्होंने काजल के बाल पकड़कर उसे और गहरे तक चूसने को कहा। काजल की जीभ उनके लंड पर नाच रही थी, और उसकी चूत में चुदाई की प्यास बढ़ रही थी। रामप्रसाद ने काजल को चटाई पर फिर से लिटाया और उसकी जांघें चौड़ी कीं।
रामप्रसाद ने अपने मोटे लंड को काजल की चूत पर रगड़ा और धीरे से अंदर डाल दिया। काजल की एक ज़ोरदार चीख निकली, क्योंकि उनका लंड उसकी टाइट चूत को दर्द दे रहा था। “आह, फूफा जी, दर्द हो रहा है,” काजल ने सिसकते हुए कहा, लेकिन रामप्रसाद ने उसकी कमर पकड़कर और ज़ोर से धक्का मारा। “दर्द तो बर्दाश्त कर, काजल, मैं तुझे पूरी रात चोदूँगा,” उन्होंने कहा, और धीरे-धीरे चुदाई शुरू की। हर धक्के के साथ काजल की चूचियाँ उछल रही थीं, और उसकी सिसकियाँ रात की खामोशी में गूंज रही थीं। दर्द धीरे-धीरे मज़े में बदल रहा था, और काजल की चूत उनके लंड को और गहरे लेने लगी।
रामप्रसाद ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी, और उनका लंड काजल की चूत की गहराई को छू रहा था। काजल की गांड हर धक्के के साथ चटाई पर रगड़ रही थी, और उसने अपनी जांघें और चौड़ी कर दीं। “हाँ, फूफा जी, मेरी चूत को और चोदो,” काजल ने कराहते हुए कहा। रामप्रसाद ने काजल की चूचियाँ फिर से दबाईं और उन्हें चूसने लगे, जिससे काजल की चूत और गीली हो गई। दर्द और मज़े का मिश्रण काजल को पागल कर रहा था, और वो रामप्रसाद के हर धक्के का जवाब अपनी कमर हिलाकर दे रही थी।
तभी छत का दरवाज़ा खुला, और रामप्रसाद का भतीजा, मोहन, 30 साल का, मज़बूत जिस्म और शरारती मुस्कान वाला मर्द, वहाँ आया। उसने काजल की नंगी चूचियाँ और चुदाई देखकर अपना लंड पकड़ लिया। “काजल, मुझे भी मज़ा चाहिए,” मोहन ने हँसते हुए कहा, और काजल ने एक सेक्सी मुस्कान के साथ जवाब दिया, “आ जा, मेरी चूत और गांड दोनों तैयार हैं।” रामप्रसाद ने हँसते हुए मोहन को पास बुलाया, और दोनों ने काजल को अपनी भूख का शिकार बनाया। मोहन ने काजल की गांड को कस के पकड़ा और उसे थप्पड़ मारा। “तेरी गांड कितनी मस्त है,” उसने कहा, और अपनी उंगलियाँ काजल की गांड के छेद पर फेरी।
मोहन ने अपनी उंगली काजल की गांड में डाली, और काजल की सिसकी और तेज़ हो गई। “मेरी गांड भी चोद,” उसने कराहते हुए कहा। रामप्रसाद ने काजल की चूत में अपने लंड को और तेज़ी से चलाया, जबकि मोहन ने अपने लंड को काजल की गांड पर रगड़ा और धीरे से अंदर डाला। काजल की एक और चीख निकली, क्योंकि मोहन का लंड उसकी गांड को दर्द दे रहा था। “आह, दर्द हो रहा है,” काजल ने सिसकते हुए कहा, लेकिन मोहन ने उसकी कमर पकड़कर और ज़ोर से धक्का मारा। “दर्द का मज़ा ले, काजल,” मोहन ने कहा, और दोनों ने काजल को दर्द दे दे कर चोदना शुरू किया।
काजल के जिस्म में दो लंड एक साथ थे—रामप्रसाद का लंड उसकी चूत चोद रहा था, और मोहन का लंड उसकी गांड। उसकी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं, और उसने दोनों को कस के पकड़ लिया। “हाँ, मेरी चूत और गांड को चोदो,” काजल ने सिसकते हुए कहा, दर्द और मज़े के बीच झूलते हुए। रामप्रसाद ने काजल के होंठों को फिर से चूमा, उसकी जीभ को चूसते हुए, जबकि मोहन ने उसकी चूचियाँ दबाईं और उन्हें चूसा। काजल का जिस्म पसीने और चुदाई की गर्मी से गीला हो चुका था, और दर्द अब पूरी तरह मज़े में बदल चुका था।
तभी गाँव का एक और मर्द, शंकर, 40 साल का, मज़बूत और अनुभवी, छत पर आया। उसने काजल की चुदाई देखकर अपना मोटा लंड पकड़ लिया। “काजल, मुझे भी बुला ले,” उसने गहरी आवाज़ में कहा, और काजल ने उसे एक सेक्सी नज़र दी। “शंकर जी, मेरे बूब्स और मुँह बाकी हैं,” उसने कहा। शंकर ने अपनी लुंगी उतारी और अपना मोटा लंड काजल के मुँह में डाल दिया। काजल ने उसे चूसना शुरू किया, उसकी जीभ से उसके मोटे लंड को सहलाते हुए। शंकर की सिसकियाँ निकलने लगीं, और उसने काजल के बाल पकड़कर उसे और गहरे तक चूसने को कहा।
रामप्रसाद अब काजल की चूत को ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था, उसका लंड हर धक्के में उसकी चूत की गहराई को छू रहा था, जिससे काजल को हल्का दर्द और गहरा मज़ा मिल रहा था। मोहन ने उसकी गांड में अपने लंड को और गहरे तक धकेला, और काजल की सिसकियाँ चीखों में बदल गईं। शंकर ने काजल के मुँह में अपने मोटे लंड को और तेज़ी से चलाया, और काजल ने उसे चूसते हुए सिसकियाँ भरीं। “तेरे मुँह में मेरा मोटा लंड कितना अच्छा लग रहा है,” शंकर ने कराहते हुए कहा। काजल का जिस्म तीन मर्दों की भूख का शिकार बन चुका था।
चुदाई का ये खेल पूरी रात चला। काजल की चूत, गांड, और मुँह तीनों मर्दों के लंड से भरे थे। रामप्रसाद ने काजल की चूत में अपने लंड को और तेज़ी से चलाया, और आखिरकार उसकी चूत में अपनी गर्मी छोड़ दी, जिससे काजल को एक और दर्द भरा मज़ा मिला। मोहन ने उसकी गांड को चोदते हुए अपने लंड का रस उसकी गांड में छोड़ा, और काजल की गांड में हल्का दर्द बाकी रहा। शंकर ने काजल के मुँह से अपना मोटा लंड निकाला और उसकी चूचियों पर अपनी गर्मी बिखेर दी। काजल का जिस्म पसीने, दर्द, और तृप्ति से गीला था।
रात के आखिरी पहर में काजल ने तीनों को एक सेक्सी मुस्कान दी और फुसफुसाया, “फूफा जी, तुमने और तुम्हारे दोस्तों ने मुझे दर्द दे दे कर चोद दिया। मेरी चूत और गांड अब पूरी तरह संतुष्ट हैं।” रामप्रसाद, मोहन, और शंकर ने उसे अपनी बाहों में लिया, और गाँव की ठंडी रात में उनकी चुदाई की गर्मी सुबह तक बाकी थी। काजल ने हँसते हुए कहा, “फूफा जी, अगली बार और दर्द देना, मैं फिर चुदना चाहूँगी।”
सुबह होने पर काजल ने अपने जिस्म पर चुदाई के निशान देखे—हल्के लाल निशान उसकी चूचियों और गांड पर थे, जो दर्द और मज़े की कहानी कह रहे थे। उसने रामप्रसाद को एक शरारती मुस्कान दी और चुपके से कहा, “फूफा जी, ये रात मेरी चूत और गांड हमेशा याद रखेंगी।” रामप्रसाद ने हँसकर उसकी कमर दबा दी, और काजल की कामवासना फिर से जाग उठी।